Jodhpur news: एटीएम फ्रॉड के शिकार शख्स को हआ था 3.60 लाख का नुकसान, अब कोर्ट ने बैंक को भरपाई का आदेश
गोविंद लाल शर्मा नाम के एक शख्स ने जिला उपभोक्ता कोर्ट में एक याचिका डाली थी. जिसमें उन्होंने बताया था कि 4 से 12 फरवरी 2019 तक उनके खाते से एटीएम कार्ड के जरिये कुल 3.60 लाख रुपये निकाल लिए गए.
Jodhpur ATM fraud news: आप आए दिन एटीएम से फ्रॉड तरीके से रुपये निकालने की ख़बरें पढ़ते होंगे. ऐसा ही एक मामला जोधपुर से आया, जहां भारतीय स्टेट बैंक के एक ग्राहक के बचत खाता से एटीएम के जरिये 3 लाख 60 हजार रुपये निकाल लिए गए थे. इस पर जोधपुर की जिला उपभोक्ता कोर्ट ने भारतीय स्टेट बैंक को ये आदेश दिया है कि वे ग्राहक को 3.60 लाख रुपये के साथ-साथ उस पर ब्याज भी लौटाए. ब्याज की राशि याचिका की तारीख से भुगतान की तारीख तक का देना होगा.
यही नहीं कोर्ट ने अगले दो महीने के अंदर ये रुपये देने का आदेश दिया है. साथ ही ग्राहक को शारीरिक और मानसिक तौर पर परेशान करने के लिए 10,000 रुपये और कोर्ट के खर्च के लिए 5,000 रुपये देने का भी आदेश दिया है. दरअसल गोविंद लाल शर्मा नाम के एक शख्स ने जिला उपभोक्ता कोर्ट में एक याचिका डाली थी. जिसमें उन्होंने बताया था कि 4 फरवरी 2019 से 12 फरवरी 2019 तक उनके खाते से एटीएम कार्ड के जरिये हर दिन 40,000 रुपये करके कुल 3.60 लाख रुपये निकाल लिए गए. जब उन्हें बैंक से यह जानकारी मिली तो उन्होंने अपने एटीएम कार्ड की जांच की. कार्ड उनके पास था और पैसे उन्होंने निकाले भी नहीं थे. साथ ही उन्हें एटीएम से निकाले गए पैसे को लेकर बैंक से कोई एसएमएस भी नहीं मिला था.
बैंक ने नहीं की पीड़ित शख्स की शिकायत की जांच
इसके बाद उन्होंने बैंक जाकर इसकी शिकायत बैंकिंग लोकपाल को दर्ज कराई. हालांकि बैंक ने अपनी रिपोर्ट में उनकी शिकायत को निराधार बताया और कहा कि उन्होंने ही अपने एटीएम कार्ड से पैसे निकाले हैं. साथ ही बैंक ने यह भी कहा कि उनको एसएमएस भी भेजा गया था. हालांकि पीड़ित शख्स की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने पाया कि ये सभी दावे बैंक द्वारा शिकायत के सत्यापन या जांच के बिना किए गए थे. बैंक ने न तो एटीएम का कोई सीसीटीवी फुटेज कोर्ट में पेश किया और न ही एटीएम की कोई सूची जहां से राशि निकाली गई.
इस पर फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा उचित शिकायतों के बावजूद बैंक ने बिना किसी जांच के एक रिपोर्ट पेश की, जो कि धन के ट्रस्टी के रूप में अपने कानूनी और नैतिक कर्तव्यों से मुकरने का एक प्रयास था. इसका ग्राहक और इस प्रकार सेवा प्रदान करने में बैंक की घोर लापरवाही का संकेत है. इसके साथ ही कोर्ट ने बैंक से पीड़ित शख्स को रुपये लौटाने का निर्देश दिया.
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