Congress vs Congress: कोटा विकास प्राधिकरण (KDA) के गठन के मामले में सांगोद से कांग्रेस विधायक भरत सिंह कुंदनपुर ने तीखे तेवर दिखाए हैं. उन्होंने इस मामले में राज्यपाल के नाम डिविजनल कमिश्नर को ज्ञापन दिया है. बड़े विरोध-प्रदर्शन की आशंका के चलते डिविजनल कमिश्नर कार्यालय के बाहर पुलिस बल तैनात किया था, लेकिन भरत सिंह अपने कुछ समर्थकों के साथ ही वहां ज्ञापन देने पहुंचे.
मीडिया से उन्होंने कहा कि केडीए के गठन की मुख्यमंत्री की बजट घोषणा को क्रियान्वित किया गया. मेरा विरोध इस बात को लेकर नहीं है. मेरा विरोध इस बात पर है कि जिन भी लोगों ने यह बिल तैयार किया, बड़े गोपनीय तरीके से तैयार किया. मैं कांग्रेस विधायक हूं, मेरे विधानसभा क्षेत्र के दस गांवों को केडीए में शामिल किया, लेकिन मुझसे कोई राय नहीं ली गई.
प्रॉपर्टी डीलरों और राजनेताओं ने बनाया है बिल?
भरत सिंह ने बिल को लेकर गंभीर आरोप लगाए. उन्होंने कहा कि इस बिल में ना तो विधायक से पूछा गया और ना ही किसी जनप्रतिनिधि से चर्चा की गई. इस बिल का कई अधिकारियों तक को पता नहीं है. इसमें जिला परिषद की सीईओ तक को पता नहीं हैं, ऐसा क्या था जो इस बिल को चोरी छुपे बनाया गया. इसी तरह अन्य विधानसभा क्षेत्रों के क्षेत्र जोड़े, उनसे भी नहीं पूछा. मैंने इस बिल का अध्ययन किया है, यह बहुत खतरनाक बिल है. इस बिल को तैयार करने में प्रॉपर्टी से जुड़े लोग, जिनमें राजनेता भी हैं, उनका बहुत बड़ा योगदान रहा है. जबकि जिन लोगों का वास्तव में इसमें योगदान होना चाहिए, उनसे तो कोई राय नहीं ली गई.
भरत सिंह ने कहा कि इस बिल को लेकर मेरा विरोध इतना है कि इस पर चर्चा होनी चाहिए थी, अनावश्यक गांवों को क्यों जोड़ा गया, जो गांव जोड़े गए हैं, उन गांवों के जनप्रतिनिधियों, प्रधान, जिला प्रमुख, विधायकों से चर्चा ही नहीं की गई. ये गलत हुआ है. बिल को विधानसभा में भी शोर-शराबे के बीच पारित कर दिया गया.
पूर्व विधायक भी आए केडीए के विरोध में
इस मामले में पूर्व लाडपुरा विधायक भवानी सिंह राजावत ने कहा कि राज्य सरकार की ओर से कोटा विकास प्राधिकरण विधेयक 2023 पारित कर कोटा और बूंदी के कुल 292 गांवों को प्राधिकरण में शामिल करने की अधिसूचना जारी की गई है. इस पर गांववासियों में रोष है. राजावत ने कहा कि इसमें लाडपुरा के 212 गांवों को भी सम्मिलित किया गया है, लेकिन हम इन गांवों की एक इंच जमीन भी प्राधिकरण में नहीं जाने देंगे क्योंकि कांग्रेस ने अपने पूर्ववर्ती कार्यकाल में लाडपुरा के गांवों की 10 हजार बीघा सिवायचक जमीन यूआईटी के खाते दर्ज करवा ली थी. इन गांवों में किसानों के बाड़ों, चौपालों और सार्वजनिक उपयोग की जमीन का स्वामित्व न्यास के पास आने से ग्राम पंचायतें विकास करवाने में असमर्थ हो गईं. इससे गांवों का मूल स्वरूप भी बिगड़ गया.
अशोक गहलोत सरकार पर लगाए ये आरोप
उन्होंने कहा कि अब सरकार केडीए लाकर बचे हुए गांवों की भी दुर्दशा करने पर तुली हुई है. इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता. पूर्व विधायक राजावत ने कहा कि केडीए के अधीन आने के बाद सैंकड़ों साल से किसानों के कब्जे में चली आ रही सिवाय चक भूमि पर प्राधिकरण का स्वामित्व हो जाएगा. किसान न तो उसे खरीद सकेगा और न बेच सकेगा. प्राधिकरण जब चाहेगा किसानों को बेदखल कर देगा.हालांकि सरकार लोगों को विकास के ख्वाब दिखा रही है, लेकिन उसे पहले यह बताना होगा कि 10 साल पहले जिन गांवों की जमीन यूआईटी (UIT) कोटा के खाते दर्ज हुई थी, उन गांवों में कौन सा विकास गहलोत सरकार ने करवा दिया है.सच्चाई तो यह है कि एक दशक पूर्व जमीनें लेने के बाद भी न्यास ने इन गांवों में विकास के नाम पर एक फूटी कौड़ी भी खर्च नहीं की है. यह तय है कि केडीए भी न्यास की तरह ही केवल गांवों की जमीन कब्जाने का काम करेगा. लेकिन अब किसान मूर्ख नहीं बनेंगे और केडीए को किसी भी गांव की जमीन नहीं लेने देंगे.