Chittorgarh News: सरकारी विभागों में कबाड़ का टेंडर निकाला जाता है और इस कबाड़ में लोहा किलो के भाव बेचा जाता है. फिर उनकी जगह लाखों रुपए खर्च कर नए सामान मंगवाए जाते हैं, जिससे सरकारी राजस्व खर्च होता है. लेकिन राजस्थान की एक नगर परिषद ने मिसाल कायम की है और अब पूरे प्रदेश का मॉडल बन गई है.
दरअसल इस नगर परिषद ने हजारों किलो कबाड़ के लोहे को नया रूप दिया है और लोगों के उपयोगी सामान बनाए हैं, जिससे लाखों रुपए की बचत हई है. यह है उदयपुर संभाग की चित्तौड़गढ़ नगर पालिका और इस काम की पहल करने वाले हैं नगर परिषद के एक्सईएन प्रशांत भारद्वाज.
हजारों किलो लोहे को दिया नया रूप
प्रशांत भारद्वाज ने एबीपी को बताया कि परिषद के भंगार पड़े लोहे में जंग लग रही थी. उसे भंगार में बेचने की योजना बनी. लोहा 8900 किलो था जो 10-12 रुपये प्रति किलो में जा रहा था. इसमें ऐसा सामन भी था जो थोड़ा ही टूटा था, जिसे भंगार में डाल दिया. फिर सोचा कि इसे क्यों ना रिसाइकल किया जाए. फिर एक वेल्डिंग मिस्त्री को बुलाया और सामान दिखाया. उसने भी रिसाइकल के लिए हामी भरी. फिर सभापति से अनुमति लेकर चार माह पहले काम शुरू किया.
ऐसे हो रही बचत
उन्होंने आगे बताया कि जब परिषद कोई लोहा खरीदने का टेंडर जारी करती है तो वह 87 से 95 रुपए किलो में पड़ता है. इधर कबाड़ का 12 रुपए किलो में बिक रहा था. इसे रिसाइकल करने के लिए मिस्त्री 26-30 रुपए किलो ले रहा है. इसमें कुछ ही नया लोहा खरीदा गया. ऐसे में अब तक 5 लाख रुपए के काम करवा चुके है जिससे 2.5 लाख रुपए का फायदा हुआ है.
यह समान बनाए
एक्सईएन प्रशांत ने बताया कि भंगार लोहे से 100 कचरा ट्रॉलियां, 56 कचरा डिपो जालियां, 15 पानी की टंकियों के स्टैंड, 71 हाथ ठेला, 3 ड्रेन कवर, 5 बड़ी कचरा उठाने की ट्रॉलिया सहित अन्य छोटे सामान बनाए हैं.
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