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Doctor on Strike in Rajasthan: अशोक गहलोत से मिले RTH का विरोध कर रहे डॉक्टर, नहीं निकला कोई नतीजा, मुख्यमंत्री ने जयपुर बुलाया
Rajasthan News: डॉक्टरों को इमरजेंसी में प्रसूति सुविधाओं के शामिल किए जाने पर ऐतराज है. इसी प्रकार बिल के अन्य प्रावधानों और परिभाषाओं पर भी उन्हें आपत्ति है.
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कोटा: राजस्थान के राइट टू हेल्थ (Right to Health) बिल का विरोध कर रहे कोटा के डॉक्टरों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) से मुलाकात की. इस दौरान चिकित्सकों ने अपनी बात उनके सामने रखी.मुख्यमंत्री गहलोत ने उन्हें समझाने का प्रयास किया लेकिन कोई समाधान नहीं निकला. गहलोत ने हड़ाताली डॉक्टरों से कहा कि आपकी सभी आशंकाओं और समस्याओं को खत्म कर देंगे, हड़ताल तो आप बाद में भी कर सकते हैं. मुख्यमंत्री ने हड़ताली चिकित्सकों को बातचीत के लिए जयपुर आने का न्योता दिया है.
सीएम ने हड़ताली डॉक्टरों से क्या कहा
इस दौरान डॉक्टर संजय जायसवाल और डॉक्टर विवेक गुप्ता ने कहा कि आरटीएच में इमरजेंसी शब्द का दुरुपयोग होगा.डॉक्टर जायसवाल ने कहा कि एक अस्पताल एक एम्बुलेंस कैसे रख सकता है. एक एम्बुलेंस का एक माह में एक लाख से अधिक का खर्च आता है.गहलोत ने चिकित्सकों से कहा कि आपकी सभी बातों को समझा जाएगा,जयपुर आ जाओ बैठकर बात करेंगे. दोनों ही पक्ष अपनी-अपनी बात पर अड़े रहे. इस वजह से कोई समाधान नहीं निकला.
कोटा में चल रहे आंदोलन के दो सप्ताह पूरे होने पर भी चिकित्सकों का रोष जारी है. मुख्यमंत्री के कोटा आगमन पर चिकित्सकों ने काले कपड़े पहन कर विरोध जताया.नेत्र विशेषज्ञों ने मोर्चे पर अग्रणी रह कर व्यवस्था संभाली.चिकित्सकों ने इस बिल के प्रावधानों पर मुख्यमंत्री से चर्चा की और सभी सुझावों को नियमों में समायोजित करने की बात कही.प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें बताया कि ये सरकार की 75 साल की नाकामी है कि चिकित्सा के लिए एक नागरिक को निजी क्षेत्र में जाना पड़ता है. डॉक्टरों ने सीएम को इमरजेंसी की व्यापक परिभाषा जो अस्पष्ट है के बारे में भी चिंताओं से अवगत कराया.
डॉक्टरों को किस बात पर है ऐतराज
डॉक्टरों को इमरजेंसी में प्रसूति सुविधाओं के शामिल किए जाने पर ऐतराज है. इसी प्रकार बिल के अन्य प्रावधानों और परिभाषाओं पर भी उन्हें आपत्ति है. बिल के सेक्शन 15 में प्राधिकरण और नामित व्यक्तियों को अभियोजन या न्यायिक कार्यवाही से सरंक्षण पर भी आपत्ति जताई.विभिन्न प्राधिकरणों में सरकारी अधिकारियों को सचिव नियुक्त किए जाने और लोक स्वास्थ्य विशेषज्ञों को अध्यक्ष बनाए जाने की आवश्यकता पर बल दिया और निजी क्षेत्र पर रोगी के परिवहन की जिम्मेदारी के आर्थिक चिकित्सीय और सामाजिक पहलू पर चिंता जताई.
मुख्यमंत्री की ओर से आम सहमति जताई जाने पर सभी ने एक स्वर में सरकार से नियमों की जगह विधेयक में परिवर्तन करने की बात कही.मुख्यमंत्री ने उन्हें जयपुर आकर वार्ता करने का निमंत्रण दिया.चिकित्सकों के प्रतिनिधियों ने जयपुर में अग्रिम पंक्ति के नेताओं को इस घटनाक्रम की जानकारी दी और आगे की रणनीति का निर्णय उन पर छोड़ दिया.वहीं डॉक्टर आलोक गर्ग का अनिश्चितकालीन अनशन दूसरे दिन भी जारी रहा. धरनास्थल पर दिन भर चिकित्सकों का तांता लगा रहा.
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