Doctor Suicide Case in Dosa: राजस्थान के दोसा (Dosa) में एक महिला डॉक्टर (Female Doctor) की खुदकुशी का मामला (Suicide Case) तूल पकड़ता जा रहा है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ( Ashok Gehlot) ने ट्वीट कर निजी अस्पताल की डॉक्टर अर्चना शर्मा की आत्महत्या पर दुख जताया है. उन्होंने कहा है कि डॉक्टरों को भगवान का दर्जा दिया जाता है. डॉक्टर मरीज की जान बचाने के लिए पूरा प्रयास करता है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण घटना के पीछे डॉक्टर पर आरोप लगाना उचित नहीं है. अगर डॉक्टरों को इस तरह से डराया जाएगा तो निश्चित होकर काम कैसे कर पाएंगे. हम सभी को सोचना चाहिए कि कोविड-19 या अन्य दूसरी बीमारियों के समय जान का खतरा मोल लेकर सभी की सेवा करने वाले डॉक्टर से ऐसा बर्ताव कैसे किया जा सकता है? मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. 


सुसाइड में लिखा- 


महिला डॉक्टर ने सुसाइड नोट में लिखा है, "मैं अपने पति और बच्चों को बहुत प्यार करती हूं. मेरे मरने के बाद इन्हें परेशान नहीं करना. मैंने कोई गलती नहीं की और किसी को नहीं मारा. पीपीएच (पोस्टपार्टम हैम्रेज) जटिल है, डॉक्टर को इतना प्रताड़ित करना बंद करो. डोंट हरास इनोसेंट डॉक्टर्स प्लीज! मेरे बच्चों को मां की कमी महसूस मत होने देना."


क्या था मामला?


आनंद हॉस्पिटल में प्रसूता आशादेवी पत्नी लालूराम बैरवा निवासी खेमावास की मौत पर सोमवार देर रात तक हंगामा होता रहा. 12 बजे पूर्व संसदीय सचिव जितेन्द्र गोठवाल, सरपंच हेमराज मीना ने पीड़ित परिवार की सहायता की मांग की. रात करीब एक बजे परिजन पोस्टमार्टम के लिए राजी हो गए और मामला शांत हो गया. मंगलवार सुबह प्रसूता का शव मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया. पुलिस ने सोमवार शाम डॉक्टर दंपती पर मामला दर्ज कर लिया था. 


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इंसाफ की मांग तेज


लालसोट में महिला डॉक्टर की खुदकुशी मामले में राजनेता, स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अन्य लोग भी इंसाफ की मांग कर रहे हैं. ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन के बैनर तले डॉक्टर्स एसोसिएशन, मेडिकल एसोसिएशन और निजी चिकित्सकों ने डॉक्टर की खुदकुशी के बाद मोर्चा खोल दिया. मेडिकल व्यवसाय से जुड़े तमाम लोग, डॉक्टर, केमिस्ट, नर्सिंग कर्मियों ने लालसोट की डॉक्टर अर्चना शर्मा को खुदकुशी के लिए टॉर्चर करने पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करने की मांग कर रहे हैं.


उनका कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार अगर किसी महिला को प्रसव के दौरान पीड़ा बढ़ जाती है और उस दौरान प्रसूता की मृत्यु हो जाती है तो डॉक्टर के खिलाफ 302 का मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सकता. लेकिन इस प्रकरण में डॉक्टर के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज होने पर डॉक्टर डिप्रेशन में आ गई और जिंदगी से बेहतर मौत को गले लगाना बेहतर समझा.


लोगों की मांग है कि डॉक्टर के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करानेवालों पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई हो और डॉक्टर को खुदकुशी के लिए उकसानेवालों पर भी कार्रवाई हो. मामला अब दोसा स्तर का नहीं बल्कि देश स्तर का होता जा रहा है. ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन ने देश भर में आज नए मरीजों को नहीं देखने का फैसला लिया और हड़ताल की. प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी है कि जल्द से जल्द दोषी लोगों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई नहीं की गई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा.


प्रदर्शनकारी डॉक्टरों का कहना है कि दोसा जिले में प्रसव के दौरान मृत्यु दर वैसे भी कम है और कोई भी डॉक्टर नहीं चाहता कि उसके मरीज की जान चली जाए. मरीज की जिंदगी बचाने के लिए डॉक्टर पूरा प्रयास भी करता है लेकिन हादसे हो जाते हैं. अब देखने वाली बात होगी कि डॉक्टर एसोसिएशन, मेडिकल एसोसिएशन, नर्सिंग कर्मियों का मोर्चा लालसोट की स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अर्चना शर्मा के मामले में किस तरह शांत होता है. 


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