CM Anuprati Yojana: पढ़ने का जुनून हो तो मेहनत की कश्ती से हर समस्या से पार पाया जा सकता है. कोई भी रोडा आए लेकिन सफलता का सूरज उग ही जाता है. ऐसा ही कर दिखाया है शिवा उपमन ने. भरतपुर जिले की रूपवास तहसील के छोटे से गांव ओडेल जाट के विद्यार्थी शिवा के समाने समस्याएं ही समस्याएं थी. कमजोर आर्थिक हालत, परीक्षा से पहले एक माह की बीमारी और अनिश्चित हालात. इसके बावजूद उसने पहली बार में ही आईआईटी की सीट सुनिश्चित कर ली. शिवा अपने गांव के पहले व्यक्ति है जो इंजीनियर बनेगा.


 दो साल के लिए सरकार ने कोचिंग व हॉस्टल के लिए दी स्कॉलरशिप
शिवा पढ़ाई में शुरू से ही अच्छा था. उसने आठवीं और नवीं में 100 प्रतिशत अंक हासिल किए. कोरोना काल में दसवीं की पढाई की.  बोर्ड एग्जाम में भी उसे 100 प्रतिशत अंक मिले. उसके पिता रामेश्वरप्रसाद शर्मा और मां पुष्पा एमए, बीएड हैं. सरकारी में सलेशन नहीं हुआ तो वे एक निजी स्कूल में पढ़ते हैं. जो आमदनी होती है, उससे घर चलना ही मुश्किल लगता है, लेकिन वे प्रतिभावान बेटे को आईआईटी में पढ़ाकर इंजीनियर बनाना चाहते थे.


आर्थिक समस्या के कारण यह मुश्किल लग रहा था. शर्मा बताते हैं कि कोटा की एक कोचिंग ने हमारा काम आसान कर दिया. शिवा ने टेलेंट सर्च एग्जाम दिया था. कोटा आकर पता चला की शिवा जैसे प्रतिभावान बच्चों को राजस्थान सरकार की अनुप्रति योजना के तहत निशुल्क कोचिंग के लिए स्कॉलरशिप मिल सकती है. सारी करवाई की और उसे कोटा में दो साल की कोचिंग और हॉस्टल के खर्च के लिए छात्रवृति मिल गई.


 जेईई में 99.99 पर्सेंटाइल  और बारहवीं में 95.6 प्रतिशत नंबर आए
शिवा ने बताया कि कोटा में नया शहर, नया माहौल, मेस का खाना , हिंदी मीडियम वाला बैकग्राउंड, इस सब चुनौतियों के बीच पढाई पटरी आ रही थी. इसी बीच दूषित खाने-पानी से पीलिया हो गया. सप्ताह भर अस्पताल में रहना पड़ा. ठीक होने में एक माह लाग गया. गांव जाकर रहना पड़ा तो पढाई पीछे छूट गई. बेकलॉग बन गया. 


ऐसे में डर लगा कि मेरे सपने, आईआईटी के लक्ष्य का क्या होगा लेकिन कोटा की कोचिंग का अपना ही तरीका है और फेकल्टीज ने हौसला बंधाया. मैंने भी सोचा कि डरकर क्या होगा. कुछ करने से ही बात बनेगी. फिर साहस जुटाकर तैयारी शुरू की और टेस्ट में अच्छे नंबर नहीं आते तो इसका विश्लेषण करता कि कहां कमी रह गई. कहीं डाउट रह जाता तो बेहिचक उसको क्लीयर करता. फिर टेस्ट में अच्छे नंबर आए तो आत्मविश्वास बढ़ा और कामयाबी मिल ही गई. जेईई में 99.99 पर्सेंटाइल  और बारहवीं में 95.6 प्रतिशत नंबर आए. एडवांस में भी ऑल इण्डिया रैंक 5948 और ईडब्ल्यूएस केटेगिरी रैंक 747 हासिल हुई.


गलतियों से सीखें, उनको दोहराना नहीं चाहिए
शिवा कहता हैं कि मेहनत करने का कोई विकल्प नहीं है. मैंने खुद रोजाना 12 घंटे पढाई की. कोचिंग के सिस्टम और फेकल्टीज पर भरोसा बनाए रखें. जब भी नर्वस हों तो अपनो से बात करें. तीनों विषयों की तैयारी पर बराबर ध्यान देने की जरुरत है. केमिस्ट्री ऐसा विषय है जिसको कठिन समझा जाता है मेरे भी इसमें नंबर काम आए लेकिन इसमें भी नंबर लाना मुश्किल नहीं है. मुझे लगता है कि इसको समझने से काम नहीं चलेगा, याद करना ही पड़ेगा. 


इसी तरह को पढ़ा उसको रिवाइज करते रहें. टेस्ट देते रहें, जो कमी डाउट, मिले उसको दूर करते रहें. गलतियों से सीखें, उनको दोहराना नहीं है. सबका मन घबराता है लेकिन एग्जाम में मन शांत रखें. आप अपना बेस्ट दें, यह सोचें कि जो होगा सब अच्छा होगा. जिला कलेक्टर ओमप्रकाश बुनकर ने ट्वीट कर कहा कि राजथान सरकार की अनुप्रति योजना के तहत गरीबों का सपना साकार हो रहा है. शिवा उपमन अब इंजीनियर बनेगा. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का शिवा ने आभार व्यक्त किया है. 


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