Kota News: कोटा से होकर गुजर रही दिल्ली मुम्बई रेल लाइन पर विकास कार्य तेजी से कार्य हो रहा है. इस रुट पर ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाए जाने के लिए कार्य प्रगति पर है. इसकी वजह से कई बार कार्यों के चलते ट्रेनें प्रभावत हो रही हैं. हालांकि यह कार्य पूरा हो जाने पर दिल्ली मुम्बई के बीच चलने वाली ट्रेनों की रफ्तार 160 तक पहुंच जाएगी.
मंडल रेल प्रबंधक मनीष तिवारी के मार्गदर्शन में मुख्य परियोजना प्रबंधक गति शक्ति यूनिट के नेतृत्व में नई दिल्ली- मुम्बई रेलमार्ग पर मिशन रफ्तार का काम तेजी से चल रहा है. इस रुट पर ट्रेनें 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से गुजर सकें, इसलिए कोटा मंडल के नागदा से मथुरा खंड के बीच 545 किमी की दूरी तक तीव्र गति से कार्य किया जा रहा है. जिसे पूरा करने का लक्ष्य जुलाई 2024 तक निर्धारित किया गया है.
2665 करोड़ की लागत से हो रहा कार्य
वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक और जनसम्पर्क अधिकारी कोटा रोहित मालवीय ने बताया कि "इस प्रोजेक्ट में नागदा-मथुरा खण्ड में कार्य कुल 2665 करोड़ की लागत से किया जा रहा है. नागदा-मथुरा के मध्य मिशन रफ्तार प्रोजेक्ट का कार्य तीन भागो में विभाजित कर किया जा रहा है. जिसमें मथुरा-गंगापुर सिटी (152 किलोमीटर), गंगापुर सिटी-कोटा (172 किलोमीटर) और कोटा-नागदा (221 किलोमीटर) शामिल है.
प्रथम चरण में मथुरा-गंगापुर सिटी खण्ड का कार्य मार्च 2024 तक पूरा हो जाएगा. इसी तरह दूसरे चरण में गंगापुर सिटी- कोटा खण्ड का कार्य मई 2024 तक, जबकि तीसरे और अंतिम चरण में कोटा-नागदा खण्ड का जुलाई 2024 तक पूरा किया जाना है.
अब नहीं आएंगे पटरी पर जानवर
इस कार्य के तहत मुख्य रुप से तीन विभाग इलेक्ट्रिकल, संकेत, दूर संचार और इंजीनियरिंग कार्य किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट के तहत प्रमुख कार्यों में सुरक्षा के उद्देश्य से मवेशियों को ट्रैक पर आने से रोकने के लिए लाईन के दोनों तरफ वाऊंडरीवॉल लगाने का कार्य, कवच प्रणाली, कर्व को कम करने और ओएचई का कार्य शामिल है. इंजीनियरिंग विभाग द्वारा अब तक नागदा से मथुरा के बीच में ट्रैक के दोनों तरफ वाऊंडरीवॉल लगाने का कार्य कुल 1090 किलोमीटर में से 593 किलोमीटर तक पूरा हो गया. अभी भी इस रुट पर 50 फीसदी काम होना बाकी है.
ट्रैक के दोनों तरफ सुरक्षा के लिए वर्तमान में क्रैश वेरियर लगाया जा रहा है. इसको जल्द से जल्द पूरा करने के लिए कार्य तेजी से चल रहा है. क्रैश वेरियर का कार्य 220 किलोमीटर के दायरे में किया गया है, शेष सुरक्षा घेरा का कार्य क्रैश वेरियर के रूप में किया जाना है.
ट्रैक पर लगाया जा रहा कवच सिस्टम
विकास कार्यों को लेकर रोहित मालवीय ने बताया कि "इन कार्यों के अतिरिक्त कवच प्रणाली के तहत ब्लाक सेक्शन में कवच टावर और 87 विद्युत लोको में कवच सिस्टम लगाया जा रहा है. 87 लोको में से अब तक 30 लोको में कवच सिस्टम लग चुके हैं, इसके अलावा ओएचई का कार्य विद्युत विभाग के द्वारा मथुरा-गंगापुर सिटी खण्ड में लगभग पूरा हो चुका है.
ट्रेन दुर्घटना रोकने के लिए किए जा रहे उपाय
मंडल के अधिकारियों द्वारा मिशन रफ्तार परियोजना के तहत चल रहे कार्य की प्रगति की समीक्षा नियमित रूप से की जा रही है. रेलवे दुर्घटनाओं को रोकने के लिए कई विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं. कवच प्रणाली के तहत एक ही ट्रैक पर दो ट्रेनों के आमने सामने आ जाने पर ऑटोमेटिक रुक जाएंगी और ऐसी परिस्थिति में किसी भी बड़ी दुर्घटना पर आसानी से बचा जा सकेगा.
ये भी पढ़ें: