Kota News: बाढ़ की तबाही के बीच कोटा में मगरमच्छ का खतरा बढ़ गया है. 38 गांव में चंबल नदी (Chambal River) का पानी घुस गया. भारी मात्रा में पानी आ जाने से 10 गांव संपर्क विहीन हो गए. कोटा और मध्य प्रदेश में हुई बरसात के बाद सभी बांधों से पानी की निकासी की कई. सभी बांधों से करीब 10 लाख क्यूसेक पानी चंबल के माध्यम से मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश तक पहुंचा. पानी के साथ ही मगरमच्छ और घड़ियाल (Alligators and Crocodiles) भी बहकर पहुंच गए. अब देखा जा रहा है कि मगरमच्छ कोटा शहर के कई गांव में घरों तक पहुंच रहे हैं. कोटा की करीब दो दर्जन से अधिक कॉलोनियों में मगरमच्छों का भय बना रहता है. मगरमच्छ घरों, नाले, पार्क, झांडियों में पहुंच जाते हैं.
कोटा शहर में मगरमच्छों का सबसे अधिक भय
चंबल नदी, दायी और बांयी मुख्य नहर कोटा के बीच से होकर निकल रही है. ऐसे में आसपास काफी मात्रा में पानी जमा हो जाता है. खाली प्लाट भी मगरमच्छों की शरणस्थली हो जाते हैं. कोटा में बजरंग नगर, किशोरपुरा, रामपुरा, नयापुरा, गांधी कॉलोनी, रंगपुर, विकास नगर, सुमन नगर, काला तालाब, रंग तालाब, खेडली फाटक, आर्मी क्षेत्र, पुरोहित नगर, पूनम कॉलोनी, सोगरिया सहित कई जगह मगरमच्छों का खतरा आज से नहीं वर्षों से रहता है.
कई बार मगरमच्छ लोगों को बना चुके हैं शिकार
कोटा में मगरमच्छ हमला कर करीब एक दर्जन से अधिक लोगों को शिकार बना चुका है. हमले में कई लोग हाथ भी पूरी तरह से गंवा चुके हैं. कोटा के चन्द्रेसल गांव स्थित चन्द्रलोई नदी में मगरमच्छों का सबसे अधिक बसेरा है. गांव में एक युवके के हाथ को मगरमच्छ ने चबा लिया. कई जानवर भी मगरमच्छों का शिकार बन गए.
नयापुरा थाना क्षेत्र के नेहरू कॉलोनी में एक महिला को मगरमच्छ दिखाई दिया. महिला रात करीब 2.30 बजे शौच के लिए निकली थी. दरवाजा के बाहर बैठे मगरमच्छ को देखकर महिला दहशत में आ गई. गनीमत रही कि मगरमच्छ के हमले में महिला बच गई. रात को ही वन विभाग को सूचना दी गई लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया. परिजनों ने ही सूझबूझ से घर का मुख्य दरवाजा खोलकर मगरमच्छ के बच्चे को बाहर निकाला.
चंबल नदी के पास बसे गांव में फैली दहशत
कोटा सहित चंबल के पास बसे गांवों में मगरमच्छों का हमला आम हो गया है. स्थाई समाधान नहीं निकलने के कारण लोगों में दहशत है. चम्बल के पास चन्द्रेसल, मानसगांव, गकटाना, देवली मच्छयान, रोटेदा, रंगपुर, देवली अरब, रायपुरा, छोटी खेडली, नयागांव, गुडला सहित 50 से अधिक गांव दहशत में रहते हैं.