Bundi News: बूंदी में गरडदा बांध का निर्माण तेजी तेजी से हो रहा है. देश में पहली बार गरडदा बांध की नींव फिल्म पर टिकी होगी. टूटे हुए बांध में बड़े बड़े मिट्टी के पहाड़ बिछाने के बाद ही फिल्म लगाई जा रही है. इस साल मानसून सत्र से पानी रोकने के लिए अब दीवार खड़ी हो गयी है. पिछली बार पानी के दबाव और पठारी इलाके में मिट्टी रिसाव होने से बांध टूट गया था. दोबारा टूटने से बचाने के लिए कपड़े नुमा फिल्म लगाई जा रही है. बांध में मिट्टी बिछाने के बाद कपड़े की फिल्म का उपयोग हो रहा है. पहली बार किसी बांध के निर्माण में इस फिल्म का उपयोग किया गया है. उसे जीओ टेक्सटाइल्स के नाम से जाना जाता है. जीओ टेक्सटाइल्स पानी को छानने का काम करती है.


बांध निर्माण कार्य में किया गया नया प्रयोग


बांध में पानी के दबाव से दीवारें भी सुरक्षित रहेंगी. बांध निर्माण कार्य में इस बार नया प्रयोग किया गया है. नई डिजाइन के अनुसार बांध के दोनों सिरे पर स्लेप बनाई जा रही है. बाद में इन स्लेप पर फिर से मिट्टी डाली जाएगी. इससे दीवार और मजबूत होगी और सीढ़ियों से दिखाई पड़ेगी. गरडदा मध्यम सिंचाई परियोजना के अधिशासी अभियंता राजीव विजय ने बताया कि परियोजना की लागत 300 करोड़ के आसपास है. निर्माण शुरू होने के वक्त परियोजना का मात्र 53 करोड़ रुपए बजट स्वीकृत हुआ था. लेकिन बांध निर्माण में शुरुआत से ही रुकावटें आती गईं. दो बार सरकार बदलने से बजट अटक गया. इसी के कारण सिंचाई परियोजना को पूरा होने में 10 वर्ष से अधिक का वक्त लग गया. साथ ही इसकी लागत भी तीन गुना से अधिक हो गई.


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बांध के टूटे हुए हिस्से का काम 15 जून तक


विभाग ने पहले वर्ष में बांध को 60 फीट तक भरने का निर्णय किया. हालांकि इसकी क्षमता 90 फीट से अधिक बताई जा रही है. अधिशासी अभियंता राजीव विजय ने बताया कि पानी रोकने से कोई खतरा नहीं है. निरीक्षण कर व्यवस्था पूरी कर ली गयी है. बांध के टूटे हुए हिस्से का काम 15 जून तक पूरा हो जाएगा. साथ ही मिट्टी डालने का काम पूरा हो चुका है. अब दीवार में कुछ स्थानों पर फिल्म की नींव बिछाई जा रही है. इसे जून माह में पूरा कर लिया जाएगा. एबीपी न्यूज से बात करते हुए बूंदी विधायक अशोक डोगरा ने कहा है कि जिले का सबसे बड़ा पानी स्रोत गरडदा बांध है. ग्रामीणों को स्वच्छ पानी पीने उपलब्ध कराने का हम प्रयास कर रहे हैं. गरडदा बांध के निर्माण से क्षेत्र के 44 गांवों की 60 हजार बीघा भूमि को सिंचाई सुविधा मिलेगी.


पेयजल के लिए भी पानी सुलभ हो सकेगा. इस दिशा में विशेष प्रयास किए जा रहे हैं. गरड़दा बांध निर्माण भी इस लक्ष्य को हासिल करने में अहम साबित होगा. उन्होंने कहा कि किसानों की समृद्धि एवं खुशहाली के लिए जिले में विभिन्न बांधों के कार्य हाथ में लिए गए हैं. इनके माध्यम से किसानों को सिंचाई की बेहतर सुविधा और ग्रामीणों को पेयजल मुहैया कराया जाएगा. प्रधानमंत्री सिंचाई योजना के तहत असिंचित भूमि को सिंचित करने के लिए सर्वे शुरू कर दिया गया है. इसके बाद नहरों का नेटवर्क बनाया जाएगा. साथ ही नहरों का जीर्णोद्धार कर उन्हें सुदृढ़ बनाया जाएगा.


गौरतलब है कि 9 सितंबर 2003 को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बांध का भूमि पूजन किया था. बांध निर्माण कार्य पूरा होने पर वर्ष 2010 के मानसून सत्र में पानी भरना शुरू हुआ और बांध में करीब 60 फीट पानी भर गया. लेकिन 15 अगस्त 2010 को बांध के कच्ची मिट्टी का टीला ढह गया. बांध का करीब 200 फीट ऊंचा एवं 340 फीट चौड़ा हिस्सा पानी के साथ बह गया था. उस समय बांध लबालब था और बांध टूटने से जिले के कई गांव जलमग्न हो गए थे. एक तरफ जिला प्रशासन स्वतंत्र दिवस मना रहा था और दूसरी ओर बांध टूटने की खबर से प्रशासन में हड़कंप मच गया था. गावों में राहत कार्य शुरू कर दिए गए थे. 


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