Islamic Calendar New Year: 31 जुलाई से इस्लामिक कैलेंडर का नया साल शुरू हो गया है. मुहर्रम माह की पहली तारीख से इस्लामिक महीना शुरू होता है. हालांकि इस्लामिक कैलेंडर का नया साल यानी मुहर्रम महीने का चांद शुक्रवार को नजर नहीं आया था. चांद देखने की सूचना रुयते-ए-हिलाल कमेटी को कहीं से नहीं मिली थी. ऐसे में मुहर्रम माह की 1 तारीख 31 जुलाई से मानी गई है यानी रविवार से 1444 हिजरी का नया इस्लामी साल शुरू हो गया.


इस्लामिक मान्यता है कि मुहर्रम माह में एक तारीख से 10 तारीख तक मुस्लिम समुदाय के जरिए कई सेवा कार्य किये जाते हैं. मुसलमान मुहर्रम माह में रोजे रखते हैं. आपको बता दें कि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि से विक्रमी नवसंवत्सर का आरंभ होता है वैसे ही मुहर्रम के महीने की पहली तारीख से इस्लामी नया साल यानी नया हिजरी सन्‌ शुरू होता है. 


इस्लामिक कैलेंडर का नया साल शुरू


बूंदी में रुयते-ए-हिलाल कमेटी के प्रवक्ता मौलाना नूर मोहम्मद कादरी ने बताया कि शुक्रवार को मुहर्रम का चांद नजर नहीं आया था. चांद देखे जाने की शहादत दूसरी जगहों से भी नहीं मिली. इसलिए कमेटी के सरपरस्त मुफ्ती नदीम अख्तर ने फैसला लिया कि रविवार को मुहर्रम की 1 तारीख होगी और यौमे ए आशुरा 9 अगस्त को मनाया जायेगा. 


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धर्मगुरु ने मुसलमानों से की अपील


मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना गुलाम गौस ने मुस्लिम समाज से अपील की है कि हजरत इमाम हुसैन और 72 साथियों की शहादत पर गरीबों- जरूरतमंदों को खाना खिलाएं, घरों में जिक्रे शोहदा-ए-कर्बला की महफिल सजाएं. कुरआन ख्वानी और फातिहाख्वानी का आयोजन किया जाए. दुरूदो-सलाम पेश कर दुआओं का विर्द करें. गलत काम से परहेज करें. 9वीं, दसवीं, ग्यारहवीं मुहर्रम को रोजा रखे जाएं. गरीब बीमार का इलाज करायें. जरूरतमंद तालिबे इल्म को किताबें दिलवा दें. आसपास छायादार और फलदार पौधे लगाएं. सभी लोग अमन-ओ-अमान कायम रखें.  उन्होंने लोगों को इस्लामी नए साल की मुबारकबाद दी.  


जानें इस्लामिक कैलेंडर का इतिहास


इस्लाम धर्म में मुहर्रम से नए साल की शुरुआत होती है. मुहर्रम को शोक यानी शहीदों का माह कहा जाता है. इस्लामिक कैलेंडर, आम कैलेंडर की तुलना में 11 दिन छोटा होता है. इस्लामिक कैलेंडर को हिजरी साल के नाम से जाना जाता है. हिजरी सन की शुरुआत मुहर्रम माह के पहले दिन से होती है. इसकी शुरुआत 622 ईस्वी में हुई थी. इस्लामिक कलेंडर में महीने हर साल करीब 10 दिन पीछे खिसकते रहते हैं. मुस्लिम धर्मगुरु गुलाम गौस ने बताया कि इस महीने कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन और 72 साथी शहीद हुए थे. तब से मुहर्रम माह को शोक के रूप में मनाया जाता है. 


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