Bundi News: राजस्थान के बूंदी (Bundi) में तूफान के चलते सर्वे ऑफ इंडिया का ड्रोन (Drone) मिसिंग होने का मामला सामने आया है. बूंदी के ग्रामीण इलाकों में स्वामित्व योजना के तहत ड्रोन के माध्यम से भूमि का सर्वे करने का काम किया जा रहा है. इसी के तहत गवरमेंट ऑफ इंडिया की टीम द्वारा सर्वे करने का काम किया जा रहा था तभी अचानक से आए तूफान के चलते ड्रोन अनियंत्रित हो गया और मिसिंग हो गया.


टीम के सदस्यों ने गांव में ड्रोन को तलाशने की कोशिश भी की लेकिन लाख कोशिश करने के बावजूद भी ड्रोन का कुछ पता नहीं लगा. इस पर टीम ने बूंदी सदर थाने में ड्रोन की मीटिंग होने की रिपोर्ट दी है जिस पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. उधर ड्रोन के मिसिंग होने के बाद बूंदी प्रशासन में हड़कंप मच गया. योजना के तहत करवाए जा रहे हैं सर्वे का काम भी बाधित हो गया है. बताया जा रहा है कि ड्रोन  करीब 15 से 20 लाख की लागत का था और विशेष रूप से सर्वे के लिए बनाया गया था.
15 लाख का ड्रोन हुआ गायब
स्वामित्व योजना के तहत बूंदी में ड्रोन से भूमि सर्वे कर रहे इंजीनियर मुकेश कुमार ने बताया कि हमारी टीम योजना के तहत बूंदी के ग्राम पंचायत माटुंदा में आबादी भूमि का ड्रोन के माध्यम से सीमाकंन किया जा रहा था तभी अचानक से आंधी तूफान आया तब हमारा ड्रोन अनियंत्रित होकर आंधी तूफान में कहीं गिर गया.


मिसिंग होने के दौरान हमारे सिस्टम में 6000 मीटर दूर पर लोकेशन ट्रेस करता रहा. अचानक से लोन मिसिंग हुआ तो हमने उक्त स्थान पर टीम के द्वारा खोजबीन भी की. लेकिन ड्रोन नहीं मिला. इस पर सदर थाने में ड्रोन संख्या के अनुसार गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है. विभाग के अधिकारियों की मानें तो ड्रोन सामान्य यूज वाला नहीं है उसमे किस अन्य ड्रोन की ऐप नहीं चलेगी केवल भारत सरकार की ऐप ही चलेगी. ड्रोन खोने के बाद अब जल्द नए ड्रोन का इंतजार किया जा रहा है. 
अब तक बूंदी के 100 गांव में ड्रोन से हो चुका है सर्वे
स्वामित्व योजना के तहत बूंदी जिले के करीब 100 गांव में ड्रोन के माध्यम से भूमि का सीमांकन हो चुका है. यहां पंचायत के अनुसार गांव का ड्रोन के माध्यम से सर्वे करवाया जा रहा है.  अधिकारी एलईडी में लोकेशन को क्रिएट कर संबंधित गांव का ऑनलाइन डाटा तैयार कर रहे हैं.


शुरुआत जिले के नमाना गांव से हुई थी जो होते हुए बूंदी पंचायत समिति के आसपास के क्षेत्रों तक पहुंची. अधिकारियों का कहना है कि ड्रोन में प्रतिदिन लिए गए सर्वे को कंप्यूटर में सेव कर लिया जाता था. बाद में सर्वे पूरा होने के बाद फाइनल डाटा ऑनलाइन जारी कर दिया जाएगा. इस योजना के तहत ड्रोन से डिजिटल मैपिंग की जा रही है. 
आखिर क्या है प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना
इस योजना को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 अप्रैल 2020 को पंचायत राज्य मंत्रालय विभाग से लांच किया था. जिसमें राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्र के 5002 गांव के 4 लाख ग्रामीणों को जमीन मालिकों को भूमि का स्वामित्व प्रमाण पत्र, ई प्रॉपर्टी कार्ड प्रदान करना था. वर्तमान में कई बार देखा जाता है कि भूमि विवाद को लेकर सीमा ज्ञान, सर्वे कराने की घटनाएं सामने आती रहती है.


इस योजना के तहत संबंधित इलाकों में ड्रोन के माध्यम से उस गांव का डिजिटल मैपिंग के जरिए सर्वे करवाया जा रहा है ताकि यदि कोई विवाद हो तो घर बैठे मोबाइल ऐप के जरिए डिजिटल स्वामित्व प्रमाण पत्र,ई प्रॉपर्टी कार्ड प्रदान हो सके. इसके लिए केंद्रीय पंचायती राज मंत्रालय ने 913. 46 करोड़ रुपए का बजट निर्धारित किया है. योजना के तहत राज्यों में 500 ड्रोन टीमें तैनात की गई है यह ड्रोन टीम भारतीय सर्वेक्षण विभाग के द्वारा तैनात की गई है.


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