Wildlife of Rajasthan: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में आठ चीतों की मौत के बाद वहां उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य पर चिंता जताई जा रही है. वाइल्ड लाइफ बोर्ड के सदस्य और सांगोद के विधायक भरत सिंह ने लोकसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देते हुए कूनों में हो रही चीतों की मौत के बाद चीतों को कोटा के मुकुंदरा में बसाने की आवाज उठाई है.उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि हाल ही में आए सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर आपका ध्यान दिलवाना चाहता हूं. यह स्पष्ट है कि केंद्र सरकार के वन मंत्री, राजस्थान के मुकंदरा क्लोजर में चीते नही छोड़ना चाहते हैं. यह मैं नहीं देश का सुप्रीम कोर्ट कह रहा है. प्रश्न यह है कि क्या कोटा के सांसद की भी यही सोच है? यदि आप कोटा के हित में सोच रखते हैं तो सुप्रीम कोर्ट के सुझाव पर अमल करने बाबत केंद्र सरकार के वन मंत्री को कहने का कष्ट करें. यह कार्य लोकसभा के अध्यक्ष के लिए बहुत सहज है.


एक साल से भी कम समय में आठ चीतों की मौत 
भरत सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई की टिप्पणी का हवाला दिया. इसमें कहा गया है कि सभी चीते एक जगह रखने की जगह अलग-अलग जगह क्यों नहीं भेज देते. मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में आठ चीतों की मौत पर सुप्रीम कोर्ट ने गंभीर चिंता जताई है.जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा,''अफ्रीका से लाए चीतों में से 40 फीसदी की मौत हो गई, जबकि उन्हें आए एक साल भी पूरा नहीं हुआ.चीतों की मौत का आंकड़ा अच्छा नहीं है. उन्हें बचाने के लिए सकारात्मक कदम उठाने होंगे.'' कोर्ट ने कहा, ''केंद्र को इसे प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाना चाहिए. कोर्ट ने मौखिक तौर पर कहा, कुछ चीते राजस्थान के अभयारण्य भेजने पर विचार करना चाहिए.''


मुकुंदरा में चीते लाने पर अलग-अलग राय 
कोटा में कूनो से चीते लाए जाने की मांग को लेकर बात की जाए तो यहां के पशु और पर्यावरण प्रेमियों के दो मत हैं. पहला तो विधायक भरत सिंह इसे यहां लाए जाने के पक्ष में हैं. वो कई बार प्रयास भी कर चुके हैं. उन्होंने एक बार फिर लोकसभा अध्यक्ष को पत्र के माध्यम से मांग उठाई है.वहीं दूसरी ओर अधिकारी और कुछ पर्यावरण प्रेमी कूनो से चीतों को यहां लाना उपयुक्त नहीं मान रहे हैं, क्योंकि यहां टाइगर रिजर्व घोषित किया गया है. ऐसे में यहां टाइगर और चीते एक साथ कैसे रह सकते हैं.पशु प्रेमी यहां तक कह रहे हैं कि कूनों में चीतों की मौत सामान्य बात है. उनका कहना है कि जो बच जाएंगे,  वे सर्वाइव कर जाएंगे. उनकी संख्या बढ जाएगी. 


अफ्रीका से लाए गए थे 20 चीते 
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर केंद्र से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है.अब अगली सुनवाई 1 अगस्त को होगी. चीतों की मौत को लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है.याचिकाकर्ता ने बाकी चीतों को राजस्थान या किसी अन्य जगह शिफ्ट करने की मांग की है.चीतों को नई जगह पर बसाने के दौरान 50 फीसदी मौतों को सामान्य माना जाता है.अफ्रीका से 20 चीते लाए गए थे.चार चीतों का जन्म यहीं हुआ.इनमें से तीन शावकों की मौत हुई है. कोर्ट ने 40 प्रतिशत चीतों की मौत पर चिंता जताई है. 


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