Jaipur News: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने कहा है कि राहुल गांधी 2024 के चुनाव में कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद का चेहरा होंगे. उन्होंने कहा कि 26 दलों ने आपसी विचार-विमर्श के बाद 'ही INDIA'गठबंधन बनाया है. उन्होंने कहा कि 2024 के लोकसभा चुनाव में एनडीए का वोट शेयर गिरेगा. 


क्यों है INDIA की जरूरत


'इंडिया' गठबंधन की जरूरत के सवाल पर गहलोत ने कहा कि हर चुनाव में स्थानीय मुद्दे काम करते हैं. लेकिन देश के मौजूदा हालात ने सभी दलों पर अत्यधिक दबाव पैदा कर दिया है.उन्होंने कहा कि जनता के दबाव की वजह से सभी दलों को यह गठबंधन बनाना पड़ा है. गहलोत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'अहंकारी' नहीं होना चाहिए, क्योंकि 2014 में बीजेपी केवल 31 फीसदी वोटों के साथ सत्ता में आई थी. बाकी 69 फीसदी वोट उनके खिलाफ थे. 


गहलोत ने कहा कि पिछले महीने बंगलुरु में इंडिया गठबंधन के दलों की हुई बैठक के बाद से बीजेपी के नेतृत्व वाला एनडीए डरा हुआ था. गहलोत से जब उन दावों को लेकर सवाल किया गया कि एनडीए 50 फीसदी वोटों के साथ सत्ता में आने की तैयारी कर रहा है तो उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी कभी उसे हासिल नहीं कर पाएंगे.उन्होंने कहा कि जब मोदी अपनी लोकप्रियता के चरम पर थे तो भी वो 50 फीसदी वोट नहीं ला पाए थे.उन्होंने कहा कि एनडीए का वोट शेयर गिरेगा और 2024 को परिणाम बताएगा कि कौन प्रधानमंत्री बनेगा.


प्रधानमंभी नरेंद्र मोदी के वादों का क्या हुआ


गहलोत ने यह भी दावा किया कि 2014 में नरेंद्र मोदी कांग्रेस की वजह से ही प्रधानमंत्री बने थे. उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के भाषण की आलोचना करते हुए कहा कि लोकतंत्र में भविष्य का अनुमान लगाना संभव नहीं है. उन्होंने कहा, '' यह फैसला जनता को करना चाहिए और सबको उसका सम्मान करना चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी ने कई वादे किए लेकिन जनता जानती है कि उनका क्या हुआ.''


टीवी चैनल आजतक को दिए एक इंटरव्यू में चंद्रयान-3 की सफलता का श्रेय अशोक गहलोत ने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी को दिया. उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3 की सफलता में भी  नेहरू का योगदान अहम है. मौजूदा उपलब्धियां इंदिरा गांधी और नेहरू की कड़ी मेहनत का नतीजा हैं.'' उन्होंने कहा कि भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन की स्थापना इसलिए हुई क्योंकि नेहरू ने वैज्ञानिक विक्रम साराभाई के सुझावों को सुना. उन्होंने कहा कि पहले इस संस्थान का नाम कुछ और था लेकिन इंदिरा गांधी के सत्ता में आने के बाद उसका नाम बदलकर 'इसरो' किया गया. 


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