Rajasthan Water Storage: गर्मियों (Summer) का मौसम शुरू होते की तमाम इलाकों में रहने वाले लोगों की चिंता बढ़ जाती है. राजस्थान (Rajasthan) का नाम लेते ही देश के लोगों के मन में रेगिस्तान आ जाता है, जहां सूख क्षेत्र है. लेकिन ऐसा नहीं है, यहां के 2 जिले ऐसे हैं जहां पानी ही पानी है. 12 महीने पहाड़ों से पानी रिसता है. यहीं नहीं एक जगह से तो प्रति मिनट 70 लीटर पानी निकलता है. दोनों ही जिले राजस्थान के मेवाड़ के हैं. जहां महाराणाओं ने जल को कैसे स्टोर किया जाए इसका शानदार उदाहरण दिया है. ये जिले हैं चित्तौड़गढ़ और झीलों की नगरी उदयपुर.


चित्तौड़गढ़
चित्तौड़गढ़ (Chittorgarh) जिला इतिहास के साथ वन व जलसंपदा से फला फूला है. यहां का भूमिगत जल, दुर्ग की जल संरचना और इतिहास पर पीएचडी करने वाले डॉ गोपाल सालवी के अनुसार दुर्ग पर कुल जमीन का 40 प्रतिशत हिस्सा जल स्त्रोत है. इसमें कुल 84 जलाशय हैं. निचले हिस्से में स्थित कुंड से इन सबकी अंडरग्राउंड कनेक्टिविटी है. दीवार में गोमुख आकृतियों वाले दो गड्ढों से हर समय जलधाराएं गिरती हैं. इन प्राकृतिक धाराओं की गति इस समय प्रति मिनट करीब 70 लीटर है. जो बारिश के समय 160 लीटर तक रहती है. गर्मी के साथ ये गति व कुंड का जलस्तर कम जरूर होता है लेकिन सूखता नहीं. पीएचडी के एईएन सीबी सिंह के अनुसार गोमुख कुंड को करीब 10 मीटर गहरा, 10 मीटर चौड़ा और 100 मीटर लंबा माना जाए तो इसकी क्षमता 10 लाख लीटर है. वर्तमान में ये 80 प्रतिशत तक भरा है. इस कुंड से ही शहर के पाडनपोल पर झरना गिरता है. इसका पानी झालीबाव में आता है, जो शहर में पेयजल स्त्रोत बना हुआ है.




झीलों की नगरी उदयपुर
उदयपुर (udaipur) शहर ने बारिश की बूंद-बूंद को कैसे स्टोर किया जार इसका अद्भुत उदाहरण दिया है. यहां शहर के आसपास बारिश में गिरने वाला पानी बहता हुआ सीधे झीलों में मिलता है. जितना भी पानी बरसा सभी झीलों में जाता है. यहां फतह सागर, गोवर्धन सागर, पिछोला, उदयसागर जैसी शहर के बीच में झीले हैं जहां लाखों लीटर पानी स्टोर होता है. अभी झीलें लगभग पूरी भरी हुई हैं. शहर को प्रतिदिन 128 मिलियन लीटर पानी की आवश्यकता है. जबकि इससे ज्यादा स्टोरेज है. हालांकि कभी-कभी सप्लाई कम भी होती है. 


झीलों की स्थिति एमसीएफटी


झील : भराव क्षमता  


फतहसागर : 427 
पीछोला : 483
बड़ी : 451
उदयसागर : 1100 
जयसमंद : 15650 
मानसी वाकल 910


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