Rajasthan News: मां या पिता, किसी का भी निधन होता है तो कंधा बेटा देता और फिर मुखाग्नि भी बेटे द्वारा दी जाती है. यहीं हिंदू धर्म को परंपरा है. लेकिन चित्तौड़गढ़ में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें पिता की अर्थी को बेटियों ने कंधा दिया, और उन्होंने ही मुखाग्नि दी. 


ऐसा नहीं की बेटा नहीं था, बेटा हैं लेकिन पारिवारिक विवाद के कारण बेटा पिता के शव को मोर्चरी में ही छोड़कर चला गया. फिर बेटियों ने बेटे का धर्म निभाते हुए अंतिम संस्कार किया. जानिए क्या हुआ पूरा मामला.


घर में अकेले रहते थे पिता
मामला चित्तौड़गढ़ जिले के आशापुरा कॉलोनी का है. दरअसल, यहां रहने वाले 80 वर्षीय भोपाल सिंह का निधन हो गया. वह घर में अकेले रहते थे. शाम तक अपने मकान से बाहर नहीं निकले. तीनों बेटियां फोन लगा रही थी लेकिन काफी समय बाद तक कोई जवाब नहीं मिला तो पड़ोसियों से संपर्क साधा. पड़ोसियों ने दरवाजा तोड़कर कमरे में पहुंचे तो वे मृत पाए गए. सूचना पर कोटा से उनका पुत्र पहुंच गया जिसने बॉडी को मोर्चरी में रखवा दिया. 


वहीं बांसवाड़ा, जोधपुर और कोटा रहने वाली मृतक की तीनों पुत्रियां भी आई. शव का पोस्टमार्टम हो रहा था उसी दौरान  भाई बहनों के बीच विवाद हो गया. ऐसे में गुस्सा कर बेटा शव को वहीं छोड़कर चला गया. 


बेटी ने कहा भाई बहन का हुआ था विवाद 
सबसे बड़ी बेटी चंद्रकला ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि उनका भाई पिता का शव कोटा ले जाना चाहता था. जब तीनों ही बहनों ने विरोध किया तो विवाद बढ़ गया. बाद में वह कोटा रवाना हो गया. तीनों ही पुत्रियों ने अपने परिवार के साथ शव का पोस्टमार्टम करवाया और मोक्षरथ से अपने घर ले गए. यहां पूरे रीति रिवाज के साथ उनकी अंतिम यात्रा निकली जिसमें अर्थ को कंधा बेटियों ने दिया. 


रिटायरमेंट के बाद रह रहे थे  चित्तौड़गढ़ में
श्मशान घाट पर बेटियों ने ही अपने पिता को मुखाग्नि देख कर अपना फर्ज निभाया. बाद ने सामने आया कि मृतक भोपाल सिंह बिरला सीमेंट से रिटायरमेंट के बाद चित्तौड़गढ़ में ही रह रहे थे. माता पिता की सेवा के लिए भाई बहनों में विवाद चल रहा था. कोरोना में माता का निधन हो गया.


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