Bundi News: बूंदी में 15 किमी लंबे नाले पर हो रही अतिक्रमण कार्रवाई रुकी, हर साल 20 हजार लोग होते हैं बाढ़ का शिकार
Rajasthan News: बूंदी जिला कलेक्टर का तबादला होने से जैतसागर झील से निकलने वाले 15 किलोमीटर लंबे नाले पर हो रहे अतिक्रमण पर बुलडोजर चलने का काम रोक दिया गया है.
Rajasthan News: राजस्थान के बूंदी में जैतसागर झील से निकलने वाले 15 किलोमीटर लंबे नाले पर हो रहे अतिक्रमण पर बुलडोजर चलने का काम रुक गया है. जिला कलेक्टर का तबादला होने के साथ ही काम भी रोक दिया गया है. काम रुक जाने के चलते इस साल भी मानसून में तेज बारिश से नाला उफान पर आएगा और बाढ़ जैसे हालात बन सकते हैं. गौरतलब है कि तत्कालीन जिला कलेक्टर रेणु जयपाल ने नाले पर हो रहे अतिक्रमण को चिन्हित कर उन्हें ध्वस्त करने की प्लानिंग की थी. कुछ जगहों पर अतिक्रमण की कार्रवाई भी की गई. इस बीच कलेक्टर का तबादला होने के साथ ही कार्यवाही रुक गई है.
बता दें कि जैतसागर झील से निकलने वाले इस बरसाती नाले की लंबाई 15 किलोमीटर है और इस पर शहर के बीचो-बीच अतिक्रमणियों ने अपना कब्जा जमा लिया है. अतिक्रमण कर नाले को संकरा कर दिया है जिसके चलते उफनने वाले पानी से बाढ़ में करीब 20 हजार लोग डूब जाते है. अतिक्रमण की कार्रवाई थमने से क्षेत्र के लोगों को फिर से डर सताने लगा है कहीं मानसून में बाढ़ के हालात पैदा ना हो जाए. उन्होंने नए नियुक्त कलेक्टर से भी अतिक्रमण की कार्रवाई वापस शुरू करने की मांग की है.
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झील के गेट खोलने से बढ़ता है नाला
बूंदी शहर में स्थित जैतसागर झील हर वर्ष भारी बारिश होने के बाद लबालब हो जाती है. ऐसे में प्रशासन झील के सभी गेट को खोल कर पानी की निकासी करता है. उसी से सटे करीब 15 किलोमीटर लम्बे जैतसागर नाला उफान पर आ जाता है. यह नाला शहर की कई कॉलोनियों से होता हुआ मांगली नदी में जाकर मिलता है. नाले पर अतिक्रमण होने के चलते सड़कों पर नाले का उफान देखने को मिलता है. तूफान के कारण करीब आधा दर्जन रास्ते बंद हो जाते हैं. शहर के बीचो-बीच इन रास्तों से आवाजाही रुक जाती है. वहीं यह हालात 4 से 5 दिन तक बने रहते हैं. नाले के उफान से सड़कों पर लोगों का जनजीवन अस्त व्यस्त हो जाता है. जिला कलेक्टर रेणु जयपाल ने बताया की अतिक्रमण को हमने चिन्हित किया है. नाले की सफाई करवाई जा रही है ताकि मूल रूप से नाला अपने स्वरूप में आ सके.
नाले पर अतिक्रमण, 20 हजार लोग होते हैं प्रभावित
जैतसागर नाला उफान पर आते ही हर वर्ष 20 हजार लोग इस नाले पर हो रहे अतिक्रमण के चलते बाढ़ में डूब जाते हैं. नाले पर अतिक्रमण होने के कारण नाला कई जगहों से सकरा हो चुका है. नाला करीब 75 फीट चौड़ा और 20 फिट गहरा था जो अतिक्रमण होते-होते करीब 10 फिट तो कहीं 2 फीट ही रह गया है. इसके कारण नाले का पानी उफान के साथ सड़कों पर आ जाता है. जिसके चलते शहर की जवाहर कॉलोनी, महावीर कॉलोनी, बहादुर सिंह सर्किल, सहित कई कॉलोनियां रास्ते बंद होने के साथ ही घरों में पानी घुस जाता है और यह हालात लगातार बारिश जारी होने के साथ बने रहते हैं.
तीन साल से और बिगड़े हालात
लगातार तीन सालों से हालत और भी बिगड़ गए थे. जैतसागर नाले के उफान के कारण हो रही परेशानी के चलते लोगों ने प्रशासन पर ढिलाई का आरोप लगाया था. एक माह पूर्व लोगों ने प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए अतिक्रमण मुक्त अभियान समिति बनाकर आंदोलन करना शुरू कर दिया था. आंदोलन उग्र हुआ तो नगर परिषद ने जिला कलेक्टर के आदेश पर नाले का सर्वे करवा कर अतिक्रमण चिह्नित करने के निर्देश दिए. नगर परिषद की टीम ने एक सप्ताह के भीतर नाले का सर्वे कर अतिक्रमण को चिन्हित भी किया लेकिन अतिक्रमण हट नहीं पाया. जिला कलेक्टर रेणु जयपाल प्रशासनिक अधिकारियों के साथ खुद भी नाले का अतिक्रमण देखने पहुंची. तत्कालीन जिला कलेक्टर के दौरे के बाद प्रशासन ने चिन्हित किए गए अतिक्रमण को हटाना शुरू कर दिया. जो अब उनके तबादले के साथ बंद हो गया है.
अतिक्रमण पर बुलडोजर चलाने की मांग
जैत सागर नाला अतिक्रमण मुक्ति अभियान संघर्ष समिति के संयोजक रुपेश शर्मा ने कहा कि साढ़े तीन वर्षों से अनवरत जन आंदोलन के बाद जिला प्रशासन बूंदी ने जैतसागर बरसाती नाले से अतिक्रमण हटाने की जो सार्थक पहल शुरू की वो बन्द करना 20 हजार लोगों के साथ खिलवाड़ है. प्रशासन को नाले के सिरे से अंत तक के सभी अतिक्रमणों को ध्वस्त कर नाले को अपने मूल स्वरूप में लंबा, चौड़ा और गहरा बनाएं जाने तक जारी रहना चाहिए. ताकि बूंदी नगर के बड़े भू-भाग में निवास करने वाले हज़ारों लोगों को हर साल बारिश के पानी से बाढ़ की स्थिति से उत्पन्न होने वाली परेशानी से हमेशा के लिए मुक्ति मिल सके. उधर इस मामले में नगर परिषद आयुक्त महावीर सिसोदिया का कहना है कि कुछ अतिक्रमण ध्वस्त किये गए थे. बारिश के चलते हमने कार्य रोक दिया था. जल्दी ही वापस अतिक्रमण को हटाया जाएगा.