Rajasthan News: राजस्थान (Rajasthan) में इस बार सरकार एक नई राजनीति की तरफ आगे बढ़ रही है. प्रदेश में बड़ी जाति आधारित कई बोर्डों का गठन कर दिया है. इसमें कई जातियां ऐसी हैं, जिनकी मांग बहुत दिनों से थी. अब उन्हें बोर्ड देने के बाद सरकार बड़े-बड़े दावे कर रही है. यह माना जा रहा है कि ये जो कुछ हो रहा है सब रणनीति के तहत हो रहा है. इसके पीछे कहानी यह है कि ये उन सभी प्रमुख जातियों को रिझाने का यह मजबूत प्रयास है. अभी तक 10 बोर्ड बनाए जा चुके हैं. 


कुछ और बोर्ड बनाए जाने की सुगबुगाहट तेज है. अब सवाल किए जा रहे हैं बोर्ड तो बनाए गए मगर बजट की चर्चा नहीं है. इसे जातिगत सम्मेलनों का असर भी माना जा रहा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( Ashok Gehlot ) ने दो दिन पहले यादवों के लिए कृष्ण बोर्ड के गठन करने की घोषणा कर दी. इस दौरान वहां पर बड़ी संख्या में यादव नेता मौजूद रहे. राजस्थान युवा यादव महासभा के प्रदेश महासचिव सुरेश यादव का कहना है कि ये हमारी वर्षों पुरानी मांग थी. 


अब तक 10 बोर्डों का किया गया गठन
उन्होंने कहा कि सबसे खुशी की बात यह है कि सीएम ने तुरंत इस मामले को हल कर दिया है. इसे हम अच्छी बात मानते हैं. इस बोर्ड का चेयरमैन कौन होगा और कितने सदस्य होंगे. इसकी अभी कोई रूपरेखा नहीं है.  जाट जाति के लिए तेजाजी बोर्ड, राजपूत जाति के लिए महाराणा प्रताप और यादव के लिए कृष्ण बोर्ड बनाने की घोषणा हो चुकी है. गुर्जर के लिए देवनारायण बोर्ड, माली के लिए ज्योतिबा फुले , धोबी के लिए रजक, नाई के लिए केश कला, कुम्हार के लिए माटी कला, लोध के लिए अवंति बाई और बंजारा जाति के लिए घुमन्तु अर्ध घुमंतू बोर्ड का गठन किया जा चुका है. इन बोर्डों के गठन के बाद अभी कई में अध्यक्ष और सदस्य तक नहीं बनाए गए हैं. 


वहां पर एक अलग ही परेशानी खड़ी हुई है. यहां तक की कई बोर्ड के कार्यालय तक नहीं खुल पाएं हैं. बजट न मिलने की भी चर्चा है, जिसका असर भी दिख रहा है. राजस्थान में सबसे पहले विप्र कल्याण बोर्ड का गठन हुआ. उसके बाद से यहां पर लगातार जातिगत सम्मेलन हुए. उनके दबाव में सरकार ने लगातार बोर्ड बना दिए. हालांकि, इसे चुनावी साल में घोषित करने पर बीजेपी इसे झुनझुना बता रही है.  


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