Bundi Mahotsav: राजस्थान (Rajasthan) की कला संस्कृति, लोकगीत, परिधान और यहां की भाषा के देश-दुनिया में लोग कायल हैं. ग्रामीण अंचल से भी लोक संस्कृति की ओझल होती झलक को फिर से जीवंत करने का अनूठा प्रयास किया जा रहा है. युवाओं के साथ कर्मचारी, अधिकारी, आमजन और व्यापारियों को इसके संरक्षण के लिए प्रेरित किया जा रहा है. अब एक ऐसा दिन देखने को मिलेगा, जहां सभी पारम्परिक परिवेश में दिखाई देंगे. कोटा (Kota) सभांग के बूंदी (Bundi) के जिला कलेक्टर डॉ. रविन्द्र श्रीवास्तव (Ravindra Shrivastava) ने यह पहल की है.


बूंदी जिला कलेक्टर डॉ. रविंद्र गोस्वामी की इस पहल की गांव में ही नहीं, शहर और प्रदेश के साथ-साथ अब देश में चर्चा होने लगी है. जिला कलेक्टर ने सरकारी विभाग के सभी कर्मचारियों के साथ बूंदी शहर की आम जनता से पत्र के माध्यम से अपील की है, जिसमें उन्होंने कहा कि साफा और पारंपरिक परिधान राजस्थान की संस्कृति की अनमोल धरोहर है. यह न केवल राजस्थान के गौरव का प्रतीक है, बल्कि अनेकता में एकता और भारत की पारंपरिक मिसाल को भी प्रदर्शित करता है.


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11 नवंबर को होगा साफा और पारंपरिक परिधान दिवस का आयोजन
उन्होंने कहा है कि बूंदी महोत्सव के दौरान 11 नवंबर 2022 को साफा और पारंपरिक परिधान दिवस का आयोजन रखा गया है. इसमें सभी राजकीय अधिकारी और कर्मचारी, व्यवसायिक प्रतिष्ठान के साथ-साथ आमजन यथासंभव पूरे कार्य दिवस पर साफा और पारंपरिक परिधान पहनकर काम करने का प्रयास करेंगे.


युवाओं को किया गया प्रेरित
जिला कलेक्टर ने लिखे पत्र में लोक संस्कृति को बचाए जाने के साथ युवाओं को इस दिशा में प्रेरित किया है. उन्होंने पत्र के माध्यम से लिखा कि इससे संपूर्ण जिले में बूंदी की सांस्कृतिक विविधता का प्रचार-प्रसार होगा. उन्होंन पत्र में लिखा, "मैं अपील करता हूं कि 11 नवंबर 2022 को समस्त बूंदी के मूल निवासी अपने-अपने कार्य स्थलों पर और बूंदी महोत्सव के कार्यक्रमों में साफा के साथ पारंपरिक परिधान पहनकर शामिल होंगे." इस पत्र की चर्चा अब बूंदी की विरासत को संजोए रखने में कारगर साबित होगी.