Christmas 2021: जोधपुर में क्रिसमस की तैयारियां जोरों पर, इस मौके को लेकर खास केक की बढ़ी मांग
जोधपुर में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है साथी क्रिसमस की तैयारियां भी जोरों पर चल रही है. इसके लिए जोधपुर में खास तरह के केक भी बनाए जा रहे हैं.
Christmas Preparation in Jodhpur: जोधपुर में इन दिनों कड़ाके की ठंड पड़ रही है साथ ही क्रिसमस की तैयारियां भी जोरों पर चल रही है. क्रिसमस के दिन को खास बनाने के लिए रेस्टोरेंट, स्कूलों में खास तरीके से सजाया जा रहा है. चर्च व घरों में सजावट का काम चल रहे हैं. इसके साथ ही क्रिसमस की सबसे खास चीज केक है जिसे लेकर जोधपुर के बेकरी व्यापारियों के पास आर्डर आ रहे हैं. क्योंकि पिछले 2 वर्षों से कोरोना के चलते क्रिसमस के त्योहार फिका रहा इस वर्ष क्रिसमस को खास बनाने के लिए तैयारियां कर रहे हैं. शहर के होटल सज चुके हैं साथ ही गिरजा घरों में कार्यक्रम शुरू हो चुके हैं खास तरह के केक को काटकर जश्न मनाने के बाद इसे बांटने की परंपरा है.
बेकर्स क्रिसमस के लिए बना रहे हैं खास केक
जोधपुर के बेकरी का काम करने वाले बेकर्स ने खासतौर से क्रिसमस को ध्यान में रखते हुए केक बनाए हैं. इस केक में सेंटा, क्रिसमस ट्री, बैल के प्रतीकात्मक बनाकर खूबसूरत बनाए हैं जिसे देखते ही बच्चे क्या हर उम्र के लोग दीवाने हो रहे हैं. इसके के लगातार आर्डर आ रहे हैं और आर्डर पूरा करने के लिए स्टाफ काम कर रहा है. इसकी कीमत की बात करें तो यह ₹800 से लगाकर ₹10000 तक का बनाया जा सकता है और इससे भी महंगा जिस तरह का आर्डर आता है उस तरह के केक बनाए जाते हैं.
क्यों क्रिसमस के दिन काटा जाता है केक
क्रिसमस के दिन केक इसलिए काटा जाता है क्योंकि ईसाई धर्म का उदय ब्रिटिश से हुआ था विदेशों में मिठाई का चलन नहीं होने के चलते वहां पर केक को ही हर खुशी में शामिल किया जाता है. छोटे बड़े सेलिब्रेशन में केक काटा जाता है बर्थडे को सेलिब्रेट करने के लिए जिसके चलते दुनिया में प्रचलित हो गया और इसको बढ़ावा मिलता गया और हर कोई इस को फॉलो कर रहे हैं ऐसी कोई मान्यता नहीं है कि के काटने से ही जीसस का बर्थडे सेलिब्रेट किया जा सकता है.
कौन थे सांता क्लॉज
क्रिसमस को खास उसकी परंपराएं बनाती है इनमें एक संता निकोलस से हैं जिन्हका जन्म ईसा मसीह की मृत्यु के लगभग 280 साल बाद मायरा में हुआ था उन्होंने अपना पूरा जीवन यीशु को समर्पित कर दिया उन्हको लोगों की मदद करना बेहद पसंद था. यही वजह थी कि यीशु के जन्मदिन के मौके पर रात में अंधेरे में बच्चों को गिफ्ट दिए करते हैं इस वजह से बच्चे आज ही संता का इंतजार करते हैं. परंपरा क्रिसमस ट्री की है यीशु के जन्म के मौके पर एक पके पेड़ को सजाया गया था. जिसे बाद में क्रिसमस ट्री कहा जाने लगा इसके अलावा एक और परंपरा कार्ड देने की है इसलिए लोग एक कार्ड के जरिए अपनों को शुभकामनाएं देते हैं. बता देते कि पहले क्रिसमस कार्ड 1842 विलियम एंड लेने भेजा था.
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