Bundi News: हर इंसान अपने रहने के लिए एक खूबसूरत घर बनाने की चाहत रखता है, लेकिन शायद ही कोई इस बात का ध्यान रखता हो कि जिन परिंदों की चहचहाट कानों में मधुर संगीत घोल देती है, उनका भी कोई आशियाना होना चाहिए. इसकी पहल करते हुए राजस्थान (Rajasthan) के बूंदी (Bundi) जिले में दो भाइयों भरतराज मीना और राधेश्याम मीना अपने रहने के लिए घर बनाने से पहले बेजुबान परिंदों के लिए करीब 10 लाख रुपये की लागत से पक्षी घर का निर्माण करवा रहे हैं, जो अंतिम चरण में है.


सिसोला पंचायत के गोवल्या गांव के रहने वाले दोनों भाइयों के पक्षी प्रेम की हर तरफ चर्चा हो रही है. साथ ही इस पक्षी घर को लोग अब देखने के लिए आ रहे हैं. दोनों भाइयों ने इस पक्षी घर का नाम अपने माता-पिता के नाम पर फोरी देव रखा है. दोनों सरकारी सेवा में कार्यरत हैं. इनमे बड़ा भाई भरतराज मीना जालौर जिले में ग्राम विकास अधिकारी के पद पर और छोटा भाई राधेश्याम मीना नैनवां क्षेत्र के बाछोला सीनियर स्कूल में भूगोल के व्याख्याता के पद पर कार्यरत हैं.



51 फीट रखी गई है पक्षी घर की उचांई


दोनों भाई मिलकर अपने लिए अच्छा मकान बनाने से पहले गांव में सार्वजनिक स्थान प्राइमरी स्कूल के सामने मालाजी की बनी में, जहां पेड़-पौधे अधिक हैं, वहां पक्षी घर का निर्माण करा रहे हैं. इनके पिता का नाम देव लाल और माता नाम फोरी बाई है. इनके ही नाम पर पक्षी घर का नाम फोरी देव रखा गया है. पक्षी घर की उचांई 51 फीट रखी गई है. इसके निर्माण के लिए पहले एक 3 गुणा 3 फीट चौड़ाई का 12 फीट लम्बा पिलर बनाया गया है, जिसपर प्लेटफार्म बनाकर 35 मंजिल बनाई गई है. एक मंजिल पर 16 घरौंदें बनाये गए हैं.


मां को पक्षियों से सामने दाना डालते देख मिली प्रेरणा


इस प्रकार पक्षी घर में पक्षियों के लिए 560 घरौंदें बनाये गए हैं. प्रत्येक मंजिल का प्लेटफार्म अष्टकोण में बनाया गया है और एक घरौंदे का आकार 13 बाय 13 इंच रखा गया है. पक्षी घर में सर्दी, गर्मी और बरसात के मौसम में लगभग 2 हजार पक्षी सुरक्षित रह सकेंगे. उन्होंने बताया पक्षी घर के निर्माण के लिए स्थान का चयन करते समय इस बात का भी ध्यान रखा है कि पेड़ अधिक हो और अधिक पक्षी रहते हों. राधेश्याम मीना ने बताया कि उनकी मां को बचपन से रोजाना कबूतरों और पक्षियों को दाना डालते देखते आ रहे हैं. इसे देखकर मन में पक्षियों के संरक्षण के लिए इंसानों जैसा घर बनाने की कल्पना आई और माता-पिता की प्रेरणा से दोनों भाईयों ने गांव में पक्षी घर बनाने का मन बनाया.



चबूतरे का भी होगा निर्माण


राधेश्याम मीना ने बताया कि इंटरनेट से पक्षी घर का नक्शा सर्च करके साढ़े तीन माह पहले निर्माण शुरू किया गया था, जो अब अंतिम चरण में है. उन्होंने बताया कि पक्षी घर का निर्माण होने के बाद इसके पास में ही एक चबूतरा का निर्माण कराया जाएगा, जिस पर पक्षियों के लिए दाना डाला जाएगा. पक्षीघर की ऊंचाई अधिक होने से तराई के लिए मजदूर नहीं मिलने के कारण वह स्वयं ही भीषण गर्मी की परवाह किए बगैर सुबह-शाम तराई करते हैं. पक्षी घर के निर्माण में माता-पिता का भी सहयोग मिल रहा है.


पुश्तैनी मकान में परिवार के साथ रहते हैं दोनों भाई


दोनों भाई अपने पुश्तैनी मकान में माता-पिता के साथ रह रहे हैं. पिता किसान है और मां गृहणी है. उनका कहा है, "हमारे मकान में दो पक्के कमरे हैं, जिनपर अभी छत नहीं डलवाई गई है, टीनशेड से काम चलाया जा रहा है. पक्षी घर का निर्माण पूरा होने के बात फिर अपने लिए अच्छा मकान बनाने पर विचार किया जाएगा." लेक्चरर राधेश्याम मीना ने पक्षी घर निर्माण की अनुकरणीय पहल करते हुए समाज से अपेक्षा की है कि लोग इनके लिए बनाएं, ताकि बेजुबान परिंदों को तीनों मौसम गर्मी, सर्दी और बरसात में सुरक्षित रहने के लिए जगह मिल सके.


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