Diwali Puja Muhurat 2022: उजास, उल्लास और प्रकाश का महापर्व दीपावली (Deepwali) इस बार अपार सुख समृद्धि लेकर आया है. मां लक्ष्मी की पूजा के साथ सोमवार को प्रदोष काल और निशीथ काल व्यापिनी अमावस्या में यह त्योहार मनाया जाएगा. सालों बाद इस बार चित्रा नक्षत्र से युक्त दीपावली आ रही है, जो पूरे देश और समाज के लिए सुख समृद्धि लाने वाली सिद्ध होगी. राजस्थान (Rajasthan) के कोटा (Kota) में ज्योतिषाचार्य अमित जैन (Amit Jain) के अनुसार इस बार दीपावली पर 4 ग्रह अपनी ही राशि में रहेंगे.
उन्होंने बताया कि बुध ग्रह स्वराशि कन्या में, शुक्र तुला राशि में, शुक्र मकर राशि में, शनि और गुरु मीन राशि में रहेंगे. इस तरह चार ग्रहों का एक समय में अपनी-अपनी राशि में होना एक दुर्लभ योग है. इसके साथ ही दीपावली पर मालव्य योग, शश योग, भद्र योग, सुनफा योग, बाशी नामक पंच राजयोग बन रहा है. ऐसे में आज दीप जगमग होंगे और सालों बाद चित्रा नक्षत्र के साथ आई दीपावली सुख-समृद्धि लाएगी. अमावस्या शाम 5 बजकर 28 मिनट से प्रारंभ होगी, इसके बाद अनुष्ठान दीपोत्सव शुरू होंगे.
आज लक्ष्मी पूजा के सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त
- शाम 7.15 से 7.28 बजे तक
- प्रदोष काल शाम 5.47 से 8.21 बजे तक
- वृष लग्न शाम 7.03 से 9 बजे तक
- सिंह लग्न रात्रि 1.33 से 3.49 बजे तक
- चर का चौघड़िया शाम 5. 47 से 7.23 बजे तक
- लाभ का चौघड़िया रात 10.35 से 12.11 बजे तक
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प्रदोष काल में पूजा का श्रेष्ठ विधान
दीपावली पर प्रदोष काल में लक्ष्मी पूजा का श्रेष्ठ विधान है. प्रदोष काल में ही दीप प्रज्वलित करना उत्तम फलदायक होता है.
मंगलवार को दिन में रहेगा सूर्यग्रहण और सूतक
मंगलवार को दिन में सूर्य ग्रहण रहेगा और सूतक लग जाएगा. मंगलवार को शाम 7.23 से 8.45 तक लक्ष्मीजी का पाटा उठाने या उत्थापन का श्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा. वाहनों और गाय की पूजा करने वाले लोग इनका मुख इस बार पूर्व-दक्षिण दिशा यानी आग्नेय कोण की तरफ रखें. कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि सोमवार को शाम 5 बजकर 28 मिनट से प्रारंभ होगी और मंगलवार (25 अक्टूबर) को शाम 4 बजकर 19 मिनट तक रहेगी. 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण होने से धर्मशास्त्रोक्त दीपावली प्रदोष काल और महानिशीथ काल अमावस्या के दौरान सोमवार को मनाई जाएगी. प्रदोष काल का महत्व गृहस्थ, व्यापारियों के लिए और महानिशीथ काल का तान्त्रिकों के लिए है.