kota News: कोटा (Kota) में इस साल बढ़ते सुसाइड ने प्रशासन के साथ कोचिंग संस्थान, हॉस्टल संचालक और आमजन की भी चिंता बढा दी है. मुख्यमंत्री भी इसमें हस्तक्षेप कर चुके हैं. ऐसे में इन सुसाइड को कैसे रोकने और बच्चों को अच्छा माहोल देने के लिए एक बार फिर से प्रशासन ने तैयारियां शुरू कर गाइडलाइन को और बेहतर बनाए जाने की दिशा में प्रयास किया है. हालाकिं ये गाइडलाइन कोई मायने नहीं रखती क्योंकि इसमें अधिकांश विषय पूर्व के ही उठाए गए हैं.


फिर भी यदि प्रशासन की मंशा और इमानदारी से कार्य करने की रही तो इन्हें रोका जा सकता है. नहीं तो मां के लाल की आंखों के आंसू सूखने वाले नहीं हैं. वहीं इस मसले को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी चिंता जाहिर की है. राज्य स्तरीय 'युवा महापंचायत' के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा "यह चिंता का विषय है कि कोटा में पिछले आठ महीनों में 20 छात्रों ने आत्महत्या कर ली. मैं खुद बचपन में डॉक्टर बनना चाहता था, रात में 2-3 बजे तक पढ़ाई करता था, लेकिन मैं कामयाब नहीं हुआ. हालांकि मैंने हिम्मत नहीं हारी. मैंने अपना रास्ता बदला, सामाजिक कार्यकर्ता बना, राजनीति में आया."


कलेक्टर ने ली बैठक
वहीं जिला कलेक्टर ने अधिकारी, हॉस्टल संचलक और कोचिंग संचालकों की बैठक ली. इसमें उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों में तनाव कम करने के लिए कोचिंग संस्थान और हॉस्टल संगठनों के स्तर पर समन्वित प्रयास करने होंगे. जिला कलेक्टर ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करते हुए सुधारात्मक कदम उठाने होंगे. उन्होंने कहा कि सभी पक्षों को टीम भावना के साथ कार्य करते हुए विद्यार्थियों की समस्याओं का समय पर निराकरण करते हुए उनसे निरन्तर संवाद बनाए रखकर अनुकूल माहौल प्रदान करना होगा.


जिला कलेक्टर ने दिए ये निर्देश
उन्होंने कहा कि कोचिंग संस्थान प्रतिमाह विद्यार्थियों को मोटिवेशन सेंशन आयोजित कर अन्य विकल्पों के लिए भी जागरूक करें. यही नहीं जिला कलेक्टर ने निर्देश दिए कि रविवार को टैस्ट पेपर के बजाय कोचिंग संस्थान विद्यार्थियों को गूगल फार्म तैयार कर नियमित रूप से उनके मानसिक अवसाद को कम करने का कार्य करें. उन्होंने सभी कोचिंग सस्थानों और हॉस्टल संगठन फीस की इजी-एक्जिट पॉलिसी की अक्षरश: पालना करना करने के निर्देश दिए, जिससे विद्यार्थियों और अभिभावकों पर किसी तरह का मानसिक दबाव नहीं हो.


हॉस्टल की लापरवाही सामने आएगी तो त्वरित कार्रवाई होगी
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन के पास ऑनलाइन पॉर्टल पर अब तक दो हजार विद्यार्थियों द्वारा शिकायतें प्राप्त हुई हैं. जिनका समय पर निराकरण कराया गया है. वहीं पुलिस अधीक्षक (SP) शहर  शरद चौधरी ने कहा कि अभी से विद्यार्थियों में तनाव के प्रकरण सामने आना चिंता का विषय है, जो समस्याऐं आ रही हैं उनका समय पर निराकरण किया जाए जिससे विद्यार्थियों में तनाव नहीं रहे. उन्होंने कहा कि कोचिंग या हॉस्टल के स्तर पर किसी भी प्रकार की लापरवाही सामने आएगी तो त्वरित कार्यवाही की जाएगी. उन्होंने कहा कि कोचिंग संस्थान विद्यार्थियों को प्रवेश देते समय अभिभवकों को भी विद्यार्थियों की क्षमता और अन्य विकल्पों के बारे में बताएं. 


अतिरिक्त कलेक्टर शहर बृजमोहन बैरवा ने कहा कि सभी कोचिंग संस्थान और हॉस्टल जिला प्रशासन के काउंसलर और टीम को निरीक्षण के समय सक्रिय सहयोग करें, जिससे बच्चों के मानसिक तनाव का पता किया जा सके. मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. विनोद दडिया ने मानसिक तनाव की पहचान करने और कम करने के लिए किए जाने वाले प्रयासों की जानकारी दी. उन्होंने टीम द्वारा किए जा रहे प्रयासों की जानकरी देकर विद्यार्थियों में तनाव का अकेडमी के  स्तर पर पहचान करने का सुझाव दिया.


समन्वित बैठक के बाद आए ये सुझाव



  • विद्यार्थियों के मानसिक तनाव का आकलंन करने के लिए मोबाइल एप की जानकारी विद्यार्थियों को दी जाए, जिससे कभी भी विद्यार्थी सवाल जवाब के द्वारा स्वयं भी जांच कर सके.

  • सभी कोचिंग संस्थानों में विद्यार्थियों को प्रवेश देने से पूर्व परीक्षा आयोजित की जाए. उसके परिणाम के आधार पर ही प्रवेश दिया जाए.

  • विद्यार्थियों और अभिभावकों को कोचिंग में प्रवेश के समय मेडिकल, इंजिनियरिंग के अलावा विकल्पों की जानकारी दी जाए.

  • हॉस्टलों और पीजी में पंखों को लटकाने के लिए हैगिंग डिवाइस का उपयोग अनिवार्य किया जाए. भविष्य में किसी भी प्रकरणों में पुलिस इसकी भी जांच करेगी.

  • हॉस्टल में रहने वाले विद्यार्थियों में प्रति दिवस मैनेजर, वार्डन द्वारा जांच अनिवार्य हो और उनसो जाकर संवाद किया जाए. साथ ही किसी भी समस्या या स्वभाव परिवर्तन की सूचना अभिभवकों और पुलिस का दी जाए.  

  • कोचिंग संस्थानों में काउंसलर प्रक्रिया को प्रभावी एवं अनिवार्य किया जाए.

  • बहुमंजिला हॉस्टलों में बालकोनी में लोहे की ग्रिल लगाई जाए.


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