Rajasthan New Districts and Divisions: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने हाल ही में प्रदेश में नए 19 जिले और 3 संभाग का बनाने की घोषणा की है. इस घोषणा के बाद पाली जिला संभाग बन गया है. पाली का गौरवशाली इतिहास रहा है. यहां के पालीवाल ब्राह्मणों ने प्रदेश में संस्कृति व विकास को बढ़ावा दिया.


राजस्थान के नए संभागों में शामिल पाली से जोधपुर की दूरी 70 किलोमीटर है. वहीं पाली से जालोर जिले की दूरी 100 किलोमीटर है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पाली जिले को संभाग बनाने की घोषणा के बाद लोग जानने के इछुक हैं कि पाली का इतिहास क्या है और व्यापार की दृष्टि से पाली कितना महत्वपूर्ण है.


भारतीय जनता पार्टी के विधायक ज्ञानचंद पारख ने कहा कि पाली जिले को संभाग मुख्यालय बनाना बहुत खुशी की बात है. पाली जिले के उस गौरवशाली इतिहास को देखते हुए पाली को संभाग बनाया गया है. पाली सहित आसपास के जिलों व गांवों में रहने वाले आमजन को इसका बहुत फायदा होगा. अब संभागीय आयुक्त और पुलिस आईजी पाली में बैठेंगे. पाली जिले को संभाग बनाने की पहले कोई मांग नहीं की गई थी. संभाग बनाने के लिए कमेटी बनाई गई थी. फिर संरचना की कमेटी के दिशा निर्देश पर पाली जिले को संभाग बनाने का निर्णय लिया गया है.


व्यापार के लिए महत्वपूर्ण
संभाग मुख्यालय बनने जा रहे पाली में सबसे बड़ा वस्त्र उद्योग हैं. ग्रेनाइट की माइंस हैं. चूड़ी का भी व्यापार देशभर में प्रसिद्ध है. इसके अलावा सोजत की मेहंदी देश ही नहीं दुनिया में प्रसिद्ध है.


पाली से जुड़ी जानकारी
पाली से जोधपुर की आमजन प्यास बुझाने के लिए पानी भेजा जाता था, लेकिन आज के दौर में पाली में पानी का बहुत बड़ा संकट है. पाली जिले की प्यास बुझाने के लिए जोधपुर से ट्रेन के द्वारा गर्मियों में पानी पहुंचाया जाता है.


बता दें शूरवीर महाराणा प्रताप की मां जयवंती बहन पाली की थीं. महाराणा प्रताप का जन्म भी पाली में हुआ था. शूरवीर महाराणा प्रताप का ननिहाल पाली में था. पाली शहर तीन बार उजड़ा था, लेकिन खास बात यह रही कि तीनों ही बार फिर से बस गया.


पांच पांडव पुत्र भी अपने अज्ञातवास के समय पाली के बाली की पहाड़ियों में रहे थे. पाली का वस्त्र उद्योग कपड़ों की रंगाई और छपाई के लिए बहुत प्रसिद्ध है. प्राचीन काल में अन्य देशों से सामान लाया जाता था और यहां बेचा जाता था


पाली का नामकरण का इतिहास
पाली शहर का नाम इसलिए पाली रखा गया था, क्योंकि यहां पालीवाल ब्राह्मणों का निवास स्थान हुआ करता था. कुछ समय पहले इसे पालिका और गुजर प्रदेश के नाम से भी जाना जाता था. पाली के रणकपुर व सोमनाथ जैसे भव्य मंदिरों को देखकर यह आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि पाली एक समृद्ध शहर हुआ करता था. सीहाजी जब पुष्कर की यात्रा पर गए थे तो लौटते समय उन्होंने आमजन को बचाया था और उनकी सहायता भी की थी.


लुटेरों का किया खात्मा
उस समय पाली के पालीवाल ब्राह्मणों ने भी सीहाजी से सहायता मांगी थी. सहायता के लिए सीहाजी अपने काफिले के साथ पाली आये थे. सीहाजी पालीवाल ब्राह्मणों व आमजन की सुरक्षा की जिम्मेदारी लेते हुए सीहाजी ने अपना शासन स्थापित किया लुटेरों का खात्मा कर आमजन और व्यापारियों को राहत दिलाई थी.


पालीवाल ब्राह्मणों के एक धड़े ने विकास की अलख जगाते हुए जैसलमेर के धोरों की धरती पर कुलधरा व खाम्भा गावों को बसाया था. जो आज भी वीरान पड़े हैं. इस गांव में कोई भी व्यक्ति रात को नहीं रुक सकता है.


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