Rajasthan News: लम्पी वायरस के बाद फसलों में भी लगी बीमारी, किसानों की बढ़ी चिंता, कृषि विभाग ने दी ये सलाह
Bundi: उड़द की फसलों में पीला मोजेक रोग-लट का प्रकोप नजर रहा है. मौसम में लगातार नमी, ठंडक और उमस को देखते हुए इस रोग की सघनता और तीव्र गति से फैलने की आशंका है.
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Rajasthan News: राजस्थान में गायों पर लंपी वायरस (Lumpi Virus) के प्रकोप के बाद अब फसलों में भी रोग लगना शुरू हो गया है. रोग लगने से किसानों में चिंता सताने लगी है. यहां उड़द की फसलों में पीला मोजेक रोग-लट का प्रकोप नजर रहा है. मौसम में लगातार नमी, ठंडक और उमस को देखते हुए इस रोग की सघनता और तीव्र गति से फैलने की आशंका है. सोयाबीन-उड़द की फसल में यह रोग जल्दी फैलता है. बूंदी जिले में उड़द की फसल 64 हजार 603 हेक्टेयर में बोई गई है.
क्या कहना है किसानों का
किसान चंद्रप्रकाश ने बताया कि, सोयाबीन में लट का प्रकोप हो गया है. लट आने से आर्थिक नुकसान हो रहा है. किसान बताते हैं कि हमारे खेतों में उड़द पीले होना, ऐंठ जाना, सिकुड़ जाना लक्षण हैं. इन रोगों से पौधे की बढ़वार कम होती. किसानों का मानना है कि बीच-बीच में लगातार बारिश और मौसम में परिवर्तित हो जाना भी नुकसानदायक हो रहा है. यही हालात पूरे प्रदेश भर के किसानों के हैं. वर्तमान में गायों में वायरस का प्रकोप है. उधर किसानों को फसलों में रोग लगने पर एक और चिंता सताने लगी है.
कृषि विभाग ने किसानों को दी सलाह
कृषि विभाग के उपनिदेशक रमेशचंद जैन ने बताया कि, किसान 5-7 दिन के लिए इवरमेक्टिन बेंजो-एट 5 और 180 ग्राम मात्रा या इण्डोक्साकार्ब 15.8 ईसी की 300 मिली मात्रा को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में छिड़काव करें. उड़द की फसल में पीतशिरा मोजेक रोग का प्रकोप बढ़ने पर इमेथोएट 30 ईसी की 1 लीटर मात्रा को 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में छिड़काव करें. उड़द फसल में पीलिया होने पर 5 प्रतिशत फैरस सल्फेट (हरा कसीस) का छिड़काव करें, जरूरत पर छिड़काव को दोहराएं. कृषि रसायनों का छिड़काव सुबह या शाम (ठंडक) में करना चाहिए. खरपतवार दवा काम में लिए स्प्रेयर का प्रयोग अच्छी तरह से साफ करके ही लिया जाए.
धान, मक्का, सोयाबीन का बढ़ा रकबा
पिछले वर्ष की अपेक्षा इस बार धान, सोयाबीन और मक्का का रकबा बढ़ा है. अब तक बारिश भी फसलों के अनुकूल होने से खेतों में फसलें लहलहा रही हैं जिससे किसान उत्साहित हैं. 2 वर्षों से किसानों को खरीफ की फसल में अपेक्षा के अनुरूप पैदावार नहीं मिली है. जिंसों के दाम बढ़ने से किसानों को जैसे सरसों, सोयाबीन-मक्का में जो मुनाफा मिला उसको लेकर बुवाई में फसलों का रकबा बढ़ा है. अब तक खेतों में सोयाबीन की फसल 35 से 45 दिन की हो चुकी है. धान की भी बुवाई अधिक और रोपाई कम हुई हैं, लेकिन बोई गई सभी फसलें लहलहा रही हैं. किसानों का मानना है कि पिछली रवि की फसल में जिन खेतों में सरसों की बुवाई की गई थी उन खेतों में खरीफ की फसल के समय खरपतवार कम होती है और फसल अच्छी होती है. इस बार धान, सोयाबीन, मक्का का रकबा बढ़ा है.
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