Rajasthan News: राजस्थान (Rajasthan) के बूंदी (Bundi) का नेत्रहीन छात्र रोहित दौलतानी (Rohit Daulatani) अब बीएड की प्रवेश परीक्षा दे सकेगा. रोहित 3 जुलाई को होने वाली प्रवेश परीक्षा में बैठ सकता है. राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) में छात्र की ओर से याचिका दायर करने वाले अधिवक्ता सुदर्शन लड्ढा के माध्यम से प्रवेश पत्र की प्रति भी रोहित को मिल गई है. हालांकि, कोर्ट ने 3 जुलाई को परीक्षा के बाद अगले सप्ताह फिर से मामले की सुनवाई रखी है. इसके साथ ही नेत्रहीन छात्र की जीवन भर की पढ़ाई और मेहनत पर मंडरा रहा खतरा टल गया है.


पिछले कई दिनों से नेत्रहीन छात्र रोहित दौलतानी का भविष्य बचाने के लिये संघर्ष कर रहे छात्रों ने बताया कि जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय प्रशासन ने छात्र का संशोधित प्रवेश पत्र जारी कर दिया है. नेत्रहीन छात्र की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर करने के साथ-साथ मामले को अर्जेंट श्रेणी में सूचीबद्ध करने की अपील के बाद गुरुवार को ही सुनवाई तय कर दी गई थी. इस मामले में बीएड परीक्षा आयोजित कर रहे जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय पर दबाव बढ़ गया था. विश्वविद्यालय के अधिवक्ता भी इस मामले के निस्तारण में लगे हुए थे.


विश्वविद्यालय के वकील ने भी बीएड परीक्षा की अनुमति देने पर जताई सहमति


याचिका पर सुनवाई से पहले ही बीएड परीक्षा आयोजित कर रहे जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के अधिवक्ता आर ए कट्टा ने याचिकाकर्ता नेत्रहीन छात्र के अधिवक्ता सुदर्शन लड्डा से बातचीत की. विश्वविद्यालय की ओर से अधिवक्ता आर कट्टा ने याचिकाकर्ता के अधिवक्ता से नेत्रहीन छात्र को बीएड परीक्षा की अनुमति देने पर सहमति जताई. इस मामले का दूसरा मानवीय पक्ष यह था कि रोहित का दूसरा भाई जतिन भी पूर्णतया नेत्रहीन है, इसलिए बीएड प्रवेश परीक्षा फॉर्म में ई-मित्र वाले की तरफ से गलत विकल्प भरने के बाद परिवार में कोई देख ही नहीं पाया कि क्या भरा गया है.


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कोर्ट में संशोधित प्रवेश पत्र मंगवाने की रखी गई मांग


नेत्रहीन छात्र की पीड़ा पर विश्वविद्यालय के अधिवक्ता आर ए कट्टा खुद भी व्यक्तिगत रूप से आहत नजर आए. उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को समझाया कि राजस्थान हाईकोर्ट कोई निर्णय करे, उससे पहले विश्वविद्यालय को ही नेत्रहीन छात्र को बीएड प्रवेश परीक्षा की अनुमति जारी कर देनी चाहिए. याचिकाकर्ता छात्र के अधिवक्ता सुदर्शन लड्ढा ने इसपर विश्वविद्यालय के अधिवक्ता से संशोधित प्रवेश पत्र मंगवाने की मांग रखी. इसके बाद विश्वविद्यालय के अधिवक्ता आर ए कट्टा ने तत्काल जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय से संपर्क करते हुए नेत्रहीन छात्र रोहित दौलतानी का बीएड चार वर्ष के स्थान पर दो वर्ष की परीक्षा में अनुमति देने से संबंधित संशोधित प्रवेश पत्र जारी करवाया. साथ ही उसकी प्रति याचिकाकर्ता के अधिवक्ता को सौंप दी.


विश्वविद्यालय ने डीएम रेणु जयपाल की भी नहीं मानी थी बात


परिवारजन और छात्रों ने इस मामले में पीड़ित नेत्रहीन छात्र रोहित दौलतानी और नेत्रहीन भाई जतिन दौलतानी के साथ बूंदी जिला कलेक्टर रेणु जयपाल से मिलकर मदद का आग्रह किया था. दोनों नेत्रहीन भाइयों को देखकर और रोहित की पीड़ा सुनकर जिला कलेक्टर रेणु जयपाल स्वयं भावुक हो गई थी. उन्होंने लगभग एक घंटे तक विश्वविद्यालय के अलग-अलग अधिकारियों से बात कर छात्र को परीक्षा की अनुमति देने की अपील की थी. जिला कलेक्टर उसके बाद भी लगातार इस मामले में नेत्रहीन छात्र की सहायता के लिए प्रयास कर रही थी, जब कलेक्टर की बात नहीं सुनी गई तो मामला हाईकोर्ट पंहुचा था.


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