Bundi festival: धूमधाम से मनाया जाएगा 'बूंदी उत्सव', राजस्थान की संस्कृति देखने के लिए उमड़ेगी पर्यटकों की भीड़
राजस्थान में एक बार फिर बूंदी फेस्टिवल का आयोजन किया जाएगा. जिसमें पर्यटकों की भीड़ उमड़ने की संभावना है. इस उत्सव में पर्यटक राजस्थान की संस्कृति देखने को मिलेगी.
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Bundi festival: राजस्थान जो अपनी ऐतिहासिक संस्कृति और कला के लिए जाना जाता है.यहां पर आए दिन कई कार्यक्रम और उत्सव आयोजित किए जाते है. इसी कड़ी में यहां एक बार फिर बूंदी उत्सव का आयोजन किया जाएगा. हर साल कोटा से करीब 36 किलोमीटर दूर बूंदी शहर में इस उत्सव का आयोजन होता है. ये उत्सव राजस्थान के राजसी इतिहास की झलक को दिखाता है. राजस्थान का बूंदी शहर जहां अक्सर पर्यटक घूमने आते हैं. ये शहर आज भी अपने इतिहास और सौंदर्य को अपने आंचन में समेटे हुए है.
इस उत्सव में कई रंगा-रंग कार्यक्रम आयोजित किए जाते है. जो लोग राजस्थान को करीब से देखना चाहते हैं वो इस उत्सव में इसकी झलक देख सकते हैं. राजस्थान के हड़ौती क्षेत्र में स्थित बूंदी शहर में मनाया जाने वाला यह उत्सव प्रदेश की संस्कृति से रूबरू होने का एक अच्छा जरिया है. ये उत्सव हर साल नवंबर के महीने में मनाया जाता है. जिसमें राजस्थान की संस्कृति, लोक कला और परंपराओं के खूबसूरत रंग देखने को मिलते हैं. इस उत्सव के दौरान यहां बेहद चहल-पहल देखने को मिलती है.आमतौर पर तो राजस्थान में देशी और विदेशी पर्यटकों की भीड़ लगी ही रहती है, लेकिन इस उत्सव के दौरान काफी संख्या में यहां विदेशी पर्यटक आते हैं.
इस उत्सव की शुरुआत साल 1995 में जन सहयोग से की गई थी.साल 1995 इसकी रूपरेखा तैयार हुई थी और साल 1996 में पहला बूंदी उत्सव आयोजित हुआ था.और पहला बूंदी उत्सव पूरी तरह जन भगीदारी से किया गया था. तत्कालीन जिला कलेक्टर मधुकर गुप्ता ने आम जन को इस उत्सव से जोड़ने के लिए इसकी पहल की थी. उन्होंने साल 1995 में इंटेक के कोटा में हुए लेखक नेचर प्रमोटर एवं ख्यातनाम फोटोग्राफर एएच जैदी के कार्यक्रम में हेरिटेज ऑफ हड़ौती स्लाइड शो देखा था. वह इससे प्रभावित हुए, इसके बाद सभी के सहयोग से बून्दी उत्सव आयोजित किया गया था.
इस बार आयोजित किए गए इस बूंदी उत्सव में बून्दी गढ़ पैलेस में हेरिटेज ऑफ हड़ौती फोटो प्रदर्शनी लगाई गई है. जिसमें लगभग 10 हजार विदेशी पर्यटकों ने इस प्रदर्शनी का अवलोकन कर राजस्थान के पर्यटन स्थलों के बारे में जाना और इस साल पहली बार इस उत्सव में सभी धर्मों के धर्म गुरूओं ने भी शिरकत की है. सभी अपनी पारम्परिक परिवेश में उत्सव में पधारेंगे. अलग अलग व्यापारियों, स्वयंसेवी संगठनों और प्रशासन के भरपूर सहयोग से इस बूंदी उत्सव की आज देश में अपनी एक अलग पहचान है.
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