Rajasthan Politics: कांग्रेस आलाकमान से फिर मिला झटका, क्या होगा सचिन पायलट का मास्टर प्लान?
राजस्थान में इस साल चुनाव है लेकिन किसी भी हाल में सचिन पायलट और सीएम अशोक गहलोत के बीच की तकरार खत्म नहीं हो रही .पिछले कुछ महीनों में तीन बड़े मौके आए जब लगा कि मामला तय हो जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
Rajasthan Politics: कांग्रेस आलाकमान की ओर से सचिन पायलट को लगातार झटके ही मिल रहे हैं. ऐसे में सवाल यह है कि आखिर सचिन पायलट का क्या प्लान है. इस बात को लेकर अब कौतूहल बढ़ने लगा है. क्योंकि विधानसभा चुनाव के लिए अब ज्यादा समय बचा नहीं है. इन बातों को लेकर अब सियासी गलियारे में चर्चा तेज है. पिछले कुछ महीनों में तीन बड़े मौके आए और फिर भी कुछ हल नहीं निकल पाया. जबकि इन तीन बड़े अवसरों से यह समझ आया था कुछ तो कुछ स्पष्ट हो जाएगा. मगर इन अवसरों से समाधान निकलने की जगह बात और बिगड़ती चली गई.
सचिन पायलट को राहुल गांधी ने एसेट तो बोल दिया लेकिन अभी तक कुछ ऐसा दिखा नहीं है. हर जगह गहलोत खेमा ही मजबूत दिख रहा है. भारत जोड़ो के बाद रायपुर अधिवेशन में भी गहलोत की उपस्थिति रही. एक धड़ा तीन नेताओं पर कार्रवाई की मांग करता रहा लेकिन न तो कार्रवाई हुई और न ही कोई हल निकला.
पायलट को लेकर मूक कांग्रेस
राजस्थान कांग्रेस में एक बड़ा धड़ा 25 सितम्बर को जो हुआ उसके पक्ष में नहीं है. यहां तक की सीएम गहलोत ने खुद उस घटना पर माफी भी मांग ली थी. 25 सितम्बर को पायलट गुट को इन्तजार था कि कुछ न कुछ हल निकलेगा. लेकिन उस दिन पूरी बात ही बिगड़ गई. यहां तक की उस घटना के बाद यहां प्रदेश प्रभारी को भी हटना पड़ा. उस दिन के बाद तीन बड़े नेता चर्चा में आए.
आलाकमान ने कोई फैसला नहीं लिया. लेकिन सचिन पायलट के लिए उनके समर्थक इस दिन से एकजुट होकर बदलाव की मांग करने लगे थे. अब न तो इसपर की चर्चा है और न ही कोई इसका उपाय या हल सामने आया है. मामला दिल्ली तक पहुंचा. केंद्र से आलाकमान ने मामले के हल के लिए प्रदेश प्रभारी भी बदल दिया.
भारत जोड़ो यात्रा से बड़ी उम्मीद
राजस्थान में जब भारत जोड़ो यात्रा आने वाले थी तो उसके पहले ही यहां पर एक सियासी माहौल दिखा कि पायलट को मौका मिल सकता है. राजेंद्र सिंह गुढ़ा और खिलाड़ी लाल बैरवां जैसे कई विधायक खुलकर सामने आ गए थे. कोटा से लेकर जयपुर तक सचिन के समर्थक दिखने लगे थे. भारत जोड़ो लगभग 21 दिन तक राजस्थान में रही और यहां से चली भी गई. लेकुन कांग्रेस में जो एक सियासी टकराहट बनी थी वो बनी रह गई.
यात्रा के बाद दोनों तरफ यह बात साफ दिख रही थी कि इस सियासी टकराहट का स्थाई समाधान निकलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इस बीच मुख्यमंत्री ने बजट पेश करने की घोषणा कर दी थी. एक बार फिर पायलट के लोगों को उम्मीद जगी कि बजट पेश करने से पहले पायलट को मौका मिल सकता है.
रायपुर अधिवेशन ने जगाई उम्मीद
सचिन पायलट के समर्थकों को रायपुर अधिवेशन से उम्मीद थी कि कोई न कोई हल निकलेगा. मगर अधिवेशन हुआ और बात निकल गई. यहां से भी आलाकमान से एक झटका ही मिला. क्योंकि अधिवेशन से पहले जो एआईसीसी सदस्यों की लिस्ट आई वो काफी परेशान करने वाली रही. पायलट के कई समर्थक विधायक उस लिस्ट में नहीं थे. जबकि गहलोत के खास कई नेता उसमें शामिल है. इससे एक बड़ा बदलाव दिखा. रायपुर अधिवेशन में पायलट को बोलने का मौका भी नहीं मिला.
क्या करेंगे पायलट?
जब राजस्थान में विधान सभा का चुनाव करीब है और कांग्रेस में कोई हल नहीं निकल रहा है. ऐसे में सबकी नजरें अब सचिन पायलट के फैसले पर टिकी हैं. क्या पायलट कोई बड़ा फैसला लेंगे ? या चुनाव तक ऐसा ही चलता रहेगा. वहीं दोनों गुटों में पायलट और गहलोत को लेकर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है. सभी को अब एक और बड़े अवसर का इंतजार है. लेकिन क्या अब कोई अवसर आने वाला है? फिलहाल कांग्रेस का कोई कार्यक्रम तय नहीं दिख रहा है.
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