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मांग में सिंदूर, हाथ में चूड़ियां पहन स्कूल पहुंचीं दो बच्चियां, टीचर्स बोले- 'कुछ नहीं कर सकते...'

Child Marriage: राजस्थान के बूंदी जिले में शिक्षकों को दो नाबालिग लड़कियों की शादी होने का संदेह था, लेकिन कार्रवाई नहीं की गई. राजस्थान में बाल विवाह के मामले सामान्य बात हो गए हैं.

Rajasthan Child Marriage Cases: राजस्थान से एक हैरान करने वाला मामला सामने आ रहा है. यहां के बूंदी जिले में दो बच्चियां सिंदूर लगाकर और रंग-बिरंगी चूड़ियां पहन कर अपने स्कूल पहुंचीं. 15 साल की रानी और 16 साल की पिंकी दोनों बहनें हैं. चूड़ियां देखकर टीचर्स को शक हुआ कि इनकी शदी कर दी गई है, लेकिन इस बात को नजरअंदाज कर दिया गया. 

रानी और पिंकी की शादी उनके गांव में धूमधाम से कर दी गई. दोनों बहनें बूंदी जिले के हिंडोली इलाके में एक सरकारी स्कूल में 9वीं और 10वीं में पढ़ती हैं. बाल विवाह के खिलाफ सख्त कानून होने के बावजूद राजस्थान के इस क्षेत्र में यह प्रथा बदस्तूर जारी है. यहां कभी-कभी पति या ससुराल का कोई सदस्य ‘बालिका वधू’ को मोटरसाइकिल से स्कूल छोड़ता हुआ दिख भी जाता है. 

जान कर भी कुछ नहीं कर पाते शिक्षक
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, बूंदी शहर में घरेलू सहायिका के तौर पर काम करने वाली महिला ने बताया, "लड़कियों की ताई होने के नाते, मैंने रानी का कन्यादान किया." अपनी दो भतीजियों की शादी में शामिल होने के लिए उन्होंने काम से चार दिन की छुट्टी ली थी और उनके लिए लगभग 10,000 रुपये के तोहफे भी खरीदे थे. 

एक सरकारी स्कूल के शिक्षक ने भी यह जानकारी दी कि उन्होंने एक दिन अचानक एक लड़की को सिंदूर और रंग-बिरंगी चूड़ियां पहने आते देखा, लेकिन वे इस बारे में ज्यादा कुछ नहीं कर सके. उन्होंने कहा, “कभी-कभी कक्षा में लड़कियां अपनी सहेली की शादी के बारे में कानाफूसी करती हैं. दुल्हन आमतौर पर या तो शरमा जाती है या अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमाकर सवाल टाल देती है." 

अधिकारियों से शिकायत करने का भी कोई लाभ नहीं
टीचर ने कहा कि एक बार विवाह हो जाने के बाद अधिकारियों से शिकायत करने का कोई फायदा नहीं होता. इससे स्थानीय लोगों के क्रोध का जोखिम बना रहता है, जो लड़की को स्कूल से निकाल सकते हैं. हाल में हुई दो बहनों की शादी के बारे में पूछा गया तो उनके शिक्षकों ने अनभिज्ञता जाहिर की, लेकिन इस बात की पुष्टि की कि दोनों बहनें काफी दिनों से स्कूल नहीं आ रही थीं. 

इलाके के लोगों के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में माता-पिता अक्सर शादी पर आने वाले खर्च को बचाने के लिए अपनी छोटी बेटी का विवाह भी बड़ी बेटी के साथ ही कर देते हैं. हालांकि छोटी बेटी को वयस्क होने तक ससुराल नहीं भेजा जाता. अधिकारी ऐसे विवाहों पर नजर रखते हैं, लेकिन यह तंत्र इस पर पूरी तरह रोक नहीं लगा पा रहा है. खासकर तब, जब मुख्यधारा के राजनीतिक नेताओं को इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता.

बाल विवाह के 'सकारात्मक' पहलू निकाल रहे ग्रामीण
कुछ ग्रामीणों ने ऐसी शादियों के 'सकारात्मक' पहलुओं का हवाला दिया और बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 में संशोधन की मांग भी की. एक ग्रामीण ने बताया, "नाबालिग दंपति लड़कियों की शिक्षा और सरकारी नौकरी को प्राथमिकता देते हैं और बाल विवाह के बाद भी वे अपनी बेटियों को पढ़ने के लिए स्कूल और कॉलेज भेजते हैं."

बीजेपी ओबीसी मोर्चे के बूंदी जिला महासचिव दीक्षांत सोनी ने स्वीकार किया कि गांवों में बाल विवाह होते हैं और उन्होंने बाल विवाह अधिनियम में संशोधन की मांग की. सोनी ने कहा कि ग्रामीण इलाकों में माता-पिता गरीबी के कारण अपनी लड़कियों की कम उम्र में ही शादी करने को मजबूर हैं. उन्होंने लड़के और लड़कियों में ‘समय से पहले यौवन’ आने के लिए ‘खान-पान की आदतों के साथ बदलते पर्यावरण’ को भी जिम्मेदार ठहराया. सोनी ने कहा, “लड़कियां और लड़के जल्दी परिपक्व हो जाते हैं और किसी और के साथ शादी कर अपने माता-पिता को अपमानित करते हैं.” 

अक्षय तृतीया पर होती हैं सबसे ज्यादा शादियां
सामाजिक न्याय एवं महिला अधिकारिता विभाग के उप निदेशक भैरू प्रकाश नागर के अनुसार, क्षेत्र में अक्सर अक्षय तृतीया, जिसे आखा तीज और पीपल पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है, के आसपास बाल विवाह होते हैं. जब उनसे हिंडोली गांव में हुई दो शादियों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने इसके बारे में जानकारी होने से इनकार किया. स्थानीय पुलिस उपाधीक्षक घनश्याम मीणा ने क्षेत्र में बाल विवाह की खबरों से इनकार किया. 

कुछ अन्य शिक्षकों ने पीटीआई से कहा कि रानी और पिंकी का बाल विवाह होना इस तरह की इक्का-दुक्का घटनाएं नहीं हैं. एक शिक्षक ने दावा किया कि हिंडोली के सुखपुरा गांव में सातवीं कक्षा की एक लड़की की पिछले साल नौवीं कक्षा के एक लड़के के साथ सगाई कर दी गई थी. सातवीं कक्षा की एक अन्य लड़की की पिछले साल शादी कर दी गई थी. 

23 फीसदी से ज्यादा लड़कियों की शादी 18 की उम्र से पहले
शिक्षक के अनुसार, 10वीं कक्षा की एक लड़की की इस साल चार मार्च को  बिजली रखरखाव कर्मचारी से शादी कर दी गई. नवीनतम राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-पांच (2019-21) के अनुसार, 20-24 वर्ष की आयु की 23.3 प्रतिशत महिलाओं की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले हो गई थी.

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