Rajasthan News: राजस्थान का ऐसा मंदिर जहां भगवान को भक्त बनाते हैं बिजनेस पार्टनर, प्रॉफिट होने पर देते हैं हिस्सा
सांवलिया सेठ का मंदिर सुबह 5:30 बजे खुलने के साथ ही मंगला आरती होती है जिसमें 6:30 बजे तक दर्शन होते हैं. उसके बाद श्रंगार के लिए पर्दा लगाया जाता है.
Rajasthan News: देशभर में कई मंदिर है ऑयर सभी मंदिरों की अपनी-अपनी मान्यताएं हैं. लेकिन क्या आपने कभी ऐसा सुना है कि भक्त भगवान को अपना बिज़नेस पार्टनर बनाते हैं और यहीं नहीं बिज़नेस में तय हिस्सा भी भगवान को देते हैं. यही नहीं, यही एक मात्र मंदिर है जहां भगवान के नाम के आगे सेठ लगता है क्योंकि यहां हर माह करोड़ों रुपए का भंडारा निकलता है. यह मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के मंडफिया कस्बे में स्थित है जो है कृष्णधाम सांवलिया जी का मंदिर, जिसे सांवलिया सेठ के नाम से जानते हैं. इनकी ख्याति राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात सहित देश के कई कोनों में फैली हुई है.यहां भगवान विष्णु के चतुर्भुज स्वरूप वाली प्रतिमा की कृष्ण के रूप में पूजा अर्चना होती है.
सोने-चांदी के जेवर, नगदी, वाहनों की चाबियां निकलती है भंडारे में
इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यहां हर माह दानपात्र को खोला जाता है. इसमें प्रतिमाह करोड़ों रुपए की धनराशि व सोना चांदी जेवर दान स्वरूप आते हैं. यहीं नहीं दानपात्र में कई बार वाहनों की चाबियां भी निकलती है जो वाहन मंदिर के बाहर खड़े रहते हैं. यहां की मान्यता है कि कोई भी मन्नत मांगते है कि और मन्नत पूरी होने पर व्यवसाय में प्राप्त प्रॉफिट का हिस्सा यहां चढ़ाया जाता हैं. इसी कारण यहां काफी मात्रा में चढ़ावा आता हैं. चढ़ावे से क्षेत्र में कई विकास कार्य भी किये जाते हैं. मंदिर से चिकित्सालय निर्माण और कॉलेज निर्माण के लिए करोड रुपए दिए गए.
यह है इस मंदिर का इतिहास
सांवलिया मंदिर ट्रस्ट के चेयरमैन भेरूलाल गुर्जर बताते हैं कि वैसे तो प्रतिमा की स्थापना कब हुई इसकी जानकारी कहीं उपलब्ध नहीं है यह कई सदी पुराना बताया जाता है. कहा जाता है कि क्षेत्र में एक ग्वाला था जिसे सपने में भगवान सांवलिया सेठ आए और फिर वह गाय चराने जंगल मे गया तो उसे तीन प्रतिमाएं मिली जिसमें एक वहीं स्थापित की, एक भादसोड़ा और एक मंडफिया जो सांवलिया सेठ है.
मंदिर के दर्शन का समय और ऐसे पहुंचा जाता है सांवलिया जी
सांवलिया सेठ का मंदिर सुबह 5:30 बजे खुलने के साथ ही मंगला आरती होती है जिसमें 6:30 बजे तक दर्शन होते हैं. उसके बाद श्रंगार के लिए पर्दा लगाया जाता है श्रंगार होने के बाद 8:00 बजे से 12:00 बजे तक निरंतर दर्शन होते हैं. दिन में 12:00 बजे से 2:30 बजे तक भगवान शयन करते है. 2:30 बजे उत्थापन के पश्चात रात्रि 11:00 बजे तक निरंतर दर्शन होते हैं. राजभोग आरती सुबह 10:00 से 11:15 बजे तक होती है तथा रात्रि कालीन आरती 8:00 से 9:15 बजे तक होती है. कृष्णधाम सांवलियाजी में पहुंचने के लिए रेल मार्ग से आने पर निकटतम रेलवे स्टेशन निंबाहेड़ा एवं चित्तौड़गढ़ है जबकि हवाई मार्ग के लिए डबोक- उदयपुर निकटतम एयरपोर्ट है. इसके साथ ही बस मार्ग से आने के लिए उदयपुर, भीलवाड़ा, निंबाहेड़ा, चित्तौड़गढ़ व नीमच आदि स्थानों से सीधी बस सेवाएं उपलब्ध है.
गुजरात के अक्षरधाम जैसा बना सांवलिया जी मंदिर
प्रतिमा चतुर्भुज विष्णु के स्वरूप की है जिसके चारों हाथों में शंख, चक्र, गदा व पद्म धारण किये हुए है. मूर्ति स्थापना के साथ ही मंदिर का विकास तेज गति से होने लगा. मंदिर में प्रतिमा तो प्रथम स्थापना के समय से ही एक ही स्थान पर स्थापति है लेकिन मंदिर का चौथी बार जीर्णोद्वार हो चुका है. जिसमें सबसे पहले कच्चा मिट्टी का मंदिर, फिर पक्का मंदिर व उसके बाद कांच का बड़ा मंदिर जो कि सन 2000 तक रहा. उसके बाद वर्तमान में 50 करोड़ रुपए की लागत से गुजरात के अक्षरधाम की तर्ज पर बंशी पहाडपुर के पत्थर का भव्य मंदिर व कॉरीडोर बना. अन्य कई विकास कार्य जारी है जिनमें श्रद्धालुओं की सुविधाओं एवं व्यवस्थाओं के साथ ही आकर्षण के लिये लेजर वाटर शो सहित कई कार्य चल रहे है.