Rajasthan CM Bal Gopal Yojana: राजस्थान (Rajasthan) के सरकारी स्कूलों में 1 जुलाई से शुरू होने वाली मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना (Mukhyamantri Bal Gopal Yojana) अभी तक कागजों से धरातल पर नहीं उतर पाई है. नया सत्र शुरू हुए एक महीने से ज्यादा हो चुका है, लेकिन अभी तक स्कूलों में इस योजना के तहत बच्चों को पाउडर का दूध देना शुरू नहीं किया गया है. पहले राजस्थान के सरकारी स्कूलों (Rajasthan Government School) में 1 जुलाई से इस योजना को शुरू किया जाना था, जिसे 15 अगस्त कर दिया गया, ताकि स्कूलों में अच्छा खासा नामांकन होने के साथ योजना में चार चांद लगाए जा सके, लेकिन 15 अगस्त निकल जाने के बाद भी यह योजना शुरू नहीं हो पाई है.
इस योजना में करीब प्रदेश भर के 70 लाख बच्चों को फायदा होना था, लेकिन सरकारी आदेशों के जारी नहीं होने के चलते योजना अधर झूल में है. उधर स्कूल प्रशासन का कहना है कि सरकार की ओर से दूध मिलने के दिशा-निर्देश मिले हैं, लेकिन अभी तक स्कूलों में मिल्क पाउडर दूध कब से मिलेगा, इसकी तारीख और आदेश तक नहीं आए हैं. ऐसे में बच्चे अभी तक दूध का इंतजार कर रहे हैं. स्कूलों में बच्चों की इम्युनिटी बढ़ाने और उनको स्कूलों से जोड़े रखने के लिए सरकार ने फिर से दूध देने की योजना शुरू की है. हालांकि, सभी स्कूलों से नामांकन की स्थिति भी दी जा चुकी है और दूध की आपूर्ति करने वाली एजेंसी भी तय हो चुकी है, इसके बाद भी अब तक दूध नहीं पहुंचा है. इस कारण बच्चों को अभी भी दूध का इंतजार है.
गहलोत सरकार ने रखा है 476.44 करोड़ रुपये का बजट
सरकारी स्कूल में ज्यादातर आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग के छात्र पढ़ते हैं. इनमें से कई घरों में भोजन का खर्च मुश्किल से निकलता है. ऐसे में इन बच्चों के स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है, जिसकी वजह से प्रदेश भर में कुपोषित बच्चों के भी आंकड़े बढ़ रहे हैं. सीएम अशोक गहलोत ने साल 2022-23 की बजट घोषणा में मिड डे मील योजना के तहत कक्षा 1 से 8 वीं तक के बच्चों को 1 जुलाई से हर सप्ताह में दो दिन डिब्बे का दूध उपलब्ध कराने के लिए 476.44 करोड़ रुपये का बजट पारित किया था. यह दूध राजस्थान को-ऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन के जरिए विद्यालय स्तर पर पहुंचाया जाना है.
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70 लाख बच्चों को मिलेगा लाभ
हालांकि, जुलाई महीने की शुरुआत से ही नामांकन का आंकड़ा गड़बड़ाने के साथ ही अब प्रदेश की स्कूलों में 15 अगस्त से दूध योजना शुरू करने का फैसला लिया गया है, जिसके बाद आज दिन तक कोई आदेश जारी नहीं हुए. इस दूध योजना में 70 लाख बच्चों को लाभ पहुंचेगा. वसुंधरा सरकार में मिड डे मील योजना के तहत अन्नपूर्णा दूध योजना शुरू की गई थी, जो विवादों में भी रही, क्योंकि बच्चों को बिना शुगर वाला दूध दिया जाता था. बच्चे पीने के लिए मना कर देते थे. योजना के तहत करीब महीने भर तक बच्चाें काे सप्ताह में 3 दिन दूध दिया गया. उसके बाद अगस्त माह से पूरे सप्ताह यानी साेमवार से शनिवार तक छह दिन बच्चाें काे दूध का वितरण शुरू किया गया, जो मार्च 2020 तक जारी रहा.
जानिए क्या है सीएम बाल गोपाल योजना का उद्देश्य?
वहीं काेराेना काल के दौरान स्कूल बंद होने के साथ ही गहलाेत सरकार ने दूध याेजना काे भी बंद कर दिया. फिर दोबारा स्कूल खुलने पर बच्चाें काे मिड डे मील के तहत भोजन ताे दिया गया, लेकिन बच्चाें काे दूध नहीं दिया. ऐसे में गहलोत सरकार ने पिछले साल बजट घोषणा के दौरान वापस से दूध योजना शुरू की. सरकार के दिशा-निर्देश मिलने के बाद प्रदेश के स्कूलों में सभी तैयारियां की जा चुकी हैं. जैसे ही समिति से पाउडर की सप्लाई मिलेगी, बच्चों को मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना के तहत सप्ताह में दो बार दूध देना शुरू कर दिया जाएगा. इस योजना का उद्देश्य कक्षा पहली से आठवीं तक के बच्चों के पोषण स्तर में सुधार लाने, राजकीय विद्यालयों में नामांकन में वृद्धि और ड्रॉप आउट रोकना है.
इन बच्चों को पीने के लिए मिलेंगे 200 मिली लीटर दूध
सरकार की योजना के अनुसार कक्षा एक से पांचवीं तक के बच्चों को 15 ग्राम पाउडर मिल्क की मात्रा प्रति छात्र के पाउच से इसे तैयार किया जाएगा. इससे बच्चों को 150 मिली लीटर दूध पीने को मिलेगा. इसमें चीनी की मात्रा 8.4 ग्राम रहेगी. इसी तरह कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को 20 ग्राम पाउडर से दूध तैयार कर 200 मिली लीटर दूध पीने को दिया जाएगा. इसमें 10.2 ग्राम चीनी की मात्रा डाली जाएगी.