Rajasthan News: राजस्थान सरकार में कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह के बेटे अनिरुद्ध सिंह और लगभग 250 लोगों के खिलाफ नदबई थाने में मामला दर्ज होने के बाद अनिरुद्ध चौधरी ने समाज की महापंचायत करने का एलान किया है. उन्होंने कहा कि जल्द ही मोती महल के परिसर में समाज की महापंचायत का आयोजन किया जाएगा.


बता दें कि 13 अप्रैल को नदबई में बैलारा चौराहे पर मूर्ति स्थापना को लेकर विवाद हो गया था जहां अनिरुद्ध सिंह ने जाकर  महाराजा सूरजमल की तस्वीर लगा दी थी. इस बात को लेकर नदबई थाने में अनिरुद्ध सिंह व अन्य ढाई सौ लोगों के खिलाफ नदबई थाना प्रभारी राम अवतार मीणा ने धारा 147, 149, 153, 186, 353 और 505 के तहत मामला दर्ज कराया.


अनिरुद्ध ने वीडियो जारी कर दी सफाई


नदबई में मामला दर्ज होने के बाद अनिरुद्ध सिंह ने एक वीडियो जारी किया है जिसमें उन्होंने कहा कि महारानी साहिबा भरतपुर और मैंने निर्णय लिया है कि कुछ दिनों में मोती महल के परिसर में अपने समाज की एक महापंचायत का आयोजन किया जाएगा. समाज के साथ ही उस दिन यह फैसला लिया जाएगा कि अगर मेरी गलती है तो मेरी मां मुझे अपनी गाड़ी में बैठा कर नदबई एसएचओ के हवाले करके आएंगी.


आप लोगों का प्यार और वाह वाही पूरे सोशल मीडिया न्यूज़ चैनल पर फैलने लगी. इस चीज को देखकर कई नेता इन सिक्योर हो गए और उनकी इमारतों की नींव हिलने लगी. फिर उन्होंने पुलिस प्रशासन और कांग्रेस के साथ मिलकर एक षड्यंत्र रचा और मेरे और मेरी टीम के खिलाफ नदबई थाने में एफआईआर दर्ज करा दी. महाराजा सूरजमल इस दिन के लिए शहीद नहीं हुए थे कि पुलिस और लोगों के बीच अहिंसा हो.


'स्थानीय लोगों की इच्छा से मूर्ति लगाई जाती है'


वीडियो के जरिए अनिरुद्ध ने कहा कि दरअसल मामला ये है कि कोई भी मूर्ति किसी भी महापुरुष की या भगवान की अगर कहीं लगाई जाती है तो स्थानीय लोगों की सहमति से लगाई जाती है. स्थानीय लोग क्या चाहते हैं उनकी इच्छा से फिर वहां पर मूर्ति लगाई जाती है. पिछले साढ़े 4 साल से बेलारा के निवासी चाहते थे कि इस स्थान पर महाराजा सूरजमल की मूर्ति लगाई जाए.


यह जाट बाहुल्य क्षेत्र है, महाराजा सूरजमल भरतपुर के संस्थापक हैं और मैं उनकी 15वीं पीढ़ी हूं. वहां के स्थानीय विधायक और कांग्रेस पार्टी दोनों ही उस जगह मूर्ति लगाने के खिलाफ थे क्योंकि वे शहर की सोशल इंजीनियरिंग को डिवाइड करके फिर से आप लोगों पर राज करना चाहते थे. कांग्रेस पार्टी की यह पुरानी मेट्रोलॉजी रही है.


अनिरुद्ध ने कहा कि साढ़े 4 साल गुजर गए और वहां के लोग मांग करते रहे कि हमारे पूर्वज व भरतपुर के संस्थापक महाराजा सूरजमल की मूर्ति लगाई जाए लेकिन मूर्ति नहीं लगाई गई. फिर लोकल विधायक ने पीछे से बिना स्थानीय लोगों की सहमति से एक दूसरे महापुरुष की मूर्ति लगवाने की परमिशन ले ली.


'हमने जो किया क्या वह पाप है'


13 तारीख को मैं बैलारा पहुंचा. हमने बिना किसी वायलेंस, बिना किसी अग्रेशन के बिना किसी भी समाज के नेगेटिव टिप्पणी के एक मीटिंग की थी और मीटिंग में जनता का भाव सामने आया और भाव यह था कि यहां पर महाराजा सूरजमल की मूर्ति का स्थापन करना चाहिए. फिर मैं उस मीटिंग से उठकर जनता के साथ शांतिपूर्ण तरीके से मूर्ति स्थल की ओर गयाऔर वहां पर मैंने भूमि पूजन कर के महाराजा सूरजमल की तस्वीर की स्थापना कराई.


