Chittorgarh Child Marriage: उदयपुर संभाग और भीलवाड़ा जिले में बाल विवाह (Child Marriage) को रोकने के लिए पुलिस, बाल आयोग और एनजीओ ने मुहिम छेड़ी हुई है. वहीं, बीते 14 दिनों में चित्तौड़गढ़ में भी 40 बाल विवाह रुकवाए गए हैं. इनमें से कुछ दूल्हा-दुल्हन ऐसे मिले जिनकी उम्र महज 12 साल थी. शादी के दिन विवाह समारोह में ही प्रशासन की टीम पहुंच गई और परिजनों को समझाया. उन्हें समझाया गया कि बालिग होने के बाद ही वह बच्चों की शादी करेंगे.
यह कार्रवाई कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रन्स फाउंडेशन की सहयोगी संस्था श्री आसरा विकास संस्थान और चित्तौड़गढ़ जिला पुलिस और प्रशासन की टीम ने की है. चित्तौड़गढ़ जिले में 18 अप्रैल से अभियान चलाया था. आसरा विकास संस्थान के संस्थापक भोजराज सिंह ने बताया कि 18 अप्रैल से अब तक 40 बाल विवाह रुकवाए और परिवार के सदस्यों को समझाया गया. बच्चों की हल्दी का कार्यक्रम हो चुका था और अगले दिन बारात आने वाली थी. उन्होंने बताया कि चित्तौड़गढ़ के विभिन्न थाना क्षेत्रों से इन बाल विवाहों को रोका गया. टीम लगातार बाल विवाह रोक रही है और छोटे बच्चों का भविष्य सुरक्षित कर रही है. जहां लगातार प्रयासों के सकारात्मक परिणाम मिले हैं, वहीं बाल विवाह को रोकने के लिए यह जिले में अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई है.
शपथ दिलवाकर जागरूक किया
भोजराज सिंह ने बताया कि संस्थाओं के सामूहिक प्रयास से जिले में बाल विवाह रोकने के लिए सक्रिय कदम उठाए जा रहे हैं. यह कार्रवाई बाल विवाह के खिलाफ एक सकारात्मक संदेश है और आम जनता में जागरूकता फैलाने में मदद करेगी क्योंकि जो माता-पिता और परिवार के सदस्य बच्चों का विवाह करवा रहे थे उनको शपथ दिलवाई है कि जब तक युवक की उम्र 21 और युवती 18 साल की ना हो जाए तब तक शादी नहीं करवानी है. यह भी बताया गया कि 2030 तक भारत को पूरी तरह से बाल विवाह मुक्त करने का लक्ष्य रखा गया है.
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