Rajasthan Lok Sabha Election Result 2024: राजस्थान के लोकसभा चुनाव से पहले ही बीजेपी को भरोसा था कि पिछली बार की तरह इस बार भी नतीजे बेहतरीन आएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. 2019 लोकसभा चुनाव में सभी 25 सीटें जीतने वाली बीजेपी इस साल 14 सीटों पर सिमट गई. सत्तारूढ़ पार्टी को राजस्थान से ऐसे नतीजों की उम्मीद नहीं थी. ऐसे में अब पार्टी आलाकमान हार की वजहों की जांच करने में जुटा है और इसी के साथ मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के सामने कई चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं.


दिसंबर 2023 में पहली बार विधायक बने भजनलाल शर्मा को बीजेपी आलाकमान ने राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के लिए चुना. समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, भजनलाल सरकार में मौजूदा कैबिनेट मंत्री और राजस्थान के शीर्ष पद के दावेदारों में से एक रहे किरोड़ी लाल मीणा ने संकेत दिया है कि अपने क्षेत्र में हुई हार की जिम्मेदारी लेते हुए वह इस्तीफा दे देंगे. अगर मीना इस्तीफे की पेशकश करते हैं तो इससे बाकी मंत्रियों पर भी दबाव पड़ सकता है, जिनके क्षेत्र में बीजेपी का प्रदर्शन खराब रहा.


कांग्रेस में बढ़ सकता है डोटासरा का पद
दूसरी ओर यह माना जा रहा है कि कांग्रेस में गोविंद सिंह डोटासरा का पद बढ़ सकता है क्योंकि पार्टी 10 साल बाद राजस्थान  की संसदीय सीटें जीतने में कामयाब हुई है. इस साल जनवरी में पार्टी ने बीजेपी द्वारा अपने उम्मीदवार को मंत्री बनाए जाने के बावजूद करणपुर सीट पर विधानसभा चुनाव भी जीता था. 


जानकारी के लिए बता दें कि लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी 25 में से 14 सीटें ही हासिल कर पाई, जबकि कांग्रेस ने 8 सीटें जीतीं और इंडिया ब्लॉक के बाकी सहयोगियों को तीन सीटें मिलीं. यह 2014 की तुलना में एक बड़ा बदलाव है, जब बीजेपी ने सभी 25 सीटें जीतीं. वहीं, साल 2019 में जब बीजेपी को 24 सीटें मिलीं और एनडीए में शामिल रही रालोप को एक सीट मिली. 2019 के मुकाबले बीजेपी को इस बार 10 सीटों का नुकसान हुआ है. 


सीएम भजनलाल शर्मा ने उठाई थी चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी
2019 के मुकाबले इस बार बीजेपी को 10 सीटों का नुकसान हुआ, जबकि आरएलपी ने नागौर सीट पर कांग्रेस के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा और विजयी रही. बीजेपी के वोट शेयर में भी 2019 की तुलना में 2024 में 9.23 प्रतिशत पॉइंट की गिरावट आई है जबकि कांग्रेस को अपने वोट शेयर में 3.67 प्रतिशत अंक का इजाफा हुआ है. 


राज्य में पार्टी का चुनाव अभियान बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी के साथ-साथ सीएम भजनलाल शर्मा ने भी चलाया था. क्योंकि जोशी भी चित्तौड़गढ़ सीट से चुनाव लड़ रहे थे, इसलिए भजनलाल शर्मा ने राज्य भर में रैलियां और बैठकें कीं.


वसुंधरा राजे ने नहीं किया बीजेपी का प्रचार
बीजेपी की सीनियर नेता वसुंधरा राजे भी इस बार बीजेपी के प्रचार में सक्रिय नहीं दिखीं. उनका ध्यान केवल बेटे दुष्यंत सिंह की सीट झालावाड़-बारां पर रहा. बीजेपी को बड़ा झटका पूर्वी राजस्थान से लगा, जहां भरतपुर, करौली-धौलपुर, टोंक-सवाईमाधोपुर और दौसा सीटें उन्हें गंवानी पड़ीं. 


गौरतलब है कि भरतपुर सीएम भजनलाल शर्मा का गृहनगर है. इन सभी सीटों पर कांग्रेस ने जीत हासिल की है. शेखावाटी क्षेत्र में भाजपा को चूरू, झुंझुनू, सीकर और नागौर सीटों पर हार का सामना करना पड़ा, जबकि सबसे शर्मनाक हार बाड़मेर से हुई, जहां केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी 4.17 लाख मतों के भारी अंतर से हारे और तीसरे स्थान पर रहे. 


बीजेपी की जी का अंतर भी हुआ कम
बीकानेर में केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, जोधपुर में गजेंद्र सिंह शेखावत और कोटा-बूंदी में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला की जीत का अंतर भी 2019 के चुनावों की तुलना में कम हो गया है. सीएम शर्मा ने राजस्थान में 89 और तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, पंजाब, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा सहित अन्य राज्यों में 62 सार्वजनिक बैठकें और रैलियां कीं. तीन महीने की अवधि में सीएम ने पेपर लीक पर अंकुश लगाने और कानून-व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कई फैसले लिए.


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