धौलपुर (Dholpur) जिले के राजाखेड़ा उपखंड में चंबल नदी (Chambal River) का पानी अब धीरे-धीरे उतरने लगा है. करीब 120 गांवों और ढाणियों में बाढ़ का पानी उतर जाने के बाद बर्बादी का मंजर दिखाई दे रहा है. खाने पीने का सामान बर्बाद होने के साथ चारों तरफ बजरी ही बजरी छा गई है. खेतों में बजरी आने से लोगों की फसलें बर्बाद हो चुकी है. चंबल नदी के उफान से आई बाढ़ ने भयावह तबाही मचाई है. कई लोगों के पक्के मकान धराशायी हो गए. कई मकानों की दीवारों में दरारें पड़ गई हैं. गांव में मगरमच्छ (Crocodile) भी दिखाई देने लगे हैं. गांव महमदपुर में ट्यूबवेल की सफाई करते वक्त एक बड़ा मगरमच्छ निकलकर सामने आ गया. अचानक बड़े मगरमच्छ को देखकर ट्यूबेल की सफाई कर रहे ग्रामीणों के होश उड़ गए.


ग्रामीणों ने मगरमच्छ पकड़कर किया वन विभाग के हवाले


ग्रामीणों ने मगरमच्छ को पकड़ने के लिए वन विभाग (Forest Department) की टीम को बुलाया. वन विभाग की टीम के आने से पहले मगरमच्छ भागने लगा. ग्रामीण हिम्मत जुटाकर भागते मगरमच्छ को पकड़ने के लिए हाथों में डंडा लेकर टूट पड़े. चंद मिनटों की मशक्कत के बाद ग्रामीणों ने बड़े मगरमच्छ को पकड़ने में सफलता हासिल कर ली. ग्रामीणों ने मगरमच्छ को रस्सी से बांध वन विभाग की टीम के सुपुर्द कर दिया. कोटा बैराज (Kota Barrage) से चंबल नदी में लगातार पानी छोड़े जाने के कारण जलस्तर बढ़ गया था. धौलपुर के करीब 120 गांवों में बाढ़ का पानी तीन दिन तक रहा. बाढ़ के पानी से लोगों का जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया था.


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चंबल का पानी खतरे के निशान से कम होने पर मिली राहत


चंबल नदी में पानी खतरे के निशान से ऊपर होने पर लोगों ने छतों पर शरण ले ली थी. प्रशासन ने बाढ़ प्रभावित गांवों में डेरा डाल कर लोगों को सुरक्षित जगह शिफ्ट किया. प्रभावितों के लिए भोजन और ठहराव की व्यवस्था सुनिश्चित की गई थी. चंबल नदी का जलस्तर बढ़ने से 120 गांवों में पानी भरने के कारण अधिकारी चिंतित हो गए थे. राजाखेड़ा के रिहायशी इलाके में पानी भरने की वजह से स्थिति बदहाल हो गई थी. अब चंबल का पानी खतरे के निशान से कम हो गया है. लोगों ने राहत की सांस ली है. बाढ़ का जलस्तर कम होने के बाद ग्रामीण घरों की साफ सफाई में जुट गए हैं. 


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