Delhi Mumbai Expressway Kota Tunnel: कोटा से होकर निकल रहा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे पर कई जगह बेहतरीन आधुनिक तकनीक का नजारा देखने को मिल रहा है. ये एक्सप्रेस वे देश दुनिया में अपनी मिसाल पेश करेगा. इसका प्रवेश अब राजस्थान में हो चुका है और कोटा तक काम पहुंच गया है. कोटा, बूंदी और झालावाड़ में मुकुंदरा टाइगर रिजर्व आने से यहां जानवरों को सुरक्षित रखते हुए उनकी जीवन शैली को प्रभावित किए बिना ही कार्य को किया जा रहा है.

यहां पर वन्य जीवों के लिए करीब 5 किलोमीटर लंबी सुरंग बनाई जा रही है. यह सुरंग भारत की पहली 8 लेन की इतनी लंबी सुरंग होगी. इस तरह की सुरंग भारत में कहीं भी देखने को नहीं मिलेगी. ये दुनिया की अत्याधुनिक सुरंगों में भी शामिल होगी.

सेंसर सिस्टम से हर हलचल पर रहेगी नजर 
इस सुरंग को बनाए जाने में सेंसर सिस्टम का बखूबी उपयोग किया जा रहा है. टनल में स्मोक सेंसर के अलावा कई तरह के अलग सेंसर लगाए जा रहे हैं. वाहनों की आवाजाही नहीं होने पर लाइट बंद होगी, वाहन आने से पहले लाइट आॅन होगी, फायर सिस्टम, पॉल्यूशन कंट्रोल, व्हीकल मैनेजमेंट, फ्रेश एयर, मोबाइल नेटवर्क सहित कई तरह की सुविधा इसमें होगी.

नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के प्रोजेक्ट इंप्लीमेंटेशन यूनिट (पीआईयू) कोटा के प्रोजेक्ट डायरेक्टर और जनरल मैनेजर जेपी गुप्ता के अनुसार सुरंग का निर्माण जनवरी 2024 में पूरा होना था, लेकिन काम देरी से शुरू हुआ. वन्य क्षेत्र होने के चलते भी स्वीकृति में दिक्कत हुई थी. बाद में मलबे का निस्तारण की भी समस्या सामने आई थी. ऐसे में अब निर्माण कार्य में समय लगेगा और तय समय से कुछ माह देरी से निर्माण पूरा हो जाएगा.

टाइगर रिजर्व के पहले और बाद में 500 मीटर दूरी पर होगी
मुकुंदरा टाइगर रिजर्व में टाइगर की सुरक्षा के साथ अन्य वन्यजीवों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है. ये टनल मुकुंदरा हिल्स टाइगर रिजर्व के 500 मीटर पहले से शुरू हो जाएगी और टाइगर रिजर्व खत्म होने के 500 मीटर आगे तक चलेगी. इस टनल की खासियत यह है कि सुरंग की 2 ट्यूब बनाई जा रही है, जिसमें 1 ट्यूब से चार लेन का ट्रैफिक गुजरेगा. इन दोनों ट्यूब को सुरंग के भीतर 9 जगह पर जोड़ा भी गया है, जिनका उपयोग इमरजेंसी में किया जा सकेगा.

इसके साथ ही वाहन दुर्घटना होने पर स्थिति को कंट्रोल करने के लिए सुरंग में 4 ले-बाय भी बनाए गए हैं, ताकि यातायात सुचारू रहे. एक ट्यूब में 15 मीटर का रास्ता रहेगा. इसकी ऊंचाई करीब 11 मीटर रहेगी. साथ ही इसे पूरी तरह से वाटरप्रूफ किया जाएगा. ड्रेन के पानी को बाहर निकालने के लिए पंप लगाए जाएंगे. 

विशालकाय पहाड को काटकर बनाई जा रही सुरंग
अधिकारियों के अनुसार 3.3 किमी के हिस्से को पहाड़ काटकर बनाया जा रहा है. ऐसे में कोटा की तरफ से काफी ज्यादा काम हो चुका है.  एक ट्यूब में 1.3 और दूसरी में 1.2 किलोमीटर खुदाई हो चुकी है, बाकी काम भी तेजी से किया जा रहा है. अभी भी करीब 2 किलोमीटर की खुदाई दोनों ट्यूब में होने बाकी है. यहां पर 24 घंटे कार्य किया जा रहा है. स्काडा सिस्टम से जुड़ने पर सीसीटीवी के जरिए मॉनिटरिंग भी की जाएगी. ऐसे में कोई भी वाहन अगर सुरंग के भीतर रुकता है या फिर कुछ अनयूजुअल लगता है, तब तुरंत सुरंग को मॉनिटरिंग कर रही टीम वहां पहुंच जाएगी और पूरी मदद करेगी

इतने लोग कर रहें हैं काम
इस सुरंग को बनाए जाने में 700 से ज्यादा लेबर, 40 इंजीनियर और 40 सुपरवाइजर लगातार काम कर रहे हैं. टनल निर्माण में जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश सहित कई राज्यों में टनल निर्माण से पहले जुड़े रहे हैं. इसके अलावा स्वीडन से खास मंगाई गई ड्रिल जंबो मशीन के जरिए ड्रिलिंग की जाती है, जिसके बाद चट्टानों में विस्फोटक भरा जाता है और ब्लास्टिंग हो रही है. प्रतिदिन 10 मीटर खुदाई हो रही है, इसके साथ ही अन्य कार्य भी किए जा रहे हैं.