Bundi News: बूंदी शहर में स्थानीय लोगों की अनूठ पहल, सात गलियों के मुख्य द्वार पर लिखा बेटियों का नाम
पार्षद टीकम जैन ने बताया कि देश में बेटियों से लगातार दरिंदगी हो रही है. बेटियों के साथ दरिंदगी से मन बहुत आहत होता है. पूरे देश में अनूठी छाप छोड़ने के लिए मार्गों पर बेटियों का नाम रखने की सोची.
Bundi News: बूंदी शहर में स्थानीय लोगों और क्षेत्रीय पार्षद की पहल अनूठी छाप छोड़ रही है. बेटियों के सम्मान में गली के मुख्य द्वार बनाए गए हैं. मुख्य द्वार पर इलाके की रहने वाली बेटियों के नाम लिखे गए हैं. मकसद है बेटियां आगे बढ़ें और कंधे से कंधा मिलाकर देश की तरक्की में योगदान दें. नैनना रोड क्षेत्र की कॉलोनियों में 7 गेटों पर बेटियों का नाम लिखकर अनूठी छाप छोड़ी गई है. कॉलोनियों में 15 से 20 हजार परिवार रहते हैं. परिवार के सदस्य रोज तीन दरवाजों से होकर गुजरते हैं और बेटियों के नाम देखकर काफी खुश होते हैं.
मुख्य द्वार पर लिखा बेटियों का नाम
इंदिरा कॉलोनी के सात मुख्य मार्गों को बेटियों का नाम पूर्णिमा मार्ग, अक्षिता मार्ग, कीर्तिका मार्ग, सृष्टि मार्ग, भाविनी मार्ग, अनुप्रिया मार्ग और अंजली मार्ग रखा गया है. अब तक इन गलियों को भटनागर वाली गली, सरदार जी के स्कूल की गली, तेजाजी के मंदिर के सामने वाली गली, सदरू की चक्की वाली गली के नाम से जाना पहचाना जाता था.
बेटा बेटी में फर्क मिटाने की पहल
स्थानीय पार्षद टीकम जैन ने बताया कि देश में बेटियों से लगातार दरिंदगी हो रही है. बेटियों के साथ दरिंदगी से मन बहुत आहत होता है. पूरे देश में अनूठी छाप छोड़ने के लिए मार्गों पर बेटियों का नाम रखने की सोची और क्षेत्र के लोगों से बातचीत कर संबंधित इलाके की बच्चियों का नाम लॉटरी सिस्टम से चयन किया गया. बुजुर्गों के साथ मिलकर बेटियों के नाम की लॉटरी निकाली. जिस लॉटरी में बेटी का नाम आया उस बेटी का नाम दरवाजे पर उसके नाम से लिख दिया गया. एक नहीं करीब 7 दरवाजे पर बेटियों के नाम लिखे गए. पार्षद टीकम जैन ने बताया कि हर पार्षद को अपने वार्ड में काम कराने के लिए पांच लाख का बजट मिला था. उसके तहत उन्होंने सातों मार्गों पर गेट बनवाकर बेटियों का नाम रखा गया.
बूंदी से छोटी शुरुआत की सोच बड़ी
क्षेत्र की रहने वाली यामिनी हाड़ा, नलिनी भारती ने बताया कि गेटों पर बेटियों के नाम लिखना काफी अच्छी पहल है. इससे हमारा मनोबल बढ़ेगा और बेटा बेटी का फर्क भी मिटेगा. एक छोटी शुरुआत बूंदी शहर से की गई है लेकिन इसकी सोच काफी बड़ी है. बूंदी शहर की तरह अन्य शहरों में भी इस तरह के नवाचार करने की मांग की. आज के युग में बेटी किसी से पीछे नहीं है. हर सेक्टर में बेटियों का बोलबाला है. जब हम इन गेटों पर बेटियों का नाम देखते हैं तो काफी गर्व महसूस करते हैं कि हमारे क्षेत्र में ऐसे लोग भी हैं जो बेटा बेटियों में फर्क नहीं रखते और कंधे से कंधा मिलाकर देश की तरक्की में योगदान दे रहे हैं.
Udaipur: बिहार के पूर्णिया में हुए दर्दनाक सड़क हादसे में Rajasthan के 8 मजदूरों की मौत, 5 घायल