Rajasthan News: राजनीतिक नुकसान का जिक्र करते हुए सीएम गहलोत ने सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी, जानें पूरा मामला
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी को पत्र लिखा है. इस चिट्ठी में राजनीतिक नुकसान का जिक्र किया गया है. जानें आखिर इस चिट्ठी में ऐसा क्या है?
Rajasthan Coal Crisis: राजस्थान में पिछले कई दिनों से कोयले की किल्लत बढ़ रही है. जिसके बाद राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने कोयले की किल्लत समस्या को लेकर कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) को पत्र लिखा है. जहां उन्होंने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कोयला खदानों की मंजूरी में देरी से होने वाले राजनीतिक नुकसान का जिक्र किया है. पत्र में कहा गया है कि दिसंबर के अंत तक राजस्थान स्थित बिजली संयंत्रों में कोयले का संकट होगा. यदि कोयला खदानों को मंजूरी नहीं दी जाती है, तो राज्य को महंगे दामों पर कोयला खरीदना होगा, जिससे लागत और उपभोक्ता पर बोझ बढ़ेगा.
वहीं खबरों के मुताबिक अगर राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकार के बीच इन समस्याओं का जल्द निपटारा नहीं किया गया, तो राजस्थान में बिजली किल्लत का सामना करना पड़ सकता है. जबकि पिछले दिनों बिजली कंपनियों ने कोयले को सड़क मार्ग की बजाय रेल मार्ग से मंगवाने की प्रार्थना की थी. जिससे बिजली उत्पादन कम लागत लगेगी.
आधिकारिक सूत्रों ने पुष्टि की कि कांग्रेस शासित दोनों राज्यों के बीच इसको लेकर विवाद इसलिए बढ़ गया है. हालांकि केंद्र सरकार द्वारा परसा पूर्व और छत्तीसगढ़ के कोयला ब्लॉकों में राजस्थान को आवंटित किया है, साथ ही केंद्र सरकार ने इसके लिए पर्यावरण मंजूरी भी दे दी है. इन दोनों कोयला खदानों के आवंटन के बाद भी बघेल सरकार कोयला खदान से कोयला निकालने की अनुमति नहीं दे रही है.और ना ही छत्तीसगढ़ वन विभाग ने अभी तक मंजूरी दी है. इसलिए गहलोत ने इस मामले में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से हस्तक्षेप की मांग की है.
इससे पहले नवंबर में मुख्यमंत्री गहलोत ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से कोयला खदानों को जल्द मंजूरी देने की अपील की थी. इस पत्र के लिखे जाने के एक महीने बाद भी छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल की सरकार ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी. जिसके बाद अब यह मामला सोनिया गांधी तक ले जाया गया है.
अधिकारियों ने कहा कि कोयला खदान क्षेत्र वन क्षेत्र के अंतर्गत आता है. यहाँ अधिकतर स्थानीय जनजातीयों की जमीने हैं. यह स्थानीय जनजातियां खनन प्रक्रिया का विरोध कर रही हैं. यही कारण है मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे रहें है और इस मुद्दे पर चुप हैं. ऐसा करने से उनकी सरकार को स्थानीय लोगों के भारी विरोध का सामना करना पड़ सकता है.
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