Tigress T-102 News: राजस्थान (Rajasthan) के बूंदी (Bundi) में रामगढ़ टाइगर रिजर्व (Ramgarh Tiger Reserve) में बीते 46 दिन पहले रामगढ़ महल के सॉफ्ट एनक्लोजर में छोड़ी गई बाघिन टी-102 को बुधवार को टाइगर रिजर्व में छोड़ दिया गया. अब जल्द ही बाघ का कुनबा बढ़ने की उम्मीद जताई जा रही है. रामगढ़ अभ्यारण्य में पहले से ही एक बाघ विचरण कर रहा है. जल्द ही अब अभ्यारण्य रामगढ़ में शावक देखने को मिल पाएंगे. बाघिन टी-102 को रणथंबोर से बूंदी रामगढ टाइगर रिजर्व में शिफ्ट करने के बाद प्रोटोकॉल के तहत जल्द ही बाघिन को आजाद किया जाना था.


बारिश और एनटीसी की परमिशन में देरी होने के चलते अब बाघिन को सुरक्षित बाहर छोड़ दिया गया है. वन विभाग के सूत्रों की मानें तो टाइगर टी-115 एंक्लोजर के आस-पास ही है और टाइगर का मूवमेंट वहीं बना हुआ है. रामगढ़ अभ्यारण के डीसीएफ संजीव शर्मा ने बताया कि बाघिन 102 पूरी तरह से सुरक्षित है. समय-समय पर स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है.  उन्होंने कहा कि एन्क्लोजर में आने के बाद लगातार हमारी टीम में उसकी मॉनिटरिंग कर रही थी. पहले दिन आने के बाद बाघिन को रामगढ़ अभ्यारण का वातावरण रास आ गया और वह अच्छे से घूमती रही और शिकार करती रही.


आज बुधवार को बाघिन को रिलीज करने के एनटीसीए से आदेश मिलने के बाद बाघिन को रिलीज कर दिया गया. बाघिन जैसे ही एंक्लोजर से आजाद हुई इधर-उधर देखने लगी और अपनी दहाड़ लगाई. आसपास देखने के बाद बाघिन जंगल की तरफ बढ़ गई. डीसीएफ संजीव शर्मा ने बताया कि बाघिन की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है. उन्होंने कहा कि पैदल और वाहन से अलग-अलग टीमें बनाकर बाघिन की ट्रेकिंग की जा रही है. 


16 जुलाई को यहां आयी थी बाघिन


टाइग्रेस को 16 जुलाई को सवाई माधोपुर रणथम्भौर टाइगर रिजर्व से टी-102 को ट्रेंकुलाइज कर बूंदी लाया गया था. यहां वन अधिकारियों और डॉक्टर्स की मौजूदगी में सड़क मार्ग से बाघिन को रामगढ़ अभ्यारण्य लाया गया था. जहां रामगढ़ विषधारी टाइगर रामगढ़ महल के सॉफ्ट एनक्लोजर में स्वास्थ्य जांच के बाद में उसे कड़ी सुरक्षा के बीच छोड़ा गया था. अब उम्मीद जताई जा रही है कि अक्टूबर माह से रामगढ़ अभ्यारण्य टाईगर रिजर्व क्षेत्र में आमजन सफारी का लुत्फ उठा पाएंगे जिससे बूंदी के पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और रोजगार के नए अवसर खुलेंगे. इस दौरान मुकंदरा के क्षेत्रीय निर्देशक शारदा प्रताप सिंह, जिला पुलिस अधीक्षक जय यादव, रामगढ़ विषधारी अभ्यारण उपनिर्देशक संजीव शर्मा, एसीएफ तरुण कुमार मेहरा, रामगढ़ रेंजर रामप्रसाद बोयत, धर्मराज गुर्जर सहित ट्रेकिंग टीम, डॉक्टर्स और बड़ी संख्या में वन कर्मी मौजूद थे.


रामगढ़ अभ्यायरण है मैटरनिटी होम


वन्यजीव प्रेमी बिट्टल कुमार सनाढ्य ने बताया कि बूंदी का रामगढ़ अभयारण्य सदियों से बाघों के लिए मैटरनिटी होम (जच्चाघर) के रूप में प्रसिद्ध रहा है. जंगल बाघों के लिए सदियों से बेहतर आश्रय स्थल रहे हैं. रामगढ़ का उत्तम प्राकृतिक वातावरण और इसके बीच में बहने वाली मेज नदी की खूबसूरत वादियों में बाघों की दहाड़ ने ही इसे भारत का एक प्रमुख अभयारण्य होने का गौरव बनाया. रणथंभौर से टी-62 और टी-91 बाघों के यहां आने के बाद अभयारण्य का स्वरूप पूरी तरह बदल गया है. टी-91 को मुकंदरा शिफ्ट किया गया था और टी-62 वापस लौट गया था.


वर्तमान में रणथंभौर से निकला टी-115 यहां सेंचूरी में घूम रहा है जिसे आए हुए 2 साल से ज्यादा समय हो चुका है. प्रस्तावित टाइगर रिजर्व में इंद्रगढ़ से जैतपुर तक का रणथंभौर टाइगर बफर जोन, रामगढ़ विषधारी वन्यजीव अभयारण्य, देवझर से भीमलत महादेव तक का कालदां का सघन वन क्षेत्र, गरड़दा और भीलवाड़ा जिले में बांका-भोपतपुरा के जंगल शामिल किए गए हैं. बूंदी टाइगर रिजर्व क्षेत्रफल की दृष्टि से मुकंदरा नेशनल पार्क से बड़ा होगा.


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