Pancham Singh: 100 लोगों की हत्या करने वाला, एक करोड़ का इनामी कैसे बना 'योगी'? चंबल के खूंखार डाकू पंचम सिंह की कहानी
Chambal Dacoit Pancham Singh: 1960-70 के दशक में चंबल का बादशाह पंचम सिंह 550 डाकुओं का एकमात्र सरदार हुआ करता था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने जयप्रकाश नारायण को जिम्मेदारी सौंपी
Dacoit Pancham Singh Inside Story: किसी जमाने में चंबल के खूंखार डाकू रहे पंचम सिंह आज योगी बनकर जिंदगी गुजार रहे हैं. दुनियावी मोह माया को त्यागकर पूर्व डकैत ने अध्यात्म का रास्ता अपना लिया है. पंचम सिंह पर 100 से अधिक हत्या, 200 से अधिक डकैती, लूट, अपहरण के मामले दर्ज थे. तीन राज्यों उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान में पंचम सिंह का खौफ था. आतंक को देखते हुए डाकू पंचम सिंह पर 1970 में 1 करोड़ का इनाम घोषित कर दिया गया.
पंचम सिंह की कहानी मध्य प्रदेश के भिंड जिले से शुरू होती है. सिंहपुरा गांव के किसान परिवार में जन्मे पंचम सिंह ने चौथी क्लास तक पढ़ाई की. 14 वर्ष की उम्र में परिजनों ने शादी कर दी.
चंबल के बीहड़ का खूंखार डाकू कैसे बना 'योगी'
1958 में ग्राम पंचायत का चुनाव हो रहा था. दबंग प्रत्याशी ने पंचम सिंह को प्रचार करने के लिया कहा. पंचम सिंह ने दबंग की बात मानने से इंकार कर दिया और दूसरे उम्मीदवार के पक्ष में वोट देने की अपील कर दी. ग्राम पंचायत का चुनाव दबंग प्रत्याशी हार गया. गांव के दबंगों ने पंचम सिंह की बेरहमी से पिटाई कर दी. पिता बेटे को बैलगाड़ी से अस्पताल इलाज कराने ले गए. इलाज के बाद घर पहुंचे पंचम सिंह की दोबारा दबंगों ने पिटाई कर दी. बेटे के साथ पिता को भी निशाना बनाया गया.
6 लोगों के खून से बुझाई थी इंतकाम की आग
पंचम सिंह ने पिटाई और अपमान का बदला लेने के लिए चंबल का रुख कर लिया और डाकुओं की गैंग में शामिल हो गया. डकैत साथियों के साथ पंचम सिंह एक दिन गांव में पहुंचा और 6 लोगों के खून से इंतकाम की आग बुझाई. हत्याकांड के बाद पंचम सिंह ने दोबारा मुड़कर नहीं देखा. 1960 से 1970 के दशक में चंबल का बादशाह पंचम सिंह 550 डाकुओं का एकमात्र सरदार हुआ करता था. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने चंबल में बमबारी कर डकैतों का सफाया करने के आदेश दिए.
जय प्रकाश नारायण के आह्वान पर किया सरेंडर
पुलिस पंचम सिंह का कुछ भी नहीं बिगाड़ सकी. इंदिरा गांधी ने जयप्रकाश नारायण को बड़ी जिम्मेदारी सौंपने का फैसला किया. जयप्रकाश नारायण के जिम्मे डकैतों को सरेंडर करने के लिए राजी कराना था. इंदिरा गांधी की रणनीति का सकारात्मक असर हुआ. जयप्रकाश नारायण के आह्वान पर कई डकैत बंदूक छोड़ने को तैयार हो गए. पंचम सिंह ने भी 1972 में डकैत गैंग के साथ बीहड़ का रास्ता छोड़ दिया.
सरेंडर करने के बाद अदालत ने पंचम सिंह ,माधो सिंह और भोर सिंह को फांसी की सजा सुना दी. लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने राष्ट्र्पति से फांसी की सजा को माफ करने की अर्जी लगाई.
पंचम सिंह ने घूम-घूमकर शांति का पाठ पढ़ाया
राष्ट्र्पति ने फांसी की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. एक दिन प्रजापति ब्रह्मकुमारी विश्वविद्यालय की मुख्य संचालिका दादी प्रकाश जेल आई हुई थीं. उनकी प्रेरणा ने कैदी डाकू पंचम की जिंदगी बदल दी. पंचम सिंह को 8 साल बाद जेल से रिहा कर दिया गया. जेल से बाहर आने के बाद पंचम सिंह ने अध्यात्म का रास्ता चुनने का फैसला कर लिया. कई साल तक देशभर में घूम-घूमकर शांति का पाठ पढ़ाया.
पंचम सिंह देश के लगभग 25 राज्यों की 400 जेलों में प्रवचन सुना चुके हैं. पूर्व डकैत पंचम सिंह की उम्र अब लगभग 100 साल की हो गई है.
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