(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Jodhpur News: जोधपुर में किसान के लिए भगवान बने डॉक्टर, लगाने पड़े 5,000 इंजेक्शन, वजह जानकर आप रह जाएंगे हैरान
Rajasthan: डॉ प्रवीण गर्ग की टीम ने पहले मरीज के गले में छेद करके मरीज को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन देनी शुरू की, क्योंकि मरीज सांस भी नहीं ले पा रहा था. बाद में उसे एट्रोपिन के इंजेक्शन दिए गए.
Rajasthan News: राजस्थान के पाली जिले से एक अनोखा मामला सामने आया है, जिसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे. जानकारी के अनुसार एक किसान अपने खेत में फसल को कीड़े से बचने के लिए जहरीली दवाई का छिड़काव कर रहा था. उसी दौरान कीटनाशक दवा उसके शरीर के अंदर भी चली गई, इससे किसान अचेत होकर गिर गया. जैसे ही घटना के बारे में परिजनों को पता चला उसे तुरंत अस्पताल लेकर पहुंचे. कीटनाशक इतना जहरीला था, जिससे किसान की जान पर बन आई. किसान के शरीर में जहरीला कीटनाशक पहुंचने के कारण उसके बचने की संभावना ना के बराबर थी. लेकिन डॉक्टरों ने हिम्मत नहीं हारी और उन्होंने मरीज की जान बचाने में जी-जान लगा दी. किसान को 24 दिन तक अस्पताल में भर्ती रखा गया, इस दौरान मरीज को 5000 इंजेक्शन लगाए गए. आखिरकार डॉक्टरों की मेहनत रंग लाई और अब मरीज बिल्कुल ठीक है. डॉक्टरों के शरीर में 600 ML के करीब कीटनाशक चला गया था.
राजकीय मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉक्टर दीपक वर्मा ने बताया कि पाली बांगड़ चिकित्सालय में एक मरीज़ को लाया गया, जिसकी हालत बहुत खराब थी. उसके शरीर में बहुत ज़्यादा मात्रा में कीटनाशक जिसे ऑर्गेनोफ़ॉस्फ़ोरस पॉइज़निंग कहते हैं चला गया था. किसान की उम्र 35 वर्ष के लगभग थी, उसको गंभीर स्थिति में बेहोशी की हालत में बांगड़ अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मरीज़ को अस्पताल में पहुंचने पर उसे 350 इंजेक्शन एट्रोपीन (एंटीडॉट) के लगाए गए और मरीज़ को आईसीयू में भर्ती किया गया. साथ ही उसकी गंभीरता को देखते हुए किसान को मैकेनिकल वेंटीलेटर पर रखा गया था.
24 दिन अस्पताल में भर्ती रहा किसान
डॉ प्रवीण गर्ग की टीम ने पहले मरीज के गले में छेद करके मरीज को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन देनी शुरू की, क्योंकि मरीज सांस भी नहीं ले पा रहा था. इसके बाद उसे एंटी डॉट ड्रग एट्रोपिन के इंजेक्शन देने शुरू किए. मरीज की जान बचाने के लिए मरीज को प्रतिदिन 208 इंजेक्शन लगाए जाते थे ताकि जहर का असर खत्म हो सके. इसके साथ ही मरीज को दवाइयां भी दी जाती थी. 24 दिन तक मरीज को अस्पताल में डॉक्टरों की कड़ी निगरानी में रखा गया धीरे-धीरे मरीज की हालत में सुधार हुआ. अब 24 दिन बाद मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो गया और डॉक्टरों ने उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी है.
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