Rajasthan News: राजस्थान का चौथा टाइगर रिजर्व (Tiger Reserve) रामगढ़ अभ्यारण्य (Ramgarh Sanctuary) में बाघ गायब हो जाने से वन विभाग के हाथ-पैर फूल गए हैं. यहां बाघ गुम होने का कारण बारिश बन रही है. करीब 5 दिनों से बाघ के पैरों के निशान नहीं मिल रहे हैं. ऐसे में वन विभाग (Bundi forest department) के अधिकारी बाग की तलाश में जुटे हुए हैं.


बता दें कि 4 दिन पहले जैतपुर रेंज के पास बाघ के फुटमार्क मिले थे उसके बाद अभी तक ताजा फुटमार्क नहीं मिले हैं, जिससे अधिकारियों के हाथ-पैर फूल गए हैं. अधिकारियों का कहना है कि बारिश के कारण बाघ के फुटमार्क,  नहीं मिल पाते, हमारे कर्मचारी ट्रैकिंग में लगे हुए हैं. बाघ अपनी टेरिटरी में नियमित रूप से घूमता है. बता दें कि रामगढ़ अभयारण्य में बाघ टी 115 पिछले 2 सालों से घूम रहा है जिसके पग मार्ग 4 अगस्त को वन विभाग को मिले थे उसके बाद से उसका कोई पता नहीं लग सका है. 


बाघिन को जंगल में छोड़ने की तैयारी
चौथा टाइगर रिजर्व घोषित होने के बाद एनटीसीए ने रणथंबोर से बाघिन टी 102 को रामगढ़ अभयारण्य में शिफ्ट करने के निर्देश देने के बाद प्रशासन ने यहां टी 102 को शिफ्ट कर दिया है. वर्तमान में टी 102 वन विभाग के 5 बीघा एंक्लोजर के अंदर है और शिफ्ट करने के बाद रामगढ़ अभ्यारण बाघिन को पसंद आ रहा है. डीएफओ संजीव कुमार ने बताया कि एनटीसीए की गाइडलाइंस के अनुसार बाग-बाघिन को रीलोकेट करने के बाद 21 दिनों तक एंक्लोजर में क्वारंटाइन किया जाता है. इस दौरान उसकी विशेष गतिविधियों और स्वास्थ्य का पूरा विश्लेषण किया जाता है. सभी तरह से फिट होने के बाद बाघ-बाघिन को खुले जंगल में छोड़ने का प्रावधान किया गया है. उन्होंने बताया कि बाघिन 102 को 16 जुलाई को बूंदी के रामगढ़ अभ्यारण में शिफ्ट किया गया था. ऐसे में बाघिन का 21 दिन का क्वॉरेंटाइन समय भी खत्म हो चुका है. एक-दो दिन में बाघिन को जंगल में छोड़ दिया जाएगा. 





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2 सालों से जंगल में घूम रहा है टी-115
रणथंभौर से टी 62 और टी 91 बाघों के यहां आने के बाद अभयारण्य का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है. टी 91 को मुकंदरा शिफ्ट किया गया था और टी 62 वापस लौट गया था. वर्तमान में रणथंभौर से निकला टी-115 यहां बूंदी सेंचूरी में घूम रहा है, जिसे आए हुए दो साल से अधिक हो चुके हैं. बूंदी में प्रस्तावित टाइगर रिजर्व क्षेत्रफल की दृष्टि से मुकंदरा नेशनल पार्क से बड़ा है. सम्पूर्ण इलाका आरक्षित वनों की श्रेणी में आता है और अधिकांश क्षेत्र आबादी विहीन सघन वनों से आच्छादित हैं. पिछले 2 सालों से बाघ यहीं घूम रहा है. वह रोज 20 किलोमीटर का सफर अपनी टेरिटरी में पूरा करता है, उसे रामगढ़ अभ्यारण रास आ गया है. 


घना से लाए जाएंगे 150 चीतल-डीएफओ 
डीएफओ संजीव शर्मा ने बताया कि, टाइगर रिजर्व का गजट नोटिफिकेशन मंजूरी के बाद रिजर्व का बफर और कोर एरिया घोषित हो गया है. यहां राज्य सरकार की ओर से अलग-अलग कार्य के लिए बजट मिलेगा. यहां एनक्लोजर के अलावा सुरक्षा दीवार और फेंसिंग भी होगी, प्रे-बेस ट्रांसलोकेट की प्रोसेस होगी. घना से 150 चीतल लाए जाएंगे. यहां स्टाफ की भर्ती भी होगी साथ ही बॉर्डर होम गार्ड सुरक्षा के लिए लगेंगे. रिजर्व के कर्मचारियों को टाइगर अलाउंस और मैश भत्ता भी मिल सकेगा. यहां टूरिस्ट के लिए अलग-अलग जोन से एंट्री होगी. बूंदी के पर्यटन के लिए यह बड़ी सौगात है. आर्थिक दष्टिकोण से जिलेवासियों को बड़ा फायदा होगा. 


जंगल में नए 6 वनपाल नाके और बनेंगे
रामगढ़ अभयारण्य रिजर्व में डाबी और भीलवाड़ा के क्षेत्र को जोड़कर सर्वे करवाया जा रहा है. सर्वें के अनुसार इन जगहों पर 6 वनपाल नाके स्थापित किए जाने हैं जिसमे उमर पगारां, रामपुरा, बाकां (भीलवाड़ा), गुढ़ा, गवार में नए वनपाल नाके बनाए जाएंगे. इसके साथ ही दलेलपुरा में बना नाका क्षतिग्रस्त होने से यहां भी नया भवन बनाया जाएगा. अभी अभ्यारण्य में आठ वनपाल नाके चल रहे हैं. नाके स्थापित होने के साथ ही अभयारण्य के चारों ओर सुरक्षा मजबूत होगी जिससे शिकार की घटनाएं कम होंगी. 


अभयारण्य का क्षेत्रफल कई गुना बढ़ा
रामगढ़ विषधारी अभयारण्य का क्षेत्रफल पूर्व में 302 वर्ग किलोमीटर था जिसमें वन विभाग ने यहां 8 नाके, 8 चौकियां बनाई थी जहां जंगल और वन्यजीवों की सुरक्षा में वन विभाग के सुरक्षाकर्मी तैनात थे लेकिन टाइगर रिजर्व होने के बाद इसका क्षेत्रफल कई गुना बढकर 1501 वर्ग किलोमीटर हो गया है. जिले का डाबी और भीलवाड़ा जिले का बड़ा हिस्सा बूंदी के टाइगर रिजर्व में शामिल किया गया है. ऐसे में यहां वन पाल, चौकियों की संख्या बढ़ाई जा रही है. हालांकि इसके साथ ही वर्तमान में यहां दो वाचटावर भी हैं.


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