Rajasthan News: आरटीएच बिल के विरोध में कोटा में चिकित्सा सेवाएं बंद, डॉक्टरों ने सरकार की सद्बुद्धि के लिए किया यज्ञ
Kota News: प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का कहना था कि राइट टू हेल्थ बिल पूरी तरह से डॉक्टरों के साथ-साथ जन विरोधी भी है. उनका कहना था कि सरकार अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए इस बिल को लेकर आई है.
Doctors on Protest: यहां के डॉक्टरों ने आरटीएच बिल (Right to Health Bill) का तीखा विरोध शुरू कर दिया है.विरोधी डॉक्टरों ने ऐलान किया है कि वे चिकित्सा सेवाओं को पूरी तरह बंद कर देंगे.यदि सरकार ने जोर-जबरदस्ती की तो चिकित्सक समुदाय सड़कों पर निपटेगा.उनका कहना है कि जब तक सरकार इस बिल को वापस नहीं लेती, उनका आंदोलन जारी रहेगा.
क्या कहना है डॉक्टरों का
संघर्ष समिति के डॉक्टर अशोक शारदा ने कहा कि ये बिल पूरी तरह से डॉक्टरों के साथ-साथ जन विरोधी है.उन्होंने कहा कि सरकार अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने के लिए इस बिल को लेकर आई है. ये बिल चुनावी बिल के रूप में लाया गया है. इसमें अधिकांश बातें व्यवहारिक नहीं हैं. सोमवार को डॉक्टरों ने कोटा में पूरी तरह से काम बंद रखा. डॉक्टरों ने सरकार में बुद्धि लाने के लिए सद्बुद्धि यज्ञ किया.
डॉक्टर संजय जायसवाल ने कहा कि इस बिल को यदि लागू किया गया तो इसके दुष्परिणाम भुगतने होंगे.स्वास्थ्य का अधिकार संविधान के आर्टिकल 21 के जीवन के अधिकार का अभिन्न अंग है.आजादी के 75 साल बाद भी जनता को यह अधिकार दिए जाने की जगह सिर्फ लीपापोती की जा रही है. सरकार को ये समझना होगा कि अधिकतर रोगी साफ हवा-पानी, स्वस्थ भोजन,स्वस्थ मन,उचित शिक्षा के अभाव में बीमार होते हैं.इसकी प्रत्यक्ष और परोक्ष जिम्मेदारी सरकार की है.सरकारी अस्पताल में इलाज निशुल्क होते हुए भी एक रोगी का निजी अस्पताल में जाना सरकार की कमी का स्पष्ट प्रमाण है.
सरकार पर डॉक्टरों ने क्या आरोप लगाए हैं
डॉ.अमित व्यास ने कहा कि मरीज को उसकी अपेक्षा के अनुरूप सेवाओं के लिए निजी अस्पताल में जाना पड़ता है.यदि सरकार सभी नागरिकों की स्वास्थ्य संबंधी अपेक्षाओं को पूरा कर पाती तो निजी क्षेत्र की आवश्यकता ही क्यों होती.सरकार के सभी आला मंत्री और अधिकारी अपनी स्वास्थ्य संबंधित आवश्यकताओं के लिए निजी क्षेत्र का रुख करना प्रमाण है कि सरकार न सिर्फ जनता बल्कि अपने मंत्री,अधिकारियों की भी स्वास्थ्य अपेक्षाएं पूरी करने में विफल रही है.वहीं डॉ.अखिल अग्रवाल ने कहा कि बिना पैसे के कोई भी काम नहीं कर सकता वहीं बिल में यह भी स्पष्ट है कि डॉक्टर को मरीज देखना ही होगा चाहे वहां सुविधा हो या न हो,ये कैसे संभव है कि गायनी का डॉक्टर हार्ट के मरीज को देख पाएगा.
प्रदर्शन करने वाले डॉक्टरों ने कहा कि राज्य की जनता को ये समझना होगा कि अच्छी और विश्व स्तरीय चिकित्सा मुफ्त या सरकारी पेकेज में नहीं मिल सकती. उनका कहना था कि इस बिल के आने के बाद निजी अस्पताल बंद हो जाएंगे. सरकारी सिस्टम से त्रस्त लोगों को कोई राह नहीं बचेगी.डॉक्टरों ने बिल को जन विरोधी और दमनकारी कानून बताते हुए कहा कि इसकी एक सभ्य समाज में कोई जगह नहीं है.आईएमए और डॉक्टरों के संगठनों ने सरकार से इस बिल को वापस लेने की अपील की.
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