Kota News: सरकार की हठधर्मिता से प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था चौपट हो गई है. सरकार को इसका कोई ध्यान नहीं है, मरीजों की बिगड़ती स्थिति सरकार को दिखाई नहीं दे रही है. चिकित्सकों पर जबरन आरटीएच थोपना किसी भी सूरत में सही नहीं है.आरटीएच जन विरोधी और चिकित्सक विरोधी बिल है. इसके साथ ही इससे अव्यवस्थाओं की बाढ आ जाएगी.जगह-जगह अराजकता का माहौल हो जाएगा. इसलिए सरकार को इसे वापस लेना ही चाहिए. यह कहना है कि कोटा में राइट टू हेल्थ बिल (Right to Health Bill) का विरोध कर रहे डॉक्टरों का. विरोधी डॉक्टरों ने काले कपड़े पहनकर शहर में साइकिल चलाई और लोगों को आरटीएच की हकीकत बताई.


आरटीएच को चुनावी जीत का हथियार बताया 
चिकित्सकों ने कहा कि चुनाव के समय सरकार इस बिल को जीतने का हथियार बनाना चाहती है, लेकिन सरकार की मंशा को आमजन समझ गया है. पिछले 13 दिन से चल रहे इस धरने के दौरान चिकित्सकों ने अपनी बात रखी और कहा कि किसी भी हद तक जाना पडे जाएंगे,लेकिन इस बिल को हम कभी नहीं मानेंगे.चिकित्सकों ने कहा स्वास्थ्य का अधिकार हर नागरिक का जन्मसिद्ध अधिकार है. इसे संविधान ने भी स्थापित किया है.निजी क्षेत्र के पनपने का एक मात्र कारण सरकार की विफलता है.सरकार अपने संसाधनों से नागरिकों को ये अधिकार दे तो हर चिकित्सक खुश होगा.लोगों के स्वास्थ्य के लिए ही तो हमने यह व्यवसाय चुना है, लेकिन अपना घर जला कर हम सेवा नहीं करना चाहते क्योंकि वो लंबे समय तक नहीं चल सकता. सामूहिक सभा में सभी ने कहा निजी क्षेत्र पर जबरदस्ती ये कानून थोपना अन्याय,असंवैधानिक और अनैतिक है. इसे स्वीकार नहीं किया जाएगा.


मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपने के लिए समय मांगा
सरकार की विफलताओं की पोल खोलते हुए वक्ताओं ने बताया की जहां अमेरिका में एक सीनेटर के साल भर का वेतन सिर्फ 15 लोगों के साल भर का स्वास्थ्य पर खर्च के बराबर है,वही भारत में एक सांसद या विधायक के साल भर के वेतन से एक हजार से भी ज्यादा लोगों के स्वास्थ्य खर्च की पूर्ति की जा सकती है.इसलिए सरकार को अपनी प्राथमिकता में बदलाव लाना होगा. स्वास्थ्य को पहले दर्जे की प्राथमिकता देनी होगी. इससे स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार होगा.


इस अवसर पर एक नुक्कड़ नाटक का मंचन भी किया गया. इसमें चिकित्सकों ने आरटीएच की हकीकत बताई और इसके दुष्परिणामों से अवगत कराया.इस दौरान चिरंजीवी रजिस्ट्रेशन लौटाने की कई चिकित्सकों ने सहमति दी.आंदोलनरत चिकित्सकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के कोटा आगमन पर ज्ञापन देने के लिए समय मांगा है.


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