Dacoit of Chambal Jagan Gurjar: धौलपुर जिले के बीहड़ में एक से एक दुर्दांत डाकू गुजरे हैं. डाकू बनने की सबकी परिस्थितियां अलग-अलग रही हैं. कुख्यात डाकुओं की फेहरिस्त में एक नाम दूध बेचने वाले जगन गुर्जर का भी है. बताया जाता है कि इंतकाम की आग ने जगन गुर्जर को डाकू बनने पर मजबूर कर दिया. जगन गुर्जर के पिता शिवचरण गुर्जर स्थानीय लोक देवता बाबू महाराज मंदिर में पूजा अर्चना करते थे. कहा जाता है कि 1994 में बाबू महाराज मंदिर की कमेटी के सदस्यों ने प्रसाद वितरण विवाद में शिवचरण गुर्जर को अपमानित कर दिया.


दूध विक्रेता से दुर्दांत डाकू बनने की कहानी


जगन गुर्जर पिता के अपमान से आहत हो गया. गुस्से में जगन गुर्जर ने कमेटी के सदस्यों की पिटाई कर दी. घटना ने दूध बेचने वाले युवक को डकैत बना दिया. जगन गुर्जर बीहड़ के मोहन डकैत की गैंग में शामिल हो गया. मोहन गुर्जर की गैंग में शामिल होने के बाद जगन गुर्जर का आतंक क्षेत्र में बढ़ता गया. जीजा की जमीनी विवाद में हत्या के बाद भी जगन गुर्जर डकैत मोहन गुर्जर की गैंग से जुड़ा रहा. डकैत मोहन गुर्जर के रिश्तेदारों ने जीजा की हत्या कर दी थी.




5 साल तक मोहन गुर्जर की गैंग में रह कर जगन गुर्जर लूटपाट करता रहा. 1999 में जगन गुर्जर का डकैत मोहन गुर्जर के साथ विवाद हो गया. मामला जीजा की हत्या से जुड़ा था. जगन गुर्जर ने मोहन गुर्जर को मौत के घाट उतारकर जीजा की हत्या का बदला लिया और मोहन गुर्जर की गैंग का सरदार बन गया. सरदार बनते ही जगन गुर्जर ने अपनी गैंग में तीनों भाइयों को शामिल कर लिया. जगन गुर्जर का तीन राज्यों राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश तक आतंक फैल गया. हत्या, लूट, अपहरण, रंगदारी की वारदातों से जगन गुर्जर कुख्यात हो गया.


लूट, अपहरण, हत्या, रंगदारी के मामले दर्ज


थानों में जगन गुर्जर पर करीब 123 से भी ज्यादा लूट, अपहरण, हत्या, रंगदारी के मामले दर्ज हैं. जगन गुर्जर पुलिस की गिरफ्त में कभी नहीं आया. पुलिस का घेरा जगन गुर्जर के खिलाफ सख्त होता जा रहा था. आखिरकार 2001 में धौलपुर के तत्कालीन एसपी बीजू जॉर्ज जोसफ के सामने सरेंडर कर दिया. जमानत होने के बाद जगन गुर्जर जेल से बाहर आ गया. जेल से बाहर आने के बावजूद जगन गुर्जर का आतंक बरकरार था. 2008 में गुर्जर आन्दोलन ने जोर पकड़ा. उस समय बीजेपी की सरकार थी और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे थीं.


जेल से छूटने के बावजूद नहीं कम हुआ आतंक


किरोड़ी सिंह बैंसला की अगुवाई में गुर्जर समाज ने मई 2008 में भरतपुर के पीलूपरा में रेलवे ट्रैक जाम कर दिया. गुर्जर आंदोलन के दौरान कई लोगों की जान चली गई. जगन गुर्जर ने मुख्यमंत्री के महल को आग लगाने की चेतवनी दी. मुख्यमंत्री को धमकी के बाद सरकार ने जगन गुर्जर पर 11 लाख रुपये का इनाम घोषित कर दिया. पुलिस का दबाव बढ़ने के बाद जगन गुर्जर ने 30 जनवरी 2009 को कांग्रेस नेता सचिन पायलट के समक्ष सरेंडर कर दिया.


लगभग 8 वर्ष जेल में रहने के बाद जगन गुर्जर बाहर आया. बताया गया है कि जगन गुर्जर ने जेल से बाहर आकर राजनीति में हाथ आजमाने की कोशिश की. पत्नी ममता को 2017 में धौलपुर विधानसभा उपचुनाव लड़वाया. जगन गुर्जर की पत्नी चुनाव बुरी तरह हार गई. पत्नी की हार के बाद जगन गुर्जर फिर लोगों पर दबाब बनाने लगा. जगन गुर्जर का आतंक बढ़ता देख पुलिस ने भी दबाव बनाना शुरू कर दिया. उसके बाद जगन गुर्जर ने एनकाउंटर के डर से 19 अगस्त 2018 को तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक मालिनी अग्रवाल के सामने सरेंडर कर दिया.


जगन गुर्जर फिर जेल चला गया और लगभग 6 महीने जमानत हो गई. जेल से बाहर आने के बाद जगन गुर्जर कभी चैन से नहीं रहा. पुलिस जगन को पकड़ कर फिर जेल भेज देती. जगन गुर्जर को धौलपुर से अजमेर जेल में भी शिफ्ट किया गया. जगन गुर्जर दिसंबर 2021 में जमानत पर फिर जेल से बाहर आ गया. बाड़ी विधायक गिर्राज सिंह मलिंगा के खिलाफ जगन गुर्जर का एक वीडियो वायलर हुआ.


वीडियो में बाड़ी विधायक को जान से मारने की धमकी दी गई थी. विधायक को जान से मारने की धमकी के बाद जगन गुर्जर पर 50 हजार का इनाम घोषित कर दिया गया. पुलिस ने कई टीम गठित कर जगन गुर्जर की तलाश शुरू की. आखिरकार करौली की पुलिस ने जंगल में दबिश देकर पकड़ लिया.


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