महाराजा सूरजमल मेरे लिए सब कुछ हैं. हमारी कौम के लिए सब कुछ हैं, इस पूरे प्रोसेस के दौरान एक भी लाठीचार्ज नहीं हुआ. हमारी टीम द्वारा कोई नेगेटिव शब्द नहीं बोला गया, कोई भी नेगेटिव नारेबाजी नहीं हुई. किसी भी महापुरुष के खिलाफ कोई बयानबाजी नहीं हुई. सभी लोग निहत्थे थे. सभी लोग शांत थे केवल महाराजा सूरजमल और जय श्रीराम के नारे लग रहे थे तो क्या यह पाप है?


'कुछ नेता इंसिक्योर हो गए और एफआईआर दर्ज करवा दी'


उन्होंने कहा कि मूर्ति स्थापन के बाद कुछ लोग वायलेंस की वजह से एक दिन पहले थाने पहुंच गये थे. मैं उनको मिलने गया, मेरे साथ एक एडिशनल साहब थे जो राजस्थान पुलिस के थे वो बड़े प्यार से मुझे अपनी गाड़ी में बैठा कर वहां ले गए. वहां मेरी सबके साथ मुलाकात करवा कर मुझे बाहर तक छोड़ने भी आए. अगर मैंने या मेरी टीम ने वहां कोई अवैध हरकत करी होती तो पुलिस प्रशासन को मुझे वहीं रोकना चाहिए था.


उन्होंने तो मुजे नहीं रोका और मैं घर वापस आ गया. फिर जैसे ही आप लोगों का प्यार, वाह-वही सारे सोशल मीडिया, ट्विटर, न्यूज़ चैनल पर फैलने लगी तो इस चीज को देखकर कई नेता इंसिक्योर हो गये. उनकी इमारतों की नींव हिलने लगी. फिर उन्होंने पुलिस प्रशासन के साथ कांग्रेस सरकार के साथ मिलकर एक षड्यंत्र रचा और मेरे और मेरी टीम के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवा दी.


'अगर में गलत हूं तो मेरी मां खुद मुझे पुलिस के हवाले करके आएंगी'


 बड़े दुख की बात है कि भरतपुर जैसे क्षेत्र में महाराजा सूरजमल की मूर्ति शांतिपूर्ण तरीके से लगाने के पश्चात पुलिस ने कार्यवाई करने की सोची. मित्रों, मैं इस कार्यवाई को हल्के में नहीं ले रहा हूं क्योंकि यह मैटर समाज का है. मेरी माता जी महारानी साहब भरतपुर और मैंने यह फैसला लिया है कि कुछ दिनों में हम लोग मोती महल परिसर में अपने समाज की महापंचायत करेंगे और इस महापंचायत में एक मां अपने बेटे का पक्ष रखेंगी कि उसने समाज के लिए काम किया है.


अगर समाज उस दिन यह फैसला लेगा कि मेरी गलती है तो मेरी मां मुझे अपनी गाड़ी में बैठाकर तुरंत एसएचओ नदबई के हवाले करके आएंगी. अगर आप लोगों ने फैसला लिया कि मेरा जो निर्णय था वो समाज के हित में था, महाराजा सूरजमल की वंशावली के हित में था तो आपके प्यार और सम्मान के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं होंगे.  मैं आपके सामने नतमस्तक रहूंगा. जय श्रीराम जय महाराजा सूरजमल.



क्या था पूरा मामला
गौरतलब है कि नदबई नगर पालिका द्वारा तीन चौराहे पर महापुरुषों की मूर्ति लगाने का प्रस्ताव पारित किया था. नगर पालिका द्वारा बेलारा चौराहे पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की मूर्ति, कुम्हेर चौराहे पर महाराजा सूरजमल की मूर्ति और नगर चौराहे पर भगवान परशुराम की मूर्ति लगाने का निर्णय लिया था लेकिन स्थानीय लोग बेलारा चौराहे पर महाराजा सूरजमल की मूर्ति लगाने की मांग करने लगे.


स्थानीय लोगों द्वारा बेलारा चौराहे पर धरना भी शुरू किया था. धरना स्थल पर कैबिनेट मंत्री विश्वेंद्र सिंह ने पहुंचकर स्थानीय लोगों को आश्वस्त किया था कि बेलारा चौराहे पर महाराजा सूरजमल की मूर्ति लगाई जायेगी जिसके लिए 7-8 दिन में कमेटी निर्णय ले लेगी. स्थानीय लोगों ने मंत्री विश्वेंद्र सिंह की बात पर अपना धरना समाप्त कर दिया था लेकिन स्थानीय विधायक जोगिंदर सिंह अवाना और विश्वेंद्र सिंह द्वारा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बेलारा चौराहे पर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की मूर्ति लगाने, मोटेरा चौराहे पर महाराजा सूरजमल की मूर्ति लगाने के आह्वान के बाद लोगों ने 12 अप्रैल की रात को रोड पर टायर जलाकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया.


सूचना पर रात को पहुंची पुलिस पर भी लोगों द्वारा पथराव किया गया. पुलिस द्वारा आंसू गैस के गोले भी छोड़े गए तथा लाठीचार्ज कर वहां से लोगों को खदेड़ा गया.


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