Ashok Gehlot Kotra Visit: चुनावी साल में मतदाताओं को लुभाने के लिए राजस्थान में घोषणाओं और रैलियों का दौर चल रहा है. अब सरकार ने उदयपुर के टीएसपी क्षेत्र को फायदा पहुंचाने के लिए बजट में की गई घोषणा को जल्द जमीन पर लाने के लिए काम शुरू कर दिया है. यही नहीं उदयपुर के सुदूर कोटड़ा जनजाति क्षेत्र में पानी की 3 हजार करोड़ की योजना का सीधे सीएम गहलोत मॉनिटरिंग कर रहे हैं. कोटड़ा दौरे के दौरान सीएम गहलोत ने इस बांध परियोजना पर अपने संबोधन में कहा भी था कि राजस्थान का पानी गुजरात नहीं जाने देंगे, यहीं के लोगों को फायदा देंगे. जानते हैं क्या है ये योजना.


दरअसल सरकार की योजना सई और साबरमती नदी के पानी को गुजरात जाने से रोकने की है. दरअसल बरसात के दिनों में इन नदियों का पानी बहकर गुजरात चला जाता है जिससे कोटड़ा तहसील के लोगों को पानी का फायदा नहीं मिल पाता. अब इन नदियों पर 3000 करोड़ रुपए की लागत से बांध बनाए जाएंगे. फिर बांध का पानी सिरोही और पाली जिले तक पहुंचाया जाएगा.


इन बांधों से पानी पाली जिले स्थित जवाई बांध पहुंचाया जाएगा जिससे दोनों जिलों को फायदा पहुंचेगा. हालांकि इस परियोजना में कई किसानों की जमीन अधिग्रहित की जा रही है जिसका विरोध हो रहा है. वहीं कुछ लोग इसके पक्ष में भी हैं. ऐसे में पूरा प्रसाशन इस विरोध को खत्म करने में लगा हुआ है. उदयपुर जिला कलेक्टर ताराचंद मीणा कह चुके हैं कि भूमि अधिग्रहण नियमों के अनुसार किसानों को मुआवजा दिया जाएगा.


600 गांवों को होगा फायदा
इस योजना में बांध के साथ पाइप लाइन बिछाई जाएगी और टनल भी बनाई जाएगी जिससे बांध से अन्य जगहों पर पानी की सप्लाई की जा सके. रिपोर्ट की मानें तो इस परियोजना से उदयपुर, पाली और सिरोही जिले के 600 से ज्यादा गांव को सीधे पेयजल की सप्लाई हो सकेगी. इसमें अधिकतर गांव जनजाति क्षेत्र में आ रहे हैं. साथ ही सिंचाई के लिए भरपूर पानी भी मिल पाएगा. इसके टेंडर भी जल्दी निकलने वाले हैं जिसकी प्रसाशनिक स्तर पर तैयारियां शुरू हो चुकी हैं.


कोटड़ा दौरे पर क्या बोले सीएम गहलोत
सीएम गहलोत ने बुधवार को उदयपुर जिले के कोटड़ा का दौरा किया. वहां जनसभा को संबोधित करते हुए सीएम ने कहा कि संबोधन में कहा कि हमारी सोच और प्रयास है कि राजस्थान का पानी बहकर गुजरात नहीं जाए. यहां का पानी यहीं के आमजन के पीने और किसानों की सिंचाई के काम आए. ऐसे में बांध से जुड़े प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन में स्थानीय लोग सहयोग करें.


उन्होंने कहा कि बांध बनने में कुछ विवाद भी है, ऐसे में कमिश्नर और कलेक्टर को कहूंगा कि वे आदिवासी समाज के लोगों से बातचीत करें. सभी की सहमति से काम आगे बढ़ सकता है. उन्होंने कहा कि इसका पानी लोगों के पीने और सिंचाई के काम आ सकेगा, इसी सोच के साथ हमने बांध बनाने का फैसला लिया. 


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