College without Staff: राजस्थान सरकार भले शिक्षा के क्षेत्र में सुविधा देने का दावा करती हो लेकिन बूंदी की असलीयत कुछ और है. नैनवा उपखंड क्षेत्र के बीजेएम राजकीय महाविद्यालय में 2 वर्षों बाद भी स्टाफ की नियुक्ति नहीं हो सकी है. स्टाफ के अभाव में छात्रों की समय पर प्रायोगिक परीक्षा भी नहीं हो पाई. इन दिनों राजस्थान के सभी शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश प्रक्रिया चल रही है. नैनवा के सरकारी कॉलेज में सभी विषयों के लेक्चरर, प्राचार्य से लेकर सहायक कर्मचारी तक का पद खाली है. ऐसे में बिना स्टाफ के 800 छात्रों को खुद ऑनलाइन स्टडी करनी पड़ती है.  


सरकारी कॉलेज में दो वर्षों से नहीं हुई स्टाफ की नियुक्ति


2021 का पूरा सत्र बिना स्टाफ के निकल गया. स्टाफ नहीं होने से एक दिन भी छात्रों की कक्षा नहीं लग पाई. छात्रों को परीक्षा देने के लिए ऑनलाइन पढ़ाई पर निर्भर रहना पड़ा. अब नए सत्र की शुरुआत हो गई है लेकिन अभी तक स्टाफ की बहाली नहीं हो पाई है. ऐसे में हजारों छात्रों का भविष्य खतरे में है. सरकार ने एक प्राचार्य, उप प्राचार्य, एक दर्जन से अधिक लेक्चरर के पदों की स्वीकृत दी है लेकिन आज तक कॉलेज में नहीं आ सके हैं. 


नैनवा का बीजेएम महाविद्यालय पहले निजी हाथों में था. इलाके के छात्रों की मांग पर राज्य सरकार ने वर्ष 2019 में बजट सत्र के दौरान सरकारी कॉलेज का दर्जा दे दिया. एक साल बाद सरकारी कॉलेज में स्टाफ की नियुक्ति के आदेश भी निकाल दिए गए. कॉलेज का पूरी तरह से जिम्मा सरकारी प्रबंधक के हाथों में आ गया. बीजेएम राजकीय महाविद्यालय का अतिरिक्त प्रभार नजदीकी टोंक में उनियारा के राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य दिया गया. सरकारी मंजूरी के दो वर्ष बीत जाने पर भी अभी तक सरकार ने स्टाफ की नियुक्ति नहीं की.


बीजेएम राजकीय महाविद्यालय में 800 छात्र -छात्राएं पढ़ रहे हैं लेकिन ऑनलाइन शिक्षा के माध्मय से. निजी हाथों में कॉलेज रहने के दौरान सैकड़ों छात्रों ने प्रदर्शन कर सरकार से सरकारी दर्जा दिला दिया. मकसद साफ था लोग शिक्षा के प्रति जागरूक बनें. महाविद्यालय में अंतिम वर्ष के छात्र धर्मराज कुमार ने कहा कि हमारा कॉलेज साल भर से बिना स्टाफ के चल रहा है. मुख्यमंत्री ने कॉलेज को सरकारी कर दिया लेकिन स्टाफ की व्यवस्था नहीं की. महाविद्यालय में व्याख्याता नहीं आने से एक दिन भी कक्षाएं नहीं लगी.


रेगुलर छात्रों को भी प्राइवेट छात्र की तरह घर पर पढ़ाई कर परीक्षा देनी पड़ रही है. व्याख्याता नहीं होने से अभी तक प्रयोगी परीक्षा भी नहीं हो पाई है. छात्र रोज कॉलेज आते हैं लेकिन कोई पढ़ाने वाला नहीं मिला. निजी हाथो में कॉलेज का संचालन रहने के दौरान पढ़ाई के लिए व्यख्याता मिल जाते थे.  लेकिन अब नहीं मिल पा रहे हैं. द्वितीय वर्ष के छात्र मुकेश कुमार का कहना है कि व्याख्याता नहीं होने से कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ा है. फिजिकल क्लास के बिना ऑनलाइन पढ़ाई कब तक जारी रहेगी.


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25 किलोमीटर दूर बैठते हैं अतिरिक्त चार्ज वाले प्राचार्य


उनियारा का राजकीय महाविद्यालय नैनवा क्षेत्र से 25 किलोमीटर दूर है. प्राचार्य सप्ताह में एक दिन भी महाविद्यालय नहीं आते हैं. प्राचार्य के नहीं आने से कॉलेज का सामान्य कामकाज भी नहीं हो पाता. छात्रों को प्राचार्य से हस्ताक्षर कराने 25 किलोमीटर दूर दूर जाना पड़ता है. एबीपी न्यूज ने कार्यवाहक प्राचार्य प्रमोद कुमार से बातचीत की. उनका साफ तौर से कहना है कि नैनवा महाविद्यालय में कोई स्टाफ नहीं है और समय पर प्रायोगिक परीक्षा नहीं हो पाई. विश्वविद्यालय की परीक्षा के बाद ही प्रायोगिक परीक्षा होगी. नैनवा कॉलेज की परीक्षाओं के आयोजन के लिए भी उनियारा महाविद्यालय में एक ऑफिसर को केंद्र अध्यक्ष बनाना पड़ेगा. बूंदी जिले के सभी सरकारी कॉलेज की परीक्षा कोटा-टोंक यूनिवर्सिटी के माध्यम से होती है.


छात्र ऑनलाइन आवेदन कर साल भर पढ़ाई करता है. परीक्षा की तारीख घोषित होने के साथ संबंधित कॉलेज में परीक्षा का आयोजन होता है. लेकिन नैनवा के सरकारी कॉलेज में ऑनलाइन आवेदन करने के बाद ना तो क्लास लगती है और ना ही क्लास लेने वाला कोई लेक्चरर. छात्रों को अपने स्तर पर पढ़ाई कर पेपर देना पड़ रहा है. ये सरकार के सभी दावों की पोल खोल देता है. प्रदेश के पहले सरकारी कॉलेज में छात्रों हैं लेकिन पढ़ाने वाला कोई नहीं. कॉलेज में ऐच्छिक विषय हिंदी, अंग्रेजी, राजनीति, विज्ञान, इतिहास, भूगोल,समाजशास्त्र व चित्रकला के संचालन करने की स्वीकृति जारी की हुई है  लेकिन विषय के स्टाफ को अभी तक लगाया नहीं गया है.


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