Chittorgarh News: चित्तौड़गढ़ जिले में राजस्व अधिकारी (Revenue Officer) के पद से रिटायर हुए राम गुर्जर (Ram Gurjar) ने अपना समय बिताने के लिए बागवानी शुरू की. उन्होंने खास किस्म के सेब की खेती शुरू की और आज उनके फार्म से पैदा हुए सेब की काफी मांग है. मेवाड़ सहित आसपास के एरिया में इनके ही फार्म के सेब की मांग रहती है इस सेब की खेती को फलने-फूलने में 10 साल का वक्त लग गया. आइए जानते हैं कैसे राम गुर्जर को सेब की खेती का विचार सूझा और कैसे मिली उन्हें सफलता...


राम गुर्जर चित्तौड़गढ़ जिले के गंगरार पंचायत समिति के भटवाड़ा खुर्द गांव के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि वर्ष 2009 में राजस्व अधिकारी पद से रिटायर हुए था. गांव में ही फार्म हाउस है. वहां मक्का-गेहूं की खेती होती थू लेकिन उसमें कुछ लाभ नहीं मिलता था. इसके बाद सोचा कि जगह है तो इसका नवाचार किया जाए. क्योंकि कई कई किसानों के बारे में पढ़ा था जिन्होंने नवाचार करने के बाद सफलता हासिल की. फिर फार्म हाउस में फलदार पौधे लगाने की सोचा. पहली और दूसरी बार में सफलता नहीं मिली क्योंकि पहली बार उत्पादन नहीं आया लेकिन दूसरी बार फसल अच्छी आई लेकिन चमगादड़ ने नुकसान पहुंचाया.


तीसरी बार में राम गुर्जर को मिली सफलता
तीसरी बार सेब लगाने से पहले सरकारी योजना में भाग लेकर प्रशिक्षण प्राप्त किया. इसके लिए हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र में स्थित बड़े बगीचों में गया. पूरी जानकारी के साथ फिर खेती शुरू की. चमगादड़ से फसल को बचाने के लिए 80 हजार रुपए की नेट लगवाई. तीसरे प्रयास में सेब की पैदावर अच्छी हुई और फल मीठे और साइज में बड़े भी निकले. व्यापारियों से बात कर पहला लॉट मंडी में भेजा तो कुछ ही दिन में डिमांड आने लगी. फिर चितौड़गढ़ के अलावा जोधपुर, भीलवाड़ा और उदयपुर की मंडियों में भी मांग के अनुसार सप्लाई की. अभी और भी डिमांड आ रही है. राम गुर्जर ने 17 बीघे में सेब लगाए हैं. सेब के अलावा नींबू, सीताफल और चीकू की भी खेती कर रहे हैं.


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