Rajasthan News: राजस्थान के बूंदी (Bundi) जिले में हुई तेज बारिश से चंबल और मेज नदी में आई बाढ़ ने कई गांवों को जलमग्न कर दिया है. साथ ही ग्रामीणों को 10  दिनों से अंधेरे में रातें काटने को मजबूर कर दिया. मेज नदी की बाढ़ ने 25 गांवों में दौड़ रहे बिजली के करंट पर ऐसा ब्रेक लगाया कि बीते 10 दिनों से ग्रामीणों की रातें अंधेरे में ही कट रही है. इन सभी गांवों में बिजली से जुड़े सभी काम ठप हो गए. बाढ़ की वजह से लाखेरी से निकल रही 33 केवी बिजली की लाइन बालापुरा के आगे डूब गई. इस बार मेज नदी की बाढ़ के रिकॉर्ड लेवल ने बिजली व्यवस्था ठप कर दी. 


पीने का पानी भी बंद
वहीं बिना बिजली के ग्रामीणों के कई काम ठप हो गए हैं. बाढ़ के पानी ने ग्रामीणों के जलस्रोत को भी अपने आगोश में ले लिया. इससे ग्रामीणों के सामने बिजली के साथ-साथ पीने के पानी का भी संकट आ गया है. देखा जाये तो बाढ़ ग्रस्त लाखेरी क्षेत्र के इन 25 गांवों में मानसून सीजन में ऐसी समस्या हर बार देखने को मिलती है. मेज नदी का जलस्तर बढ़ने के साथ ही इन गांवों में बाढ़ की स्थिति होने से बिजली का संकट आ जाता है. कभी तकनीकी कारणों से बिजली गुल रहती है, तो कई बार नदी की बाढ़ इस परेशानी को कई दिन बढ़ा देती है.


ये गांव हुए प्रभावित
मेज नदी की बाढ़ में बिजली लाइन डूबने से आपूर्ति बंद करने के अलावा कोई विकल्प भी नहीं रह जाता है. लाखेरी से गांवों तक पहुंचने वाली बिजली बाढ़ के कारण नदी किनारे अटक जाती है. इसके कारण नदी की दूसरी तरफ के गांव अंधेरे में हो जाते है. इनमें तीन फीडर से जुड़े गांव पापड़ी, जाडला, बड़ाखेड़ा, बसवाड़ा, पाली, कांकरा मेज, करीरिया, पीपलदा थाग, सामरा, लवान, माखीदा, बगली बहडावलो, खाकटा, गोहाटा, कोटाखुर्द, देईखेड़ा, चहींचा, घाट का बराना, खरायता, डपटा, डडवाइस प्रभावित होते हैं.


यह है सप्लाई का सिस्टम
नदी पार के इन 25 गांवों के लिए बिजली की आपूर्ति लाखेरी से की जाती है. लाखेरी जीएसएस से 33 केवी बिजली की सप्लाई रेलवे लाइन को अंडरग्राउंड क्रॉस करते हुए बालापुरा पहुंचती है. यहां से बिजली की लाइन मेज नदी को पार करके पापड़ी फीडर पर कनेक्ट होती है. यही से एक लाइन बड़ाखेड़ा फीडर को जोड़ने के लिए निकल जाती है. दूसरी घाट का बराना फीडर के लिए सीधे लाखेरी निकलती है. इन तीन फीडर से बिजली की आपूर्ति होती है. समस्या तब आती है जब बालापुरा के आगे मेज नदी पर पानी बढ़ने पर लाइन डूबने लगती है, तब डिस्कॉम को सप्लाई बन्द करनी पड़ती है. इसके चलते तीनों फीडर की आपूर्ति बंद हो जाती है. क्षेत्र में ऐसे कई गांव हैं, जहां बाढ़ का असर बहुत कम रहता है. उसके बावजूद सप्लाई बंद करने से इन गांवो के लोगों के आगे भारी परेशानी उत्पन्न हो जाती है.


एईएन ने कहा प्रस्ताव बनाकर भेज रखा है
हालांकि इन गांवो का अन्य गांवों से सम्पर्क बाढ़ के कारण जरूर कट जाता है. लेकिन बाढ़ की चपेट से बचे रहते हैं. मेज नदी से लाइन कटते ही बड़ाखेड़ा, बसवाड़ा, पापड़ी, जाड़ला, लवान, गोहाटा, कोटा खुर्द, घाट का बराना, देईखेड़ा, खरायता, डपटा, डडवाड़ा व माखीदा गांवों को भी बिना लाइट के रहना पड़ता है. पूरे फीडर बंद होने से इन गांवों की बिजली भी पूरी तरह ठप हो जाती है. एईएन अजय सोनी ने बताया कि मेज नदी पार के गांवों में बाढ़ के दौरान बिजली आपूर्ति बहाल रहे, इसके लिए घाट का बना फीडर को कापरेन से जोड़ने के लिए 15 किमी लंबी लाइन डालने का प्रस्ताव भेजा है. यह स्कीम स्वीकृत होने पर इन गांवों की समस्या का स्थाई समाधान संभव हो पाएगा. 


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