Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि के पहले दिन राजस्थान के इस मंदिर में लगा भक्तों का तांता, यहां चूहों को भोग लगाने की है परंपरा
Chaitra Navratri: करणी माता मंदिर में चूहे होने के पीछे की मान्यता है कि अगर कोई देपावत चारण मरता है तो वह माता के मंदिर में चूहा बनकर जन्म लेता है. बता दें देपावत करणी माता के पारिवार के सदस्य हैं.
Chaitra Navratri 2024: आज यानी (9 अप्रैल) से देशभर में चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में आज राजस्थान (Rajasthan) के बीकानेर (Bikaner) के करणी माता मंदिर में सैंकड़ों भक्तों ने पूजा-अर्चना की. वहीं इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां 20 हजार से भी ज्यादा चूहे रहते हैं और इन्हें पूजा के बाद भोग लगाया जाता है.
मंदिर में काले चूहों के साथ कुछ सफेद चूहे भी देखने को मिलते हैं. मंदिर में इन चूहों का दर्शन करना काफी शुभ माना जाता है. श्रद्धालुओं के बीच इन चूहों को काबा के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर को चूहों वाली माता, चूहों वाला मंदिर और मूषक मंदिर के नाम से भी जाना जाता है.
#WATCH राजस्थान: चैत्र नवरात्रि के पहले दिन बीकानेर के करणी माता मंदिर में भक्तों ने पूजा-अर्चना की।
— ANI_HindiNews (@AHindinews) April 9, 2024
बीकानेर के करणी माता मंदिर में चूहों को भोग लगाने की मान्यता है। pic.twitter.com/BijVjsMF2d
क्या है इसके पीछे की मान्यता?
मंदिर में चूहे होने के पीछे की मान्यता ये है कि अगर कोई देपावत चारण मरता है तो वह करणी माता के मंदिर में चूहा बनकर जन्म लेता है. बता दें कि देपावत करणी माता के पारिवार के सदस्य हैं. बता दें इस मंदिर का निर्माण बीकानेर रियासत के महाराजा गंगा सिंह ने करवाया था. यह मंदिर बहुत ही भव्य और सुंदर है, जिसके मुख्य दरवाजे चांदी के हैं.
चूहों को भोग लगाने के बाद मिलता है प्रसाद
वहीं मंदिर के अंदर माता के लिए सोने का छत्र और चूहों के प्रसाद के लिए चांदी की बड़ी परातें हैं. करणी माता को बीकानेर राजघराने की कुलदेवी कहा जाता है और यहां पर रहने वाले सफेद चूहे माता के वाहन माने जाते हैं. बता दें इस मंदिर में इतने सारे चूहे रहने के बाद भी यहां पर बदबू नहीं आती है. साथ ही आज तक कोई बीमारी नहीं फैली.
सबसे बड़ी बात यह है कि इस मंदिर में भक्तों को प्रसाद चूहों का झूठा किया हुआ दिया जाता है. इससे लोग बीमार नहीं होते हैं और स्वस्थ रहते हैं. इस मंदिर में लोग पैर उठाकर चलने के बजाय घसीटकर चलते हैं, ताकि कोई चूहा पैरों के नीचे ना आ जाए, जो अशुभ माना जाता है.