Chaitra Navratri 2023: भरतपुर जिले के बयाना उपखण्ड स्थित माता कैलादेवी झील का बाड़ा में चैत्र नवरात्रि पर लक्खी मेला (Lakhi Mela) लगेगा. इस बार मेला स्थल की निगरानी सीसीटीवी कैमरों से की जाएगी. देवस्थान विभाग चिकित्सा सुविधा, अग्निशमन वाहन के साथ सुरक्षा की पर्याप्त व्यवस्था करेगा. झील का बाड़ा मंदिर में चैत्र नवरात्रि पर जात का अनुष्ठान और मुंडन कराने हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं.
देवस्थान विभाग की सुपुर्दगी में कैलादेवी झील का बाड़ा मंदिर है. दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश से लाखों श्रद्धालु कैलादेवी झील का बाड़ा मंदिर में हाजिरी लगाने आते हैं. कैलादेवी झील का बाड़ा माता मंदिर भरतपुर से 30 किलोमीटर दूर अरावली पर्वत माला की गोद में है.
कैलादेवी झील का बाड़ा माता मंदिर का जानिए इतिहास
जानकारी के अनुसार वर्ष 1923 में प्राचीन कैलादेवी झील का बाड़ा मंदिर का पुनरुद्धार महारानी गिर्राज कौर ने कराया था. भरतपुर के महाराजा बृजेंद्र सिंह इसी मंदिर में अष्टमी की पूजा करते थे. राजपरिवार की कुल देवी के रूप में कैलादेवी झील का बाड़ा माता पूजी जाती हैं. मंदिर परिसर में महाराजा बृजेंद्र सिंह ने रवि कुंड सरोवर का निर्माण कराया था. रियासत काल में मंदिर परिसर के बीच बहुत बड़ा टेंट लगाया जाता था.
टेंट में भरतपुर के महाराजा बृजेंद्र सिंह जल्दी पहुंचकर स्नान करते थे. स्नान करने के बाद माता की पूजा अर्चना किया करते. मंदिर में महाराजा की पूजा के लिए विशेष व्यवस्था की जाती थी. रियासतकाल में एक छोटा सा कक्ष भी बनाया जाता था.
राजपरिवार की कुल देवी के रूप में पूजी जाती हैं कैलादेवी
ग्रामीण क्षेत्र के भजन गायकों की कक्ष में प्रस्तुति होती थी. महाराजा दिन भर देवी माता के दरबार में रहते थे और शाम की आरती के बाद महल वापस आ जाते थे. कैलादेवी झील का बाड़ा माता मंदिर के महंत ब्रज किशोर ने बताया है कि रियासतकाल में मंदिर का निर्माण राजपरिवार ने करवाया था और कैलामाता मंदिर की संपत्ति राजपरिवार की रही है. भरतपुर महाराजा ने मंदिर को देवस्थान विभाग के सुपुर्द कर दिया है. कैला देवी झील का बाड़ा मंदिर की देखभाल देवस्थान विभाग की तरफ से होता है.
